Saturday, 16 September 2017

यज्ञ+उपवीत

यज्ञोपवीत (संस्कृत संधि विच्छेद= यज्ञोपवीत (संस्कृत संधि विच्छेद= यज्ञ+उपवीत) शब्द के दो अर्थ हैं-

उपनयन संस्कार जिसमें जनेऊ पहना जाता है और विद्यारंभ होता है। मुंडन और पवित्र जल में स्नान भी इस संस्कार के अंग होते हैं।[1] जनेऊ पहनाने का संस्कार[2]
सूत से बना वह पवित्र धागा जिसे यज्ञोपवीतधारी व्यक्ति बाएँ कंधे के ऊपर तथा दाईं भुजा के नीचे पहनता है।[3][4] यज्ञ द्वारा संस्कार किया गया उपवीत, यज्ञसूत्र या जनेऊ[5]
यज्ञोपवीत एक विशिष्ट सूत्र को विशेष विधि से ग्रन्थित करके बनाया जाता है। इसमें सात ग्रन्थियां लगायी जाती हैं। ब्राम्हणों के यज्ञोपवीत में ब्रह्मग्रंथि होती है।[6]तीन सूत्रों वाले इस यज्ञोपवीत को गुरु दीक्षा के बाद हमेशा धारण किया जाता है। तीन सूत्र हिंदू त्रिमूर्ति ब्रह्मा, विष्णु और महेश के प्रतीक होते हैं।[7]अपवित्र होने पर यज्ञोपवीत बदल लिया जाता है। बिना यज्ञोपवीत धारण कये अन्न जल गृहण नहीं किया जाता। यज्ञोपवीत धारण करने का मन्त्र है

यज्ञोपवीतं परमं पवित्रं प्रजापतेर्यत्सहजं पुरस्तात्।
आयुष्यमग्रं प्रतिमुञ्च शुभ्रं यज्ञोपवीतं बलमस्तु तेजः।।
-----------

ब्राह्मण क्या हे ? उसके कार्य क्या हे ? उसके उदेश्य क्या हे ? उसका धर्म क्या हे ? उसके नियम क्या हे ? व् उसको क्या नियम पालन करना चाहिए ? यही सभी विषय को ध्यान में रखते हुए आगामी दिनों में उदयपुर में भव्य ब्राह्मण सनातन धर्म का विशाल यज्ञ उदयपुर मेवाड़ की धरातल पर वैदिक मंत्रो से राष्ट्रीय ब्राह्मण युवजन सभा के तत्वाधान में होने जा रहा हे मुझे आशा हे की आप सभी इस महायज्ञ में शामिल होकर पूण्य कार्य की आहूति

-
नरेश कुमार शर्मा
जिलाध्यक्ष

चन्द्र शेखर शर्मा
मीडिया प्रभारी

*राष्ट्रीय ब्राह्मण युवजन सभा उदयपुर*+उपवीत) शब्द के दो अर्थ हैं-

उपनयन संस्कार जिसमें जनेऊ पहना जाता है और विद्यारंभ होता है। मुंडन और पवित्र जल में स्नान भी इस संस्कार के अंग होते हैं।[1] जनेऊ पहनाने का संस्कार[2]
सूत से बना वह पवित्र धागा जिसे यज्ञोपवीतधारी व्यक्ति बाएँ कंधे के ऊपर तथा दाईं भुजा के नीचे पहनता है।[3][4] यज्ञ द्वारा संस्कार किया गया उपवीत, यज्ञसूत्र या जनेऊ[5]
यज्ञोपवीत एक विशिष्ट सूत्र को विशेष विधि से ग्रन्थित करके बनाया जाता है। इसमें सात ग्रन्थियां लगायी जाती हैं। ब्राम्हणों के यज्ञोपवीत में ब्रह्मग्रंथि होती है।[6]तीन सूत्रों वाले इस यज्ञोपवीत को गुरु दीक्षा के बाद हमेशा धारण किया जाता है। तीन सूत्र हिंदू त्रिमूर्ति ब्रह्मा, विष्णु और महेश के प्रतीक होते हैं।[7]अपवित्र होने पर यज्ञोपवीत बदल लिया जाता है। बिना यज्ञोपवीत धारण कये अन्न जल गृहण नहीं किया जाता। यज्ञोपवीत धारण करने का मन्त्र है

यज्ञोपवीतं परमं पवित्रं प्रजापतेर्यत्सहजं पुरस्तात्।
आयुष्यमग्रं प्रतिमुञ्च शुभ्रं यज्ञोपवीतं बलमस्तु तेजः।।
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ब्राह्मण क्या हे ? उसके कार्य क्या हे ? उसके उदेश्य क्या हे ? उसका धर्म क्या हे ? उसके नियम क्या हे ? व् उसको क्या नियम पालन करना चाहिए ? यही सभी विषय को ध्यान में रखते हुए आगामी दिनों में उदयपुर में भव्य ब्राह्मण सनातन धर्म का विशाल यज्ञ उदयपुर मेवाड़ की धरातल पर वैदिक मंत्रो से राष्ट्रीय ब्राह्मण युवजन सभा के तत्वाधान में होने जा रहा हे मुझे आशा हे की आप सभी इस महायज्ञ में शामिल होकर पूण्य कार्य की आहूति

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नरेश कुमार शर्मा
जिलाध्यक्ष

चन्द्र शेखर शर्मा
मीडिया प्रभारी

*राष्ट्रीय ब्राह्मण युवजन सभा उदयपुर*

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