Thursday, 4 January 2018
अहं ब्रह्मास्मि
मुख्य मेनू खोलें
खोजें
3
संपादित करेंध्यानसूची से हटाएँ।
अहं ब्रह्मास्मि
पेज समस्याएं
वैदिक संस्कृती जो कि दुनिया में सबसे पुरातन एवं सर्वोत्कृष्ट मानी जाती है। इस संस्कृती कि मान्यता है कि भगवानने यह सृष्टी बनाई है। भगवानने सृष्टी बनाई और वो स्वयं चराचर में व्याप्त है। गीता
में श्रीकृष्ण स्वयं कहते है सर्वस्य चाहं हृदि सन्निविष्टो मतलब कि मैँ सभी प्राणीयोँके दिल में बसता हूँ। अहं ब्रह्मास्मि ये वाक्य मानव को महसुस कराता है कि जिस भगवानने बडेबडे सागर, पर्वत, ग्रह, ये पुरा ब्रह्मांड बनाया उस अखंड शक्तिस्रोत का मैँ अंश हूँ तो मुझे भी उसका तेजोँऽश मुझमे भी जागृत कर उसका बननेका प्रयत्न करना चाहिए। तभी उसकी नैतिक उन्नती की शुरूवात हो जाती है। अहं ब्रह्मास्मि - यजुर्वेदः बृहदारण्यकोपनिषत् अध्याय 1 ब्राह्मणम् 4 मंत्र 10 ॥
संवाद
Last edited 11 months ago by Sanjeev bot
RELATED PAGES
महावाक्य
अद्वैत वेदान्त
हिन्दू दर्शन की एक प्रमुख शाखा
जीव (हिन्दू धर्म)
सामग्री CC BY-SA 3.0 के अधीन है जब तक अलग से उल्लेख ना किया गया हो।
गोपनीयताडेस्कटॉप
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment