Sunday, 17 September 2017
दुःख दूर करने के उपाय
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Dukh dur karne Ke Upay
November 15, 2015 admin

Dukh dur karne ke upay : दुःख दूर करने के उपाय
1. परम श्रद्धेय श्री मृदुल कृष्ण जी महाराज कहते हैं – संसार में आप जिस भी चीज से दिल लगाओगे वहीँ से आपको दुःख उठाना पड़ेगा।
क्योंकि ये संसार दुःख का घर है। इस बात को भगवान श्री कृष्ण ने भागवत गीता में भी कहा है। यह संसार दुःखालय है। यहाँ संसार सुख की आश लगाये बैठा है लेकिन यहाँ सुख है ही नही।
फिर आप कहोगे की संसार में किसी से प्रेम ही ना करें। बाबा बन जाएँ, संत बन जाएँ। नही, बिलकुल नही। इसका केवल एक ही उपाय है। संसार में रहो लेकिन संसार को अपने अंदर ना रहने दो। जैसे पानी में नाव है। लेकिन नाव में पानी आ गया तो क्या होगा? नाव डूब जाएगी। इसलिए संसार में रहते हुए सब सम्बन्ध अच्छे से निभाइए। लेकिन किसी से कोई भी आशा मत कीजिये।
2. संसार के प्रति आशा ही दुःख का कारण है। आशा आप लगते हों और आपकी इच्छा पूरी नही होती है तो आपको दुःख होता है। इस सम्बन्ध में भगवान दत्तात्रेय और पिंगला वैश्या की कथा आती है। आप नीचे दिए गए ब्लू लिंक पर क्लिक करके पूरी कथा पढ़ सकते हैं।
http://goo.gl/KULl9C
इसलिए संतो ने कह दिया है- आशा एक राम जी सों, दूजी आशा छोड़ दे, नाता एक राम जी सों दूजा नाता तोड़ दे।
3. रामचरितमानस जी में श्री हनुमान जी महाराज कह रहे हैं- कह हनुमंत विपति प्रभु सोई | जब तक सुमिरन भजन न होई ||
हनुमान्जी ने कहा- हे प्रभु! विपत्ति तो वही (तभी) है जब आपका भजन-स्मरण न हो।
4. भीखा भूखा कोई नहीं, सबकी गठरी लाल, गठरी खोलना भूल गए, इस विधि भये कंगाल |
भीखा साहब जी लिखते हैं इस संसार के अंदर कोई गरीब नहीं है। परमपिता परमेश्वर ने हर मनुष्य के हृदय में आशीर्वाद के बहुमूल्य हीरे-मोती भरे हैं।
इस संसार में आकर मनुष्य दूसरे सभी कार्यों में फसकर जीवन गँवाता है, लेकिन अपने हृदय की हीरे-मोतियों से भरी हुई लाल गठरी खोलना भूल जाता है.

यही कारण है कि सबकुछ होते हुए भी मनुष्य कंगाल रह जाता है। कहने का मतलब यही है की हम संसार में फसे हैं। भगवान की माया नचा रही है। यदि उससे निकले तभी तो उस आनंद की ओर पहुंचेंगे।
5. गीतामें अर्जुन ने भगवान् से प्रश्न किया है कि ‘मनुष्य पाप करना नहीं चाहता, फिर भी बलात् किसकी प्रेरणासे पाप करता है ?’
इसपर भगवान् ने उत्तरमें कामना को ही पापका कारण बतलाया । जितने व्यक्ति जेल में पड़े हैं, जितने नरकोंकी भीषण यातना सह रहे हैं और जिनके चित्तमें शोक-उद्वेग हो रहे हैं तथा जो न चाहते हुए भी पापाचारमें प्रवृत्त होते हैं, उन सबमें कारण भीतर की कामना ही है।
संसारमें जितने भी दुःखी हैं, उन सबका कारण एक कामना ही है । कामना प्रत्येक अवस्थामें दुःखका अनुभव करती रहती है—जैसे पुत्रके न होनेपर पुत्र होनेकी लालसाका दुःख, जन्मनेपर उसके पालन-पोषण, विद्याध्ययन और विवाहादिकी चिन्ताका दुःख और मरनेपर अभावका दुःख होता है ।
कामनाके रहनेपर तो प्रत्येक हालतमें दुःखी ही होगा । अतएव जिस प्रकार आशा ही परम दुःख है, उसी प्रकार निराशा— वैराग्य ही परम सुख है । स्त्री, पुत्र, परिवार—सब आज्ञाकारी मिल जायँ, तब भी सुख नहीं होगा, सुख तो इनकी कामना के परित्याग से ही होगा ।
6. दुखिया मूवा दुख कौं, सुखिया सुख कौं झुरि । सदा अनंदी राम के, जिनि सुख दुख मेल्हे दूरि ॥
भावार्थ – दुखिया भी मर रहा है, और सुखिया भी एक तो अति अधिक दुःख के कारण, और दूसरा अति अधिक सुख से । किन्तु राम के जन सदा ही आनंद में रहते हैं , क्योंकि उन्होंने सुख और दुःख दोनों को दूर कर दिया है । सुख और दुःख से ऊपर जाइये। और उस आनंद(भगवान) को प्राप्त कीजिये।
Read : सुखी होने के उपाय
Read : राम नाम की महिमा

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Sukh-Dukh Hindi manthan
Krishna (Chandrama) bal leela with Yashoda maa
2 thoughts on “Dukh dur karne Ke Upay”
Yogesh says:
June 2, 2017 at 5:42 pm
Moksh keval Geeta me hain satvik gun kealava shrkrishna ki bhakti or usase utpan varagya ke bad milata hain
Reply
admin says:
June 4, 2017 at 3:35 pm
Jai Shri Krishna 
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