Thursday, 4 January 2018

ईश्वरकृष्ण

मुख्य मेनू खोलें खोजें 3 संपादित करेंध्यानसूची से हटाएँ। ईश्वरकृष्ण ईश्वरकृष्ण एक प्रसिद्ध सांख्य दर्शनकार थे। इनका काल विवादग्रस्त है। डॉ॰ तकाकुसू के अनुसार उनका समय ४५० ई. के लगभग और डॉ॰ वि. स्मिथ के अनुसार २४० ई. के आसपास होना चाहिए। यह प्राय: निश्चित है कि वे बौद्ध दार्शनिक वसुबंधु के गुरु के समकालीन एवं प्रतिपक्षी थे। ईश्वरकृष्णकृत 'कारिका' सांख्य दर्शन पर उपलब्ध सर्वाधिक प्राचीन एवं लोकप्रिय ग्रंथ है। 'कारिका' में ईश्वरकृष्ण अपने को क्रमश: आसुरि एवं पंचशिखा के द्वारा सांख्य दर्शन के प्रवर्त्तक कपिल का शिष्य बताते हैं। वह मूलत: अनीश्वरवादी हैं। उनके अनुसार आध्यात्मिक, आधिदैविक, आधिभौतिक दु:खों से उनके निराकरण के उपायों की खोज आरंभ होती है। प्रत्यक्ष, अनुमान एवं शब्द यथार्थ ज्ञान के स्रोत हैं। इन ज्ञानस्रोतों से 'प्रकृति' और 'पुरुष' की नित्यता एवं मूलत्व सिद्ध होता है। मूल 'प्रकृति' की सूक्ष्मता से उसका प्रत्येक ज्ञान असंभव है, किंतु अपनी 'विकृति' (परिणाम) महत् आदि के रूप में वह बोधगमय है। 'परिणाम', चूँकि उत्पन्न होता है, अनित्य, असम तथा गतियुक्त है, ईश्वरकृष्ण के अनुसार सुख-दु:ख-मोह का स्वभाव 'प्रकृति' का है, पुरुष का नहीं। अत: मोक्ष 'प्रकृति विकृति' का होता है, पुरुष का नहीं। सत्व, रज तथा त्रिगुण प्रकृति के हैं और क्रमश: सात्विकता, क्रिया तथा जड़ता के कारण। इन गुणों का कार्य दीपक की तरह मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करना है। ईश्वरकृष्ण 'पुरुष' को अचेतन प्रकृति का 'विपर्यय' बताते हैं, अत: 'पुरुष', 'प्रकृति' की अचेतन क्रियाओं का चेतन द्रष्टा (साक्षी) है, कर्ता नहीं। 'पुरुष' का अस्तित्व शरीरसंघात के परार्थत्व, अधिष्ठान और मोक्ष प्रकृति से सिद्ध है। साथ ही, जन्म मरण एवं उपकरणों के असाम्य और एक साथ प्रकृति के अभाव से 'पुरुष' का अनेकत्व भी सिद्ध है। सारांश में, पुरुष की सांसारिक अवस्था प्रकृति की क्रियाओं के प्रति उसकी मोहदृष्टि तथा 'कैवल्य' (मोक्ष) की अवस्था प्रकृति से 'निवृत्ति' या प्रकृति के स्व-स्वरूप का पृथकत्व ज्ञान है। सन्दर्भ ग्रन्थ संपादित करें ईश्वरकृष्ण : 'सांख्यकारिका'; 'कारिका' पर वाचस्पति मिश्र की टीका; जे.एन. मुकर्जी : सांख्य ऑर द थियरी ऑव रियलिटी; ई.एच. जान्स्टन : अर्ली सांख्य; एस.सी. बनर्जी : द सांख्य फ़िलासफ़ी; रिचर्ड ग्रेस : द सांख्य फ़िलॉसफ़ी बाहरी कड़ियाँ संपादित करें The Sankhyakarika of IshwaraKrishna संवाद Last edited 10 months ago by NehalDaveND RELATED PAGES सांख्य दर्शन कपिल प्रकृति (धर्म) सामग्री CC BY-SA 3.0 के अधीन है जब तक अलग से उल्लेख ना किया गया हो। गोपनीयताडेस्कटॉप

No comments:

Post a Comment