Friday, 19 January 2018

षोडशी त्रिपुर सुंदरी मंत्र

☰ HOME PUNJABKESARI SPECIAL DELHI PUNJAB HARYANA HIMACHAL PRADESH CHANDIGARH UTTAR PRADESH JAMMU KASHMIR SPORTS KESARI TV संसार के सभी तंत्र-मंत्र जिनकी आराधना करते हैं उनसे पाएं धन, वैभव और ऐश्वर्य Sunday, March 22, 2015 महात्रिपुर सुन्दरी श्री कुल की विद्या है। महाविद्या समुदाय में त्रिपुरा नाम की अनेक देवियां हैं, जिनमें त्रिपुरा-भैरवी, त्रिपुरा और त्रिपुर सुंदरी विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। देवी त्रिपुरसुंदरी ब्रह्मस्वरूपा हैं, भुवनेश्वरी विश्वमोहिनी हैं। ये श्रीविद्या, षोडशी, ललिता, राज-राजेश्वरी, बाला पंचदशी अनेक नामों से जानी जाती हैं। त्रिपुरसुंदरी का शक्ति-संप्रदाय में असाधारण महत्त्व है। महात्रिपुर सुन्दरी देवी माहेश्वरी शाक्ति की सबसे मनोहर श्री विग्रह वाली सिद्घ देवी हैं।  इनकी महिमा अवर्णनीय है। संसार के समस्त तंत्र-मंत्र इनकी आराधना करते हैं। प्रसन्न होने पर ये भक्तों को अमूल्य निधियां प्रदान कर देती हैं। चार दिशाओं में चार और एक ऊपर की ओर मुख होने से इन्हें तंत्र शास्त्रों में ‘पंचवक्त्र’ अर्थात् पांच मुखों वाली कहा गया है। आप सोलह कलाओं से परिपूर्ण हैं, इसलिए इनका नाम ‘षोडशी’ भी है।  ये चार पायों से युक्त हैं जिनके नीचे ब्रह्मा, विष्णु, रुद्र, ईश्वर पाया बन जिस सिंहासन को अपने मस्तक पर विराजमान किए हैं उसके ऊपर सदा शिव लेटे हुए हैं और उनकी नाभी से एक कमल जो खिलता है, उस पर ये त्रिपुरा विराजमान हैं। सैकड़ों पूर्वजन्म के पुण्य प्रभाव और गुरु कृपा से इनका मंत्र मिल पाता है। किसी भी ग्रह, दोष, या कोई भी अशुभ प्रभाव इनके भक्त पर नहीं हो पाता। श्रीयंत्र का पूजन सभी के वश की बात नहीं है।  कलिका पुराण के अनुसार एक बार पार्वती जी ने भगवान शंकर से पूछा, ‘भगवन! आपके द्वारा वर्णित तंत्र शास्त्र की साधना से जीव के आधि-व्याधि, शोक संताप, दीनता-हीनता तो दूर हो जाएगी, किन्तु गर्भवास और मरण के असह्य दुख की निवृत्ति और मोक्ष पद की प्राप्ति का कोई सरल उपाय बताइए।’  तब पार्वती जी के अनुरोध पर भगवान शंकर ने त्रिपुर सुन्दरी श्रीविद्या साधना-प्रणाली को प्रकट किया। "भैरवयामल और शक्तिलहरी" में त्रिपुर सुन्दरी उपासना का विस्तृत वर्णन मिलता है। ऋषि दुर्वासा आपके परम आराधक थे। इनकी उपासना "श्री चक्र" में होती है। आदिगुरू शंकरचार्य ने भी अपने ग्रन्थ सौन्दर्यलहरी में त्रिपुर सुन्दरी श्रीविद्या की बड़ी सरस स्तुति की है। कहा जाता है भगवती त्रिपुर सुन्दरी के आशीर्वाद से साधक को भोग और मोक्ष दोनों सहज उपलब्ध हो जाते हैं। शाम सुर्यास्त से एक घंटा पूजा घर में उत्तरमुखी होकर गुलाबी रंग के आसन पर बैठ जाएं। अपने सामने लकड़ी के पट्टे पर गुलाबी वस्त्र बिछाकर उस पर महात्रिपुर सुन्दरी का चित्र और श्री यंत्र को विराजमान करें। दाएं हाथ में जल लेकर संकल्प करें तत्पश्चात हाथ जोड़कर महात्रिपुर सुन्दरी का ध्यान करें।  ध्यान: सा काली द्विविद्या प्रोक्ता श्यामा रक्ता प्रभेदत:। श्यामा तु दक्षिणा प्रोक्ता रक्ता श्री सुन्दरी मता।। देवी महात्रिपुर सुन्दरी की विभिन्न प्रकार से पूजा करें। आटे से बना चौमुखी शुद्ध घी का दीपक जलाएं। देवी पर गुलाल चढ़ाएं। देवी पर गुलाब के फूल चढ़ाएं। खुशबूदार धूप जलाएं और इत्र अर्पित करें। काजू व मावे से बने मिष्ठान का भोग लगाएं। तत्पश्चात बाएं हाथ मे कमलगट्टे लेकर दाएं हाथ से स्फटिक की माला से देवी के इस अदभूत मंत्र का यथासंभव जाप करें। मंत्र: ह्रीं क ए इ ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं ॥ जाप पूरा होने के बाद कमलगट्टे गुलाबी कपड़े मे बांधकर घर की उत्तर दिशा में स्थापित करें तथा स्फटिक की माला गले में पहन लें। बची हुई सामग्री को जल प्रवाह कर दें। इस साधना से धन, सुख, वैभव और सर्व ऐश्वर्य प्राप्त होता है तथा सर्व मनोकामनाएंं पूर्ण होती हैं।  आचार्य कमल नंदलाल ईमेल kamal.nandlal@gmail.com  FOR ANY QUERY support@punjabkesari.in FOR ADVERTISEMENT QUERY advt@punjabkesari.in TOLL FREE : 1800 137 6200 Home|Privacy Policy|Live Help © 2016 Punjab Kesari, All Rights Reserved

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