Friday 31 March 2017

नाद

खबर-संसारज्योतिषबॉलीवुडधर्म-संसारNRIवीडियोअन्य हिंदी  लाइफ स्‍टाइल>योग>आलेख नाद : ब्रह्मांड से जुड़ने का योग ॐ पर ध्यान देने का सही तरीका अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'|   ND FILE नाद दो तरह के होते हैं आहद और अनाहद। आहद का अर्थ दो वस्तुओं के संयोग से उत्पन्न ध्वनि और अनाहद का अर्थ जो स्वयं ही ध्वनित है। जैसे एक हाथ से बजने वाली ताली। ताली तो दो हाथ से ही बजती है तो उसे तो आहद ध्वनि ही कहेंगे। नाद कहते हैं ध्वनि को। ध्वनि की तरंग को। नाद योग का उद्‍येश्य है आहद से अनाहद की ओर ले जाना। आप पहले एक नाद उत्पन्न करो, फिर उस नाद के साथ अपने मन को जोड़ो। मन को एकतार में लगाए रखने के लिए ही तो ॐ का अविष्कार हुआ है। ओम ही है एकमात्र ऐसा प्रणव मंत्र जो आपको अनाहद की ओर ले जा सकता है। यह पुल की तरह है। जिस तरह योग में आसन के लिए सिद्धासन और शक्तियों में कुम्भक प्राणायाम है, उसी तरह लय और नाद भी है। परमात्मा तत्व को जानने के लिए नादयोग को ही महान बताया गया है। जब किसी व्यक्ति को इसमें सफलता मिलने लगती है, तब उसे नाद सुनाई देता है। नाद का सुनाई देना सिद्धि प्राप्ति का संकेत है। नाद समाधि खेचरी मुद्रा से सिद्ध होती है। ऐसे साधे नाद को : इस ॐ की ध्वनि का अनुसंधान करना ही नाद योग या नादानुसंधान कहलाता है। जैसे ॐ (ओम) का उच्चारण आपने किया, तो उस ध्वनि को आप अपने कानों से सुनते भी हैं। ऊँ का उच्चारण करने से इस शब्द की चोट से शरीर के किन-किन हिस्सों में खास प्रभाव पड़ रहा है, उसको ध्यान से जाने, अनुसंधान करें। सर्वप्रथम कानों को अँगूठे या पहली अँगुली से बंद करें और ॐ का भ्रमर गुंजन करें तो उसका सबसे अधिक प्रभाव गालों में, मुँह में, गर्दन में पड़ेगा। फिर आप कानों के पिछले हिस्से में, नाक पर, फिर कपाल में, सिर में आप गुंजन की तरंगों को क्रमश: महसूस करें। इस नाद की तरंगों की खोज करना और यह नाद कहाँ से निकल रहा है, उसका भी पीछा करना और इस नाद की तरंगें कहाँ-कहाँ जा रही हैं, उसको बहुत ध्यान से सुनना ही नाद-अनुसंधान है और इसको ही नाद योग कहते हैं। एक उपनिषद् का नाम है 'नाद बिंदु' उपनिषद। जिसमें बहुत से श्लोक इस नाद पर आधारित हैं। नाद क्या है, नाद कैसे चलता है, नाद के सुनने का क्या लाभ है, इन सब की चर्चा इसमें की गई है। नाद को जब आप करते हो तो यह है इसकी पहली अवस्था। सधने पर : ॐ के उच्चारण का अभ्यास करते-करते एक समय ऐसा आता है जबकि उच्चारण करने की आवश्यकता नहीं होती आप सिर्फ आँखें और कानों को बंद करके भीतर उसे सुनें और वह ध्वनि सुनाई देने लगेगी। भीतर प्रारंभ में वह बहुत ही सूक्ष्म सुनाई देगी फिर बढ़ती जाएगी। साधु-संत कहते हैं कि यह ध्वनि प्रारंभ में झींगुर की आवाज जैसी सुनाई देगी। फिर धीरे-धीरे जैसे बीन बज रही हो, फिर धीरे-धीरे ढोल जैसी थाप सुनाई देने लग जाएगी, फिर यह ध्वनि शंख जैसी हो जाएगी। योग कहता हैं कि प्रत्येक व्यक्ति के भीतर दैवीय शब्द ध्वनित होते रहते हैं, लेकिन व्यक्ति को इतनी भी फुरसत नहीं है कि स्वयं को सुन ले। कहते हैं कि दिल धड़कता है प्रति मिनट 70 बार लेकिन व्यक्ति उसे सुन ही नहीं पाता। इसी तरह भीतर के बहुत से अँग आपसे बात करना चाहते हैं यह बताने के लिए कि हम ब्रह्मांड की आवाज सुनने की क्षमता रखते हैं, लेकिन जनाब आपको फुरसत ही कहाँ। जब हम बीमार पड़ते हैं तभी आपको पता चलता हैं कि हम हैं। ॐ किसी शब्द का नाम नहीं है। ॐ एक ध्वनि है, जो किसी ने बनाई नहीं है। यह वह ध्वनि है जो पूरे कण-कण में, पूरे अंतरिक्ष में हो रही है। वेद, गीता, पुराण, कुरआन, बाइबल, नानक की वाणी सभी इसकी गवाह है। योग कहता हैं कि इससे सुनने के लिए शुरुआत स्वयं के भीतर से ही करना होगी। ॐ। वेबदुनिया हिंदी मोबाइल ऐप अब iOS पर भी, डाउनलोड के लिए क्लिक करें। एंड्रॉयड मोबाइल ऐप डाउनलोड करने के लिए क्लिक करें। ख़बरें पढ़ने और राय देने के लिए हमारे फेसबुक पन्ने और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं।  Sponsored Links You May Like Play This for 1 Minute & See Why Everyone's Addicted Get it on Google Play - Viking If You Have an Android, This Strategy Game Is a Must-Have Download from the Play Store - Forge of Empires An Economics Lesson for Political Pollsters Bloomberg by Taboola 

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