Thursday, 7 September 2017

विद्या की महिमा

!!!---: विद्या की महिमा :---!!!
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"विद्या नाम नरस्य कीर्तिरतुला
                        भाग्यक्षये चाश्रयो ।
धेनुः कामदुधा रतिश्च विरहे
                            नेत्रं तृतीयं च सा ।
सत्कारायतनं कुलस्य महिमा
                          रत्नैर्विना भूषणम् ।
तस्मादन्यमुपेक्ष्य सर्वविषयं
                            विद्याधिकारं कुरु ॥"

भावार्थ  :--- विद्या मनुष्य की अनुपम कीर्ति है, भाग्य का नाश होने पर वह आश्रय देती है, विद्या कामधेनु है, विरह में रति समान है, विद्या ही तीसरा नेत्र है, सत्कार का मंदिर है, कुल की महिमा है, बिना रत्न का आभूषण है; इस लिए अन्य सब विषयों को छोडकर विद्यावान् बनना चाहिये ।

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