Thursday 30 March 2017

मौली का महत्व

खबर-संसारज्योतिषबॉलीवुडधर्म-संसारNRIवीडियोअन्यProfessional Courses हिंदी  धर्म-संसार>सनातन धर्म>नीति नियम धार्मिक कार्य में मौली क्यों बांधते हैं? WD|  येन बद्धो बलीराजा दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे माचल माचल।। मौली बांधना वैदिक परंपरा का हिस्सा है। यज्ञ के दौरान इसे बांधे जाने की परंपरा तो पहले से ही रही है, लेकिन इसको संकल्प सूत्र के साथ ही रक्षा-सूत्र के रूप में तब से बांधा जाने लगा, जबसे असुरों के दानवीर राजा बलि की अमरता के लिए भगवान वामन ने उनकी कलाई पर रक्षा-सूत्र बांधा था। इसे रक्षाबंधन का भी प्रतीक माना जाता है, ‍जबकि देवी लक्ष्मी ने राजा बलि के हाथों में अपने पति की रक्षा के लिए यह बंधन बांधा था। मौली को हर हिन्दू बांधता है। इसे मूलत: रक्षा सूत्र कहते हैं।  FILE मौली का अर्थ : 'मौली' का शाब्दिक अर्थ है 'सबसे ऊपर'। मौली का तात्पर्य सिर से भी है। मौली को कलाई में बांधने के कारण इसे कलावा भी कहते हैं। इसका वैदिक नाम उप मणिबंध भी है। मौली के भी प्रकार हैं। शंकर भगवान के सिर पर चन्द्रमा विराजमान है इसीलिए उन्हें चंद्रमौली भी कहा जाता है। मौली बांधने का मंत्र : ‘येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।’ कैसी होती है मौली? : मौली कच्चे धागे (सूत) से बनाई जाती है जिसमें मूलत: 3 रंग के धागे होते हैं- लाल, पीला और हरा, लेकिन कभी-कभी यह 5 धागों की भी बनती है जिसमें नीला और सफेद भी होता है। 3 और 5 का मतलब कभी त्रिदेव के नाम की, तो कभी पंचदेव। कहां-कहां बांधते हैं मौली? : मौली को हाथ की कलाई, गले और कमर में बांधा जाता है। इसके अलावा मन्नत के लिए किसी देवी-देवता के स्थान पर भी बांधा जाता है और जब मन्नत पूरी हो जाती है तो इसे खोल दिया जाता है। इसे घर में लाई गई नई वस्तु को भी बांधा जाता और इसे पशुओं को भी बांधा जाता है। अगले पन्ने पर मौली बांधने के नियम... << < 1 2 3 4 5 6 7 > >> वेबदुनिया हिंदी मोबाइल ऐप अब iOS पर भी, डाउनलोड के लिए क्लिक करें। एंड्रॉयड मोबाइल ऐप डाउनलोड करने के लिए क्लिक करें। ख़बरें पढ़ने और राय देने के लिए हमारे फेसबुक पन्ने और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं। 

No comments:

Post a Comment