"सनातन" को जाने, तभी "धारण" करें...
क्या आप ने कभी सोचा है की "सनातन धर्म" क्या है?
तथा सनातन धर्म में "सनातन" क्या है?
सनातनमेनमहुरुताद्या स्यात पुनण्रव् ( अधर्ववेद 10/8/23)
अर्थात – सनातन उसे कहते हैं जो , जो आज भी नवीकृत है ।
सनातन शब्द की व्युत्पत्ति- तन (काल संबंध-वाचक)
सदा (सना) : सनातन ; पुरा : पुरातन
‘सनातन’ का अर्थ है – शाश्वत या ‘हमेशा बना रहने वाला’, अर्थात् जिसका न आदि है न अन्त।
“यह पथ सनातन है। समस्त देवता और मनुष्य इसी मार्ग से पैदा हुए हैं तथा प्रगति की है। हे मनुष्यों आप अपने उत्पन्न होने की आधाररूपा अपनी माता को विनष्ट न करें।”—ऋग्वेद-3-18-1
गीता अध्याय-2 श्लोक-24 अनुसार
सनातन आत्मा है, प्रमाण:-
अच्छेद्योऽयमदाह्रोऽयमक्लेद्योऽशोष्य एव च ।
नित्य: सर्वगत स्थाणुरचलोऽयं सनातन: ।।24।।
क्योंकि यह आत्माअच्छेद्य है, यह आत्मा अदाह्रा, अक्लेद्य और नि:सन्देह अशोष्य है तथा यह आत्मा नित्य, सर्वव्यापी, अचल, स्थिर रहने वाला और सनातन है ।।24।।
For this soul is incapable of being cut; it is proof against fire, impervious to water and undriable as well. This soul is eternal, omnipresent, immovable, constant and everlasting.(24)
अयम् = यह आत्मा ; अच्छेद्य: = अच्छेद्य है ; अयम् = यह आत्मा ; अदाह्रा: = अदाह्रा ; अक्लेद्य: = अक्लेद्य ; च = और ; अशोष्य: = अशोष्य है (तथा) ; अयम् = यह आत्मा ; एव = नि:सन्देह ; नित्य: = नित्य ; सर्वगत: = सर्वव्यापक ; अचल: = अचल ; स्थाणु: = स्थिर रहनेवाला (और) ; सनातन: = सनातन है ;
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