Thursday, 4 January 2018

विशिष्टाद्वैत

मुख्य मेनू खोलें खोजें 3 संपादित करेंध्यानसूची से हटाएँ। किसी अन्य भाषा में पढ़ें विशिष्टाद्वैत विशिष्टाद्वैत (विशिष्ट+अद्वैत) आचार्य रामानुज (सन् 1037-1137 ईं.) का प्रतिपादित किया हुआ यह दार्शनिक मत है। इसके अनुसार यद्यपि जगत् और जीवात्मा दोनों कार्यतः ब्रह्म से भिन्न हैं फिर भी वे ब्रह्म से ही उदभूत हैं और ब्रह्म से उसका उसी प्रकार का संबंध है जैसा कि किरणों का सूर्य से है, अतः ब्रह्म एक होने पर भी अनेक हैं। इस सिद्धांत में आदि शंकराचार्य के मायावाद का खंडन है। शंकराचार्य ने जगत को माया करार देते हुए इसे मिथ्या बताया है। लेकिन रामानुज ने अपने सिद्धांत में यह स्थापित किया है कि जगत भी ब्रह्म ने ही बनाया है। परिणामस्वरूप यह मिथ्या नहीं हो सकता। बाहरी कड़ियाँ संपादित करें Biographies of Ramanuja and Vedanta Desika Ramanuja and VisishtAdvaita more information Advaita and VisishtAdvaita more information http://www.vaishnava.com/shrivaishnavaintro.htm http://www.hinduweb.org/home/dharma_and_philosophy/vvh/vvh.htm http://www.hinduweb.org/home/dharma_and_philosophy/vvh/raghavan.html The non-absolutist school of Hindu philosophy संवाद Last edited 4 months ago by Jayprakash12345 RELATED PAGES वेदान्त दर्शन भारतीय / हिन्दू दर्शन की आस्तिक धाराओं में एक प्रमुख धारा रामानुज अद्वैत वेदान्त हिन्दू दर्शन की एक प्रमुख शाखा सामग्री CC BY-SA 3.0 के अधीन है जब तक अलग से उल्लेख ना किया गया हो। गोपनीयताडेस्कटॉप

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