Saturday, 9 September 2017

लोपामुद्रा(वैदर्भी)

 विकि लव्ज़ मॉन्युमॅण्ट्स: किसी स्मारक की तस्वीर खींचिए, विकीपीडिया की सहायता कीजिए और जीति मुख्य मेनू खोलें खोजें संपादित करेंइस पृष्ठ का ध्यान रखेंकिसी अन्य भाषा में पढ़ें लोपामुद्रा लोपामुद्रा महर्षि अगस्त्य की पत्नी थी जिनकी सृष्टि उन्होंने स्वयं की थी। इनका पालनपोषण विदर्भराज निमि या क्रथपुत्र भीम ने किया इसलिए इन्हें 'वैदर्भी' भी कहते थे। अगस्त्य से विवाह हो जाने पर राजवस्त्र और आभूषण का परित्याग कर इन्होंने पति के अनुरूप वल्कल एवं मृगचर्म धारण किया। अगस्त्य जी द्वारा प्रहलाद के वंशज इत्वल से पर्याप्त धन ऐश्वर्य प्राप्त होने पर दोनों में समागम हुअ जिससे 'दृढस्यु' नामक पराक्रमी पुत्र की उत्पत्ति हुई। रामचंद्र जी अपने वनवास में लोपामुद्रा तथा अगस्त्य से मिलने उनके आश्रम गए थे। वहाँ ऋषि ने उन्हें उपहारस्वरूप धनुष, अक्षय तूणीर तथा खड्ग दिए थे। Last edited 19 days ago by अनुनाद सिंह RELATED PAGES महाभारत भाग १३ अगस्त्य श्री विद्या  सामग्री CC BY-SA 3.0 के अधीन है जब तक अलग से उल्लेख ना किया गया हो। गोपनीयताडेस्कटॉप

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