Thursday, 4 January 2018
निरंजनी सम्प्रदाय
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निरंजनी सम्प्रदाय
चित्र:हरि पुरुष जी महाराज (हरिदास निरंजनी).jpg
निरंजनी संप्रदाय आचार्यपीठ दयाल आश्रम गाढ़ाधाम डीडवाना के आचार्य सांवरदेवाचार्य महाराज श्रीमद द्वाराचार्य एवं सम्प्रदायाचार्य पट्टाभिषेकम कार्यक्रम
शुभ दिनांक १६ मई २०१६ बैसाख शुक्ल पक्ष दशमी विक्रम संवत २०७३ सिंहस्थ महाकुम्भ श्री क्षेत्र उज्जैन में अखिल भारतीय श्री पंच निर्मोही अन्नी अखाड़ा एवं चतुर्सम्प्रदाय द्वारा निरंजनी संप्रदाय श्री प्रधानपीठ दयाल आश्रम गाढ़ाधाम डीडवाना राजस्थान के सम्प्रदायाचार्य श्री श्री १००८ श्री स्वामी सांवरदेवाचार्य महाराज को श्रीमद द्वाराचार्य एवं अनन्त विभूषित श्री श्री १००८ निरंजनी सम्प्रदायाचार्य नियुक्त किया गया
निरंजनी संप्रदाय के आदि प्रवर्तक संस्थापकाचार्य श्रीमद हरिपुरुष जी महाराज (हरिदास) का जन्म संवत १४७४ को गाँव कापड़ोद डीडवाना में हुआ एवं बैकुंठवास संवत १५९५ को दयाल आश्रम गाढ़ाधाम डीडवाना में परमधाम को प्राप्त हुए उनकी कठोर तपस्या तीखली डूंगरी में हुई एवं ज्ञान प्राप्ति संवत १५४२ को उन्होंने निरंजनी संप्रदाय की स्थापना की संवत १५९५ में उनकी समाधी डीडवाना दयाल आश्रम में स्थापित हुई
उनकी दयालुता एवं मानव जीव कल्याण पर दयाभाव के कारण उनको दयालु पदवी से संतो ने अलंकृत किया निरंजनी संप्रदाय में श्री दयाल हरिपुरुष जी ५२ शिष्य एवं ५२ द्वारे पूरे भारतवर्ष में स्थापित हुए हरिपुरुष जी महाराज कबीरदास में भाव रखते थे एवं सगुन एवं निर्गुण भक्ति दोनों को अपनाया हरिपुरुष जी महाराज के परमधाम पधारने के पश्चात यह संप्रदाय राम निरंजन एवं हरी निरंजन दो भागो में विभक्त हुआ
आज सुदूर भारतवर्ष में निरंजनी संप्रदाय के हजारो स्थल,मठ,मंदिर व बगीची विद्यमान है जो देव मंदिरों के साथ गुरु चरण पादुका एवं हरिपुरुष जी की वाणी का पाठ करते हैं हरिपुरुष जी महाराज श्रीमद रामानंद जी महाराज के पोता शिष्य थे अपितु उनकी ज्ञान नाथ संप्रदाय के अवधूत गोरखनाथ जी से प्राप्त किया था परन्तु ज्ञान देने के पश्चात् गोरखनाथ जी अंतर्ध्यान हो गए एवं दीक्षा रामानंद जी के शिष्य प्रयागदास जी से ली
आज पूरे संत समाज में यह पंथ वैष्णव निरंजनी के नाम से सुविख्यात है राजस्थान प्रान्त के प्रत्येक नगर गाँव में निरंजनियो के स्थल आज भी विद्यमान है वर्तमान में कंप्यूटर एवं p.h.d. के युग में सुदूर विश्व अमेरिका इंग्लॅण्ड फ्रांस एवं अन्य देशों की ख्याति प्राप्त विश्वविद्यालयो में निरंजनी संप्रदाय के ग्रन्थ शोध का केंद्र बने हुए हैं
Kabir Legends and Anant Das's niranjani sampraday नामक पुस्तक David N. Lorenzen द्वारा लिखी univercity of newyork अमेरिकन पाठ्य पुस्तक के रूप में पढाई जाती है
संवाद
Last edited 2 months ago by चक्रबोट
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