Monday, 1 January 2018

निशान साहिब

खोजें आध्यात्मिक जगतसिक्ख गुरु साहिबानश्री गुरु गोबिंद सिंह जीखालसा पंथ की साजना श्री गुरु गोबिंद सिंह जी - खालसा पंथ की साजना 1 2 3 4 5 (1 Vote) font size 12641 Views inShare पाँच प्यारों का चुनाव करना  वैसाखी संवत १७४६ वाले दिन एक बहुत बड़े पंडाल में गुरु जी का दीवान सजा| सभी संगत एकत्रित हो गई| संगत आप जी के वचन सुन ही रही थी कि गुरु जी अपने दाँये हाथ में एक चमकती हुई तलवार ले कर खड़े हो गए| श्री गुरु गोबिंद सिंह जी - खालसा पंथ की साजना सुनने के लिए Play Button क्लिक करें | Listen Audio 0:00 श्री गुरु गोबिंद सिंह (Shri Guru Gobind Singh Ji) जी ने ऊँची आवाज में कहा कि कोई सिख हमे अपना शीश भेंट दे| आप जी के यह वचन सुनकर भाई दया राम जी उठ कर खड़े हो गए और प्रार्थना कि गुरूजी मेरा शीश हाजिर है|गुरु जी बाजू पकड़कर तम्बू में ले गए| कुछ समय के बाद रक्त से भीगी तलवार लेकर तम्बू से बाहर आ गए| गुरु जी ने फिर एक और सिख के शीश कि मांग की| फिर भाई धर्म जी हाथ जोड़कर खड़े हो गए| उसे भी गुरु जी हाथ पकडकर अंदर ले गए|खून से भीगी तलवार लेकर गुरु जी ने फिर से शीश की माँग की| अब मुहकम चंद जी  व चौथी बार भाई साहिब चंद जी आये| गुरु जी ने फिर वैसे ही किया|हाथ पकड़कर अंदर ले गए व फिर खून से भीगी तलवार लेकर शीश की माँग| अब पांचवी बार हिम्मत मल जी हाथ जोड़कर खड़े हो गए| गुरु जी उन्हें भी अंदर ले गए| गुरु जी ने तलवार को म्यान में डाल दिया और सिंघासन पर बैठ गए| तम्बू में ही पाँच शीश भेंट करने वाले प्यारों को नयी पोशाकें पहना कर अपने पास बैठा कर संगत को कहा की यह पाँचो मेरा ही स्वरूप है और मैं इनका स्वरूप हूँ| यह पाँच मेरे प्यारे है| अमृत तैयार करके छकाना  तीसरे पहर गुरु जी ने लोहे का बाटा मँगवा कर उसमें सतलुज नदी का पानी डाल कर अपने आगे रख दिया| पाँच प्यारों को सजा कर अपने सामने खड़ा कर लिया| फिर अपने बांये हाथ से बाटे को पकड़कर दाँये हाथ से खंडे को जल में घुमाते रहे|मुख से जपुजी साहिब आदि बाणियो  का पाठ करते रहे|पाठ की समाप्ति के बाद अरदास करके पाँच प्यारों को बारी-२ पहले अमृत के पाँच-पाँच घूँट  पिलाये| फिर पाँच-२ बार हरेक की आँखों पर इसके छींटे मारे| पाँच-२ घूँट हरेक के केशों में डाले|हर बार बोल " वाहिगुरू जी का खालसा वाहिगुरू जी की फतह " पहले आप कहते और पीछे-२  अम्रृत पीने वाले को कहलाते| इस तरह गुरु जी ने अमृत पिला कर हरेक प्यारों को सिंह पद प्रदान किया जैसे- १. भाई दया सिंह जी (Bhai Daya Singh Ji) २. भाई धर्म सिंह जी (Bhai Dhram Singh Ji) ३. भाई मुहकम सिंह जी (Bhai Muhkm Singh Ji) ४. भाई साहिब सिंह जी (Bhai Sahib Singh Ji) ५. भाई हिम्मत सिंह जी (Bhai Himat Singh Ji) इस तरह पाँच प्यारों को हर प्रकार की शिक्षा से तयार करके गुरु गोबिंद जी ने उनसे आप अमृत छका और अपने नाम के साथ भी श्री गोबिंद राय से श्री गुरु गोबिंद सिंह जी (Shri Guru Gobind Singh Ji) कहलाये| जिस स्थान पर आप जी ने यह सारा कौतक रचा, उसका नाम केशगढ़ रखा| जो इस समय तख़्त केसगढ़ के नाम से आनंदपुर साहिब में सुशोभित है| इस सारे उत्साह भरपूर चरित्र को देखकर और भी हजारों सिक्खों ने खंडे का अमृत छककर सिंह सज गए| सब सिखों ने अमृत छक कर पाँच ककार की रहत धारण करके अपने नाम के साथ "सिंह" रख लिया|  श्री गुरु गोबिंद सिंह जी - जीवन परिचय श्री गुरु गोबिंद सिंह जी - गुरुगद्दी मिलना श्री गुरु गोबिंद सिंह जी - ज्योति ज्योत समाना सोने का कड़ा गंगा नदी में फैंकना Please write your thoughts or suggestions in comment box given below. This will help us to make this portal better.SpiritualWorld.co.in, Administrator अपनी आप बीती, आध्यात्मिक या शिक्षाप्रद कहानी को अपने नाम के साथ इस पोर्टल में सम्मलित करने हेतु हमें ई-मेल करें । (Email your story with your name, city, state & country to: info@spiritualworld.co.in) Submit your story to publish in this portal shri guru gobind singh jisikhismSakhiya Media RELATED ITEMS जेठा जी को लाहौर भेजना हवन कुंड के स्थान पर अमृत तीर्थ अकबर की श्री गुरु अमरदास जी को भेंट श्री जेठा जी को आदेश सेवा की प्रेरणा देना उत्तम सेवा - गुरु का तीर्थ श्री गुरु अर्जुन देव जी का धीरज बीबी भानी को वरदान देना गुरु के चक्क व गुरु के महल More in this category: « श्री गुरु गोबिंद सिंह जी - ज्योति ज्योत समाना श्री गुरु गोबिंद सिंह जी - गुरुगद्दी मिलना » श्री गुरु गोबिंद सिंह जी - साखियाँ जेब काटने वाले चोर को शिक्षा श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के दरबार में सदा एक… अरदास की महत्ता एक दिन उजैन शहर के रहने वाले एक सिक्ख बशंबर… आज्ञा मानने की व्याख्या एक दिन श्री गुरु गोबिंद सिंह जी दीवान की ओर… चरण पाहुल तथा खंडे के अमृत की शक्ति सिक्खों ने पांच प्रकार की सिक्खी का उल्लेख सुनकर श्री… गधे को शेर की पौशाक पहना कर सिखों को शिक्षा एक दिन श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने सिक्खों को… लंगर की परीक्षा करनी आनंदपुर में सिक्ख संगत ने अपने अपने डेरों में लंगर… पूर्ण सिक्ख के लक्षण व सिक्खी धारण योग्य बातें श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने वचन किया कि हे… ब्राहमणों की परीक्षा करनी श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने ब्राहमणों का चुनाव करने… शुद्ध गुरुबाणी पढ़ने का महत्व एक दिन एक सिक्ख श्री गुरु गोबिंद सिंह जी की… सोने का कड़ा गंगा नदी में फैंकना एक दिन गुरु गोबिंद सिंह जी गंगा में नाव की…   Videos नम्रता का पाठ एक बार अमेरिका के राष्ट्रपति जॉर्ज वॉशिंगटन नगर की स्थिति का जायजा लेने के लिए निकले। रास्ते में एक जगह भवन का निर्माण कार्य चल रहा था। वह कुछ देर के लिए वहीं रुक गए और वहां चल रहे कार्य को गौर से देखने लगे। कुछ देर में उन्होंने देखा कि कई मजदूर एक बड़ा-सा पत्थर उठा कर इमारत पर ले जाने की कोशिश कर रहे हैं। किंतु पत्थर बहुत ही भारी था, इसलिए वह more...   Download Wallpapers व्यर्थ की लड़ाई एक आदमी के पास बहुत जायदाद थी| उसके कारण रोज कोई-न-कोई झगड़ा होता रहता था| बेचारा वकीलों और अदालत के चक्कर के मारे परेशान था| उसकी स्त्री अक्सर बीमार रहती थी| वह दवाइयां खा-खाकर जीती थी और डॉक्टरों के मारे उसकी नाक में दम था| एक दिन पति-पत्नी में झगड़ा हो गया| पति ने कहा - "मैं लड़के को वकील बनाऊंगा, जिससे वह मुझे सहारा दे सके|" more...   English Version धर्म और दुकानदारी एक दिन एक पण्डितजी कथा सुना रहे थे| बड़ी भीड़ इकट्ठी थी| मर्द, औरतें, बच्चे सब ध्यान से पण्डितजी की बातें सुन रहे थे| पण्डितजी ने कहा - "इस दुनिया में जितने प्राणी हैं, सबमें आत्मा है, सारे जीव एक-समान हैं| भीड़ में एक लड़का और उसका बाप बैठा था| पण्डितजी की बात लड़के को बहुत पसंद आई और उसने उसे गांठ बांध ली| अगले दिन लड़का दुकान पर गया| थोड़ी देर में एक more...   E-Mail समझदारी की बात एक सेठ था| उसने एक नौकर रखा| रख तो लिया, पर उसे उसकी ईमानदारी पर विश्वास नहीं हुआ| उसने उसकी परीक्षा लेनी चाही| अगले दिन सेठ ने कमरे के फर्श पर एक रुपया डाल दिया| सफाई करते समय नौकर ने देखा| उसने रुपया उठाया और उसी समय सेठ के हवाले कर दिया| दूसरे दिन वह देखता है कि फर्श पर पांच रुपए का नोट पड़ा है| उसके मन में थोड़ा शक पैदा हुआ| more... आध्यात्मिक जगत - World of Spiritual & Divine Thoughts. महान भक्त I राजा जनक भगत बुल्ले शाह जी भगत रहीम जी भगत रविदास जी भगत नामदेव जी महान भक्त II भक्त बेनी जी भक्त सधना जी भक्त भीखण जी भक्त सैन जी भक्त धन्ना जी महान भक्त III अजामल जी गनिका जी राजा हरिचन्द राजा उग्रसैन गजिन्द्र हाथी महान भक्त IV भक्त अम्ब्रीक जी भक्त अंगरा जी भक्त पीपा जी भक्त जयदेव जी भक्त त्रिलोचन जी महान भक्त V भक्त शेख फरीद जी भक्त परमानंद जी भक्त रामानंद जी भक्त सूरदास जी भक्त ध्रुव जी महान भक्त VI भक्त मीरा बाई जी महर्षि वाल्मीकि जी राजा बली भाई समुन्दा जी भक्त परमानंद जी DISCLAIMER   इस वेबसाइट का उद्देश्य जन साधारण तक अपना संदेश पहुँचाना है| ताकि एक धर्म का व्यक्ति दूसरे धर्म के बारे में जानकारी ले सके| इस वेबसाइट को बनाने के लिए विभिन्न पत्रिकाओं, पुस्तकों व अखबारों से सामग्री एकत्रित की गई है| इसमें किसी भी प्रकार की आलोचना व कटु शब्दों का प्रयोग नहीं किया गया| Special Thanks to Dr. Rajni Hans, Ms. Karuna Miglani, Ms. Anisha Arora, Mr. Ashish Hans, Ms. Mini Chhabra & Ms. Ginny Chhabra for their contribution in development of this spiritual website. 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