Sunday, 3 September 2017

शंकर कहते हैं कि कल्पना से कुछ भी हासिल किया जा .

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Home » Gyan » सिद्धियां प्राप्त करने का आसान रास्ता – Sidhiya prapt karne ka aasan raasta   dharmik सिद्धियां प्राप्त करने का आसान रास्ता – Sidhiya prapt karne ka aasan raasta April 19, 2015 18,506 Views  सिद्धियां प्राप्त करने का आसान रास्ता- Sidhiya prapt karne ka aasan raasta अंतर्ध्यान शक्ति : इसे आप गायब होने की शक्ति भी कह सकते हैं। विज्ञान (science) अभी इस तरह की शक्ति पर काम कर रहा है। हो सकता है कि आने वाले समय में व्यक्ति गायब होने की कोई तकनीकी (technique) शक्ति प्राप्त कर ले। योग अनुसार कायागत रूप पर संयम करने से योगी अंतर्ध्यान हो जाता है। फिर कोई उक्त योगी के शब्द, स्पर्श, गंध, रूप, रस को जान नहीं सकता। संयम करने का अर्थ होता है कि काबू (control) में करना हर उस शक्ति को जो अपन मन से उपजती है। यदि यह कल्पना लगातार की जाए कि मैं लोगों को दिखाई नहीं दे रहा हूं तो यह संभव होने लगेगा। कल्पना यह भी की जा सकती है कि मेरा शरीर पारदर्शी कांच (transparent glass) के समान बन गया है या उसे सूक्ष्म शरीर ने ढांक लिया है। यह धारणा की शक्ति का खेल है। भगवान शंकर कहते हैं कि कल्पना से कुछ भी हासिल किया जा सकता है। कल्पना की शक्ति को पहचाने। जाति स्मरण का प्रयोग : इसे पूर्वजन्म ज्ञान सिद्धि योग कहते हैं जैन धर्म में इसे ‘जाति स्मरण’ कहते हैं। इसका अभ्यास करने या चित्त में स्थित संस्कारों पर संयम (patience) करने से ‘पूर्वजन्म का ज्ञान’ होने लगता है। आत्मबल की शक्ति : योग साधना करें या जीवन का और कोई कर्म आत्मबल की शक्ति या कहें की मानसिक शक्ति (mental power) का सुदृढ़ होना जरूरी है तभी हर कार्य में आसानी से सफलता मिल सकती है। यम-नियम के अलावा मैत्री, मुदिता, करुणा और उपेक्षा आदि पर संयम करने से आत्मबल की शक्ति प्राप्त होती है। बलशाली शरीर : आसनों के करने से शरीर तो पुष्ट होता ही है साथ ही प्राणायाम के अभ्यास (practice) से वह बलशाली बनता है। बल में संयम करने से व्यक्ति बलशाली हो जाता है। बलशाली अर्थात जैसे भी बल की कामना करें वैसा बल उस वक्त प्राप्त हो जाता है। जैसे कि उसे हाथीबल (elephant power) की आवश्यकता है तो वह प्राप्त हो जाएगा। योग के आसन करते करते यह शक्ति प्राप्त होती है। सोच से संचालित होने वाली इस शक्ति को बल संयम कहते हैं। उपवास योगा सिद्धि : कंठ के कूप में संयम करने पर भूख और प्यास की निवृत्ति हो जाती है। कंठ की कूर्मनाड़ी में संयम करने पर स्थिरता व अनाहार सिद्धि होती है। कंठ कूप में कच्छप आकृति की एक नाड़ी (vain) है। उसको कूर्मनाड़ी कहते हैं। कंठ के छिद्र जिसके माध्यम (medium) से पेट में वायु और आहार आदि जाते हैं उसे कंठकूप कहते हैं। कंठ के इस कूप और नाड़ी के कारण ही भूख और प्यास का अहसास (feel) होता है। इस कंठ के कूप में संयम प्राप्त करने के लिए शुरुआत में प्रतिदिन प्राणायाम और भौतिक उपवास का अभ्यास करना जरूरी है। उदान शक्ति : उदानवायु के जीतने पर योगी को जल, कीचड़ और कंकड़ तथा कांटे आदि पदार्थों का स्पर्श नहीं होता और मृत्यु भी वश (death in control) में हो जाती है। कंठ से लेकर सिर तक जो व्यापाक है वही उदान वायु है। प्राणायम द्वारा इस वायु को साधकर यह सिद्धि प्राप्त की जा सकती है। कर्म सिद्धि : सोपक्रम और निरपक्रम, इन दो तरह के कर्मों पर संयम से मृत्यु का ज्ञान हो जाता है। सोपक्रम अर्थात ऐसे कर्म जिसका फल (result) तुरंत ही मिलता है और निरपक्रम जिसका फल मिलने में देरी होती है। क्रिया, बंध, नेती और धौती कर्म से कर्मों की निष्पत्ति हो जाती है। स्थिरता शक्ति : शरीर और चित्त की स्थिरता आवश्यक है अन्यथा सिद्धियों में गति नहीं हो सकती। कूर्मनाड़ी में संयम करने पर स्थिरता होती है। कंठ कूप में कच्छप आकृति की एक नाड़ी है। उसको कूर्मनाड़ी कहते हैं। कंठ के छिद्र जिसके माध्यम से उदर में वायु और आहार आदि जाते हैं उसे कंठकूप कहते हैं। दिव्य श्रवण शक्ति : समस्त स्रोत और शब्दों को आकाश ग्रहण कर लेता है, वे सारी ध्वनियां (sounds) आकाश में विद्यमान हैं। आकाश से ही हमारे रेडियो (radio) या टेलीविजन (television) यह शब्द पकड़ कर उसे पुन: प्रसारित करते हैं। कर्ण-इंद्रियां और आकाश के संबंध पर संयम करने से योगी दिव्यश्रवण को प्राप्त होता है। अर्थात यदि हम लगातार ध्‍यान करते हुए अपने आसपास की ध्वनि को सुनने की क्षमता बढ़ाते जाएं और सूक्ष्म आयाम की ध्वनियों को सुनने का प्रयास करें तो योग और टेलीपैथिक (telepathy) विद्या द्वारा यह सिद्धि प्राप्त की जा सकती है। कपाल सिद्धि : सूक्ष्म जगत को देखने की सिद्धि को कपाल सिद्धि योग कहते हैं। कपाल की ज्योति में संयम करने से योगी को सिद्धगणों के दर्शन होते हैं। मस्तक के भीतर कपाल के नीचे एक छिद्र है, उसे ब्रह्मरंध्र कहते हैं। ब्रह्मरंध्र के जाग्रत होने से व्यक्ति में सूक्ष्म जगत को देखने की क्षमता आ जाती है। हालांकि आत्म सम्मोहन योग (hypnotism) के द्वारा भी ऐसा किया जा सकता है। बस जरूरत है तो नियमित प्राणायाम और ध्यान की। दोनों को नियमित करते रहने से साक्षीभाव गहराता जाएगा तब स्थि‍र चित्त से ही सूक्ष्म जगत देखने की क्षमता हासिल की जा सकती है। प्रतिभ शक्ति : प्रतिभ में संयम करने से योगी को संपूर्ण ज्ञानी की प्राप्त होती है। ध्यान या योगाभ्यास करते समय भृकुटि के मध्‍य तोजोमय तारा नजर आता है। उसे प्रतिभ कहते हैं। इसके सिद्ध होने से व्यक्ति को अतीत, अनागत, विप्रकृष्ट और सूक्ष्मातिसूक्ष्म पदार्थों का ज्ञान हो जाता है। निरोध परिणाम सिद्धि : इंद्रिय संस्कारों का निरोध कर उस पर संयम करने से ‘निरोध परिणाम सिद्धि’ प्राप्त होती है। यह योग साधक या सिद्धि प्राप्त करने के इच्छुक के लिए जरूरी है अन्यथा आगे नहीं बढ़ा जा सकता। निरोध परिणाम सिद्धि प्राप्ति का अर्थ है कि अब आपके चित्त में चंचलता नहीं रही। नि:श्चल अकंप चित्त में ही सिद्धियों का अवतरण होता है। इसके लिए अपने विचारों (thoughts) और श्वासों पर लगातार ध्यान रखें। विचारों को देखते रहने से वह कम होने लगते हैं। विचार शून्य मनुष्य ही स्थिर चित्त होता है। चित्त ज्ञान शक्ति : हृदय में संयम करने से योगी को चित्त का ज्ञान होता है। चित्त में ही नए-पुराने सभी तरह के संस्कार और स्मृतियां होती हैं। चित्त का ज्ञान होने से चित्त की शक्ति का पता चलता है। इंद्रिय शक्ति : ग्रहण, स्वरूप, अस्मिता, अव्वय और अर्थवत्तव नामक इंद्रियों की पांच वृत्तियों पर संयम करने से इंद्रियों का जय हो जाता है। 8.पुरुष ज्ञान शक्ति : बुद्धि पुरुष से पृथक है। इन दोनों के अभिन्न ज्ञान से भोग की प्राप्ति होती है। अहंकारशून्य चित्त के प्रतिबिंब में संयम करने से पुरुष का ज्ञान होता है। तेजपुंज शक्ति : समान वायु को वश में करने से योगी का शरीर ज्योतिर्मय हो जाता है। नाभि के चारों ओर दूर तक व्याप्त वायु को समान वायु कहते हैं। ज्योतिष शक्ति : ज्योति का अर्थ है प्रकाश अर्थात प्रकाश स्वरूप ज्ञान। ज्योतिष का अर्थ होता है सितारों का संदेश। संपूर्ण ब्रह्माण्ड ज्योति स्वरूप है। ज्योतिष्मती प्रकृति के प्रकाश को सूक्ष्मादि वस्तुओं में न्यस्त कर उस पर संयम करने से योगी को सूक्ष्म, गुप्त और दूरस्थ पदार्थों का ज्ञान हो जाता है। लोक ज्ञान शक्ति : सूर्य (sun) पर संयम से सूक्ष्म और स्थूल सभी तरह के लोकों का ज्ञान हो जाता है। नक्षत्र ज्ञान सिद्धि : चंद्रमा (moon) पर संयम से सभी नक्षत्रों को पता लगाने की शक्ति प्राप्त होती है। तारा ज्ञान सिद्धि : ध्रुव तारा हमारी आकाश गंगा का केंद्र (point) माना जाता है। आकाशगंगा में अरबों तारे (stars) हैं। ध्रुव पर संयम से समस्त तारों की गति का ज्ञान हो जाता है। परकाय प्रवेश : बंधन के शिथिल हो जाने पर और संयम द्वारा चित्त की प्रवेश निर्गम मार्ग नाड़ी के ज्ञान से चित्त दूसरे के शरीर में प्रवेश करने की सिद्धि प्राप्त कर लेता है। यह बहुत आसान है, चित्त के स्थिरता से शूक्ष्म शरीर में होने का अहसास बढ़ता है। सूक्ष्म शरीर के निरंतर अहसास से स्थूल शरीर से बाहर निकलने की इच्‍छा। शरीर से बाहर मन की स्वाभाविक वृत्ति है उसका नाम ‘महाविदेह’ धारणा है। उसके द्वारा प्रकाश के आवरणा का नाश हो जाता है। स्थूल शरीर से शरीर के आश्रय की अपेक्षा न रखने वाली जो मन की वृत्ति है उसे ‘महाविदेह’ कहते हैं। उसी से ही अहंकार का वेग दूर होता है। उस वृत्ति में जो योगी संयम करता है, उससे प्रकाश का ढंकना दूर हो जाता है। सर्वज्ञ शक्ति : बुद्धि और पुरुष में पार्थक्य ज्ञान सम्पन्न योगी को दृश्य और दृष्टा का भेद (difference) दिखाई देने लगता है। ऐसा योगी संपूर्ण भावों का स्वामी तथा सभी विषयों का ज्ञाता हो जाता है। भाषा सिद्धि : हमारे मस्तिष्क (brain) की क्षमता अनंत है। शब्द, अर्थ और ज्ञान में जो घनिष्ट संबंध है उसके विभागों पर संयम करने से ‘सब प्राणियों की वाणी का ज्ञान’ हो जाता है। समुदाय ज्ञान शक्ति : शरीर के भीतर और बाहर की स्थिति का ज्ञान होना आवश्यक है। इससे शरीर को दीर्घकाल तक स्वस्थ और जवान (young and healthy) बनाए रखने में मदद मिलती है। नाभिचक्र पर संयम करने से योगी को शरीर स्थित समुदायों का ज्ञान हो जाता है अर्थात कौन-सी कुंडली और चक्र कहां है तथा शरीर के अन्य अवयव या अंग की स्थिति कैसी है। पंचभूत सिद्धि : पंचतत्वों के स्थूल, स्वरूप, सूक्ष्म, अन्वय और अर्थवत्तव ये पांच अवस्‍था हैं इसमें संयम करने से भूतों पर विजय (win on ghosts) लाभ होता है। इसी से अष्टसिद्धियों की प्राप्ति होती है। *और अंत में अष्टसिद्ध के नाम : अणिमा, महिमा, लघिमा, गरिमा, प्राप्ति, प्रकाम्य, इशीता, वशीकरण। tweet   inShare  Tagged with: BHAGWAD GEETA BHAGWAD GITA BHAGWAN DADA DADI KI KAHANIYA DADA DAI KI KAHANIYA DHARMIK BAATEIN IN HINDI DHARMIK KAHANIYA DHARMIK KATHA IN HINDI HINDI KAHANIYA HINDI STORIES HINDU RELIGION HINDU STORIES HINDUISM INSPIRATIONAL STORIES INSPIRATIONAL STORIES IN HINDI INSPIRTAIONAL STORIES KAHANI KAHANIA KAHANIYA MAHABHARAT MOTIVATIONAL STORIES MOTIVATIONAL STORIES IN HINDI MYTHOLOGICAL STORIES NANA NANI KI KAHANIYA PANCHATANTRA STORIES IN HINDI PANCHTANTRA STORIES IN HINDI PAURNIK KATHA PAURNIKKATHA POURANIK KATHA POURANIKATHA RAMAYAN RELIGIOUS RELIGIOUS STORIES SHORT STORIES IN HINDI SIDHIYA PRRAPT KARNE KA AASAN RAASTA SPIRITUAL STORIES STORIES IN HINDI TANTRA MANTRA VRAT KATHA अकबर बिरबल अध्यतम आयुर्वेद आरती कहानिया कीर्तन चनक्य चालिसा जादू टोना ज्ञान तंतर मंतर तेनाली राम देसी इलाज धर्म कर्म धार्मिक धार्मिक कहानिया पुस्तक प्रेरणादायक भगवान भजन भविष्य भागवत गीता भूत प्रेत महाभारत योग रामायण व्रत सिद्धियां प्राप्त करने 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