Friday, 31 March 2017

ब्राह्मण कर्म

 सत्यमार्ग जाति जन्म से या कर्म से  हरी शरणम् 2 years ago  ***  *** आज तक जब भी किसी ने उंगली उठाई है तो केवल ब्राह्मण पर । लोग कहते है कि ब्राह्मण कर्म से होता है , जाति से नहीं । मैने कभी ये नहीं सुना कि क्षत्रिय कर्म से होता है , जाति से नहीं । कभी ये नहीं सुना कि वैश्य कर्म से होता है , जाति से नहीं । कभी ये नहीं सुना कि शूद्र कर्म से होता है , जाति से नहीं । लेकिन हमेशा जाति के मामले में ब्राह्मण पर उंगली उठाई गई है । मेरा जवाब हमेशा यही होता है कि जाति जन्म से होती है , कर्म से नहीं । क्योंकि ब्राह्मण कुल में जन्म लेने वाले ने कर्म ही एसे किये होते है कि उसे ब्राह्मण के घर जन्म मिलता है । ब्राह्मण , क्षत्रिय , वैश्य और शूद्र बनना व्यक्ति के हाथ में नहीं है । यह तो कर्म गति से भगवान के द्वारा दी जाति है । जाति जन्म से होती है इस बात का प्रमाण देखो :– भगवान कृष्ण ने जब वत्सासुर का वध किया , तब उन्हे ब्रह्महत्या का दोष लगा और उसी दोष को मिटाने के लिये भगवान ने गोवर्धन में मन से गंगा प्रकट की जो आज भी मानसी गंगा के नाम से विख्यात है । एक राक्षस को मारने पर ब्रह्महत्या का दोष कैसे लगा ? मैं आपको बताता हूँ कि यह राक्षस कि मृत्यु ब्रह्महत्या में कैसे बदली ? क्यों कि भगवान ने उस राक्षस का जब वध किया तब वह गाय के बछडे के रूप में था , इसलिये भगवान को ब्रह्महत्या लगी । इस बात से यह पूर्ण रूप से सिद्ध होती है कि जाति जन्म से होती है , कर्म से नहीं । क्योंकि वह बछडा कर्म से राक्षस था , लेकिन शरीर बछडे का था । ब्राह्मण को शास्त्रों मे अवध्य बताया गया है । चाहे ब्राह्मण कितना ही बडा पापी क्यों ना हो तो भी उसका वध नहीं करना चाहिये , क्यों कि यह ब्रह्महत्या है । अश्वत्थामा ब्राह्मण था , उसने पाण्डवों के पाँचों पुत्रों कि हत्या कर दी थी । लेकिन भगवान ने पाण्डवों को उसका वध नहीं करने दिया और कहा कि ब्राह्मण का अपमान ही ब्राह्मण कि मृत्यु होता है । अतः इसके मस्तक से मणि निकालकर इसका अपमान कर दो , यही इसके लिये मृत्युदण्ड है । तुलसीदास जी ने सर्वप्रथम ब्राह्मणों कि वंदना कि है । बंदउँ प्रथम महीसुर चरना । मोह जनित संसय सब हरना ॥ सुजन समाज सकल गुन खानी । करउँ प्रनाम सप्रेम सुबानी ॥ पहले पृथ्वी के देवता ब्राह्मणों के चरणों की वंदना करता हूँ , जो अज्ञान से उत्पन्न सब संदेहों को हरने वाले हैं । फिर सब गुणों की खान संत समाज को प्रेम सहित सुंदर वाणी से प्रणाम करता हूँ । भगवान राम ने अवतार ब्राह्मण , गाय , देवताओं और संतों के हित के लिये लिया । “” विप्र धेनु सुर संत हित , लीन्ह मनुज अवतार ।। ब्राह्मण कि इतनी महिमा होते हुये भी सबसे अधिक निन्दा आज ब्राह्मण कि ही की जाति है । गाय को लोग माता कहते है , लेकिन घर के द्वार पर आकर खडी हो जाये तो डण्डा लेकर मारने दौड़ते है । कुत्ता जो अस्पृश्य जीव है , उसे गोदी में लेकर घंटों तक लाड़ लडाते है । यही कलियुग है । Advertisements Categories: आर्यसमाज एवं नास्तिको का पर्दाफाश, नास्तिको एवं आर्यसमाज का पर्दाफाश Leave a Comment सत्यमार्ग Powered by WordPress.com. Back to top

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