Thursday 11 January 2018

तीनों लोकों में सर्वाधिक सुन्दर 

Chaturvedi Hindu Brahmin Caste chaturvedi is hindu brahmin caste. they live in mathura . that area famous by chobiya pada . this blog provide full information about chaturvedis. ▼ Thursday, 24 November 2016 महाविद्या त्रिपुरसुंदरी तीनों लोकों में सर्वाधिक सुन्दर तथा मनोरम, एक सोलह वर्षीय चिर यौवन युवती महा त्रिपुरसुंदरी नामक तृतीय महाविद्या। सर्व मनोकामना पूर्ण करने वाली महाविद्या, श्री कुल की अधिष्ठात्री! महा त्रिपुरसुंदरी। महाविद्या महा त्रिपुरसुंदरी स्वयं आद्या या आदि शक्ति हैं, इनके षोडशी, राज-राजेश्वरी, बाला, ललिता, मिनाक्षी, कामेश्वरी अन्य नाम भी विख्यात हैं। अपने नाम के अनुसार देवी तीनों लोकों में सर्वाधिक सुंदरी हैं तथा चिर यौवन युक्त १६ वर्षीय युवती हैं, इनकी रूप तथा यौवन तीनों लोकों में सभी को मोहित करने वाली हैं। मुख्यतः सुंदरता तथा यौवन से घनिष्ठ सम्बन्ध होने के परिणामस्वरूप, मोहित कार्य और यौवन स्थाई रखने हेतु महाविद्या त्रिपुरसुंदरी की साधना उत्तम मानी जाती हैं। सोलह अंक जो पूर्णतः का प्रतीक हैं (सोलह की मात्रा में प्रत्येक वस्तु पूर्ण मानी जाती हैं, जैसे १६ आना एक रुपये होता हैं), देवी सोलह प्रकार की कलाओं से पूर्ण हैं और सोलह प्रकार के मनोकामनाओं को पूर्ण करने में समर्थ हैं; तात्पर्य हैं सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने में समर्थ हैं कारणवश महाविद्या षोडशी नाम से विख्यात हैं। देवी ही श्री रूप में धन, संपत्ति, समृद्धि दात्री श्री शक्ति के नाम से विख्यात हैं, इन्हीं महाविद्या की आराधना कर कमला नाम से विख्यात दसवी महाविद्या धन की अधिष्ठात्री हुई तथा श्री की उपाधि प्राप्त की। श्री यंत्र जो यंत्र शिरोमणि हैं, साक्षात् देवी का स्वरूप हैं; देवी की आराधना-पूजा श्री यंत्र में की जाती हैं। कामाख्या पीठ महाविद्या त्रिपुरसुन्दरी से ही सम्बंधित तंत्र पीठ हैं, जहाँ सती की योनि पतित हुई थीं; स्त्री योनि के रूप में यहाँ देवी की पूजा-आराधना होती हैं। देवी का घनिष्ठ सम्बन्ध पारलौकिक शक्तियों से हैं, समस्त प्रकार की दिव्य, अलौकिक तंत्र तथा मंत्र शक्तिओं (इंद्रजाल) की देवी अधिष्ठात्री हैं। तंत्र मैं उल्लेखित मारण, मोहन, वशीकरण, उच्चाटन, स्तम्भन इत्यादि (जादुई शक्ति), कर्म इनकी कृपा के बिना पूर्ण नहीं होते हैं। अपने भक्तों को हार प्रकार की शक्ति देने में समर्थ हैं देवी षोडशी, चिर यौवन तथा सुन्दरता प्रदाता हैं देवी त्रिपुरसुंदरी, राज-राजेश्वरी रूप में देवी ही तीनों लोकों का शासन करने वाली हैं। देवी शांत मुद्रा में लेटे हुए सदाशिव के नाभि से निर्गत कमल-आसन पर बैठी हुई हैं, इनके चार भुजाएं हैं तथा अपने चार भुजाओं में देवी पाश, अंकुश, धनुष और बाण धारण करती हैं। देवी के आसन को ब्रह्मा, विष्णु, शिव तथा यम-राज अपने मस्तक पर धारण किये हुए हैं; देवी तीन नेत्रों से युक्त एवं मस्तक पर अर्ध चन्द्र धारण किये हुए अत्यंत मनोहर प्रतीत होती हैं, सहस्रों उगते हुए सूर्य के समान कांति युक्त देवी का शारीरिक वर्ण हैं। अधिक जाने Harshit Chaturvedi at 21:28:00 Share No comments: Post a Comment ‹ › Home View web version About Me Harshit Chaturvedi I am Harshit Chaturvedi Web Developer working in Alltoit Technology and SEO I like programming and making a new application and now day I am enjoyed the Coding in Delhi   View my complete profile Powered by Blogger.

No comments:

Post a Comment