sarvapashyami Monday 31 May 2010 एकै साधे सब सधै एकै साधे सब सधै, सब साधे सब जाय।'रहिमन' मूलहि सींचिबो, फूलहि फलहि अघाय ही काम को हाथ में लेकर उसे पूरा कर लो। सबमें अगर हाथ डाला, तो एक भी काम बनने का नहीं। पेड़ की जड़ को यदि तुमने सींच लिया, तो उसके फूलों और फलों को पूर्णतया प्राप्त कर लोगे। sarvapashyami at 11:49 AM  1 comment:  Anonymous7 July 2011 at 9:41 AM Care for the only One--The Almighty who is the root of all existence. By this act everything concerning us in this world and beyond will be taken care of. Fikar karende banwre, zikar karende saadh, Uth Farida zikar kar, fikar karega aap. JCB Reply  Links to this post Create a Link ‹ › Home View web version  Contributors Arun Singh Arun Singh sarvapashyami Powered by Blogger. एकै साधे सब सधै, सब साधे सब जाय
रहिमन मूलहिं सींचिबो, फूलै फलै अगाय॥
- दोहे में रहीम ने मनुष्य की ईश्वर के प्रति भक्ति भाव को अपने इस दोहे के माध्यम से अभिव्यक्त किया है कि यदि मनुष्य एक ही ईश्वर अर्थात परब्रह्म की उपासना करे तो उसके सभी मनोरथ पूरे हो सकते हैं। यदि वह अपने आप को और अपने मन को स्थिर न रखते हुए कभी किसी देवी-देवता तो कभी किसी देवी - देवता को पूजेगा तो उसकी मनोकामना कभी पूरी नहीं हो पाएगी और वह व्यर्थ ही दुखी रहेगा, इस तरह उसका कल्याण भी नही होगा।
यह सब उसी प्रकार है जैसे कोई माली पेड़ की जड़ को सीचता है तो वह पेड़ फलता - फूलता है । यदि माली पेड़ की जड़ के स्थान पर उसकी पत्तियों , डालियों, फूलों की पंखुड़ियों आदि को अलग-अलग सींचता रहेगा तो एक दिन वह पेड़ सूख जाएगा, नष्ट हो जाएगा । यहाँ कहने का तात्पर्य यह है कि हमें सदैव मूल को ही सींचना चाहिए तभी सही फल की प्राप्ति हो पाएगी।
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