Wednesday, 13 September 2017

दत्तात्रेय और पिंगला वैश्या 

ⓘ Optimized just nowView original http://goo.gl/KULl9C Menu Dattatreya and Pingla Vaishya Story in hindi November 14, 2015 admin Dattatreya and Pingla Vaishya Story in hindi दत्तात्रेय और पिंगला वैश्या कथा श्री दत्तात्रेय(Dattatreya) भगवान जी ने अपने जीवन में 24 शिक्षा गुरु बनाये हैं। उन्ही में से एक पिंगला नाम की वैश्या को भी अपना गुरु बनाया है। यह कथा श्रीमद भागवत पुराण में वर्णित है। ये बहुत ही खूबसूरत थी। ये पिंगला नाम की वैश्या प्रतिदिन श्रृंगार करके बैठ जाती थी और गलत काम करके खूब धन कमाती थी। प्रतिदिन की तरह एक रात्रि इसने सुंदर श्रृंगार किया और पर पुरुष के इंतजार में बैठ गई। पूरी रात इंतजार करते करते बीत गई लेकिन कोई नही आया। रात भी खराब हुई , नींद भी खराब हुई और धन भी नही आया। बड़ी आस लगाये बैठी थी की कोई आएगा खूब सारा धन देखर जायेगा। रात बीत गई अब मन में ग्लानि हुई है। और वैराग्य हो गया है। और कहती है सच में आशा ही दुःख की जड़ है।  जब तक संसार से आशा है तब तक दुःख है लेकिन जब यह आशा भगवान के प्रति हो जाती है तो आनंद ही आनंद हो जाता है। वैश्या कहती है मैं इन संसार के लोगों से सुख की आशा रखती हु जो खुद दुखी हैं। मेरे ह्रदय में भगवान विराजमान है लेकिन मैंने संसार के अलावा कहीं ओर देखा ही नही। बस यही गलती कर दी मैंने। पूर्ण वैराग्य हो गया अब। उसने सोचा—‘अबतक मैंने बड़ी भूल की, अब मैं अपना अमूल्य समय नष्ट नहीं करुँगी ।’ शुकदेव जी महाराज परीक्षित से कहते हैं है की- आशा हि परमं दुःखं नैराश्यं परमं सुखम् । यथा संछिद्य कान्ताशां सुखं सुष्वाप पिंगला ॥ (श्रीमद्भागवत ११/८/४४) ‘आशा ही सबसे बड़ा दुःख और निराशा ही सबसे बड़ा सुख है । पिंगला वेश्याने जब पुरुषकी आशा त्याग दी, तभी वह सुख से सो सकी ।’ अतएव जिस प्रकार आशा ही परम दुःख है, उसी प्रकार निराशा— वैराग्य ही परम सुख है । स्त्री, पुत्र, परिवार—सब आज्ञाकारी मिल जायँ, तब भी सुख नहीं होगा, सुख तो इनकी कामनाके परित्यागसे ही होगा । ऐसा विचारकर पिंगला अपनी सारी धन-सम्पत्तिको लुटाकर वैराग्यके नशेमें निकल जाती है और निश्चय करती है कि मैं परमात्माका ही भजन-ध्यान करुँगी और परम सुखी हो जाऊँगी । मैवं स्युर्मन्दभाग्यायाः क्लेशा निर्वेदहेतवः । येनानुबन्धं निर्हत्य पुरुषः शममृच्छति ॥ तेनोपकृतमादाय शिरसा ग्राम्यसंगताः । त्यक्त्वा दुराशाः शरणं व्रजामि तमधीश्वरम् ॥  संतुष्टा श्रद्दधत्येतद् यथालाभेन जीवती । विहराम्यमुनैवाहमात्मना रमणेन वै ॥ (श्रीमद्भागवत ११/८/३८-४०) (अवश्य मुझपर आज भगवान् प्रसन्न हुए हैं) अन्यथा मुझ अभागिनीको ऐसे क्लेश ही नहीं उठाने पड़ते, जिससे ‘वैराग्य’ होता है । मनुष्य वैराग्यके द्वारा ही सब बन्धनोंको काटकर शान्ति-लाभ करता है । अब मैं भगवान् का यह उपकार आदरपूर्वक सिर झुकाकर स्वीकार करती हूँ और विषयभोगोंकी दुराशा छोडकर उन परमेश्वरकी शरण ग्रहण करती हूँ । अब मुझे प्रारब्धानुसार जो कुछ मिल जायगा,उसी से निर्वाह कर लूँगी और सन्तोष तथा श्रद्धाके साथ रहूँगी । मैं अब किसी दूसरेकी ओर न ताककर अपने ह्रदयेश्वर आत्मस्वरूप प्रभुके साथ ही विहार करुँगी ।’ Read : राम वनवास कथा Read : सत्संग की महिमा You may also like:  Bankey Bihari ke Chamatkar story 2  Raas Varnan by Surdas (Dekho ri ya Mukut ki latkan)  who is the best in Goddess? BHAGWAN KI KRIPA STORY Bhagwan Ki Kripa Story ABHIMANYU UTTARA MARRIAGE/VIVAH STORY IN HINDI Abhimanyu Uttara Marriage/Vivah Story in hindi GURU MAHIMA: GURU PURNIMA IN HINDI Guru Mahima: Guru Purnima in hindi  Ramayan : Sita Mata Agni pariksha story(katha) RAJA PARIKSHIT AND KALYUG STORY IN HINDI Raja Parikshit and Kalyug story in hindi Stories #bhagwan dattatreya pinga vaishya story, #Dattatreya and vaishya, #dattatreya and WHORE story hindi, #dattatreya guru vaishya, #PROSTITUTE and God Dattatreya story in hindi, #दत्तात्रेय और वैश्या, #दत्तात्रेय गुरु वैश्या, #भगवान दत्तात्रेय पिंगला वैश्या कहानी, Dattatreya and Pingla Vaishya Story in hindi, दत्तात्रेय और पिंगला वैश्या कथा. permalink. Post navigation Satsang Mahima Story/katha in hindi Sukh-Dukh Hindi manthan Leave a Reply Your email address will not be published. Required fields are marked * Name *  Email *  Website  Comment  Post Comment Search for: Search  Search... Categories Categories  Like Us on Facebook Facebook HINDI-WEB All rights reserved. Theme by Colorlib Powered by WordPress  Hindi-WebRadha krishnaKrishnaRamHanumanShivMaaNaradaHealth and LifeSuccessDevoteeHindi ManthanQuotes and ShayariStoriesEnglish BlogsContact UsAbout Us

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