Friday, 8 September 2017

श्रद्धावानम् लभते ज्ञानं

sachidanand.org आत्म साक्षात्कार के लिए सर्प्रथम श्रद्धा होना चाहिए . admin /October 28, 2014  श्रद्धावान को ही ज्ञान प्राप्त होता है [श्रद्धावानम् लभते ज्ञानं ]. श्रद्धा का अर्थ किसी व्यक्ति में श्रद्धा नहीं है . “सत्य ” में श्रद्धा ही श्रद्धा है . भारत में कुछ लोगों ने कठोर साधना ,त्याग और तप के द्वारा यह जाना कि इस जगत और मन के परे एक परम सत्ता है , जो अक्षर है ,सचिदानंद है ,सत्य ,ज्ञान व अनंत है आदि आदि . उस परम सत्य को हिन्दुओं ने ब्रह्म कहा ,बुद्ध ने उसे सत्य कहा ,निर्वाण कहा ,किसी ने आत्मा कहा . वह सत्य मन और इन्दिर्यों से परे है . इस ब्रह्म को जानने का उपाय आत्म ज्ञान है ,आत्मा ही ब्रह्म है . Source: Social Blog Author: admin SPIRITUAL SPIRIUAL TRADITION RECENT POSTS  भक्त :- “बुद्धम शरणम् गच्छामि” का क्या अर्थ है ? January 15, 2017  भक्त : स्वामीजी ! मेरे पति मुझे प्रेम नहीं करते ,इस बात को लेकर मैं बहुत दुखी रहती हूँ ? January 14, 2017  प्रश्न : ध्यान रोजाना कितनी देर करना चाहिए January 14, 2017 TAGS Books Life Mantra Meditation Peace Philosophy Relaxation Spiritual Spiriual Tradition Yoga 2016 © sachidanand.org | All Rights Reserved. Terms of Use Privacy and Policy HOME ARCHIVES ABOUT SWAMIji CONTACT

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