Friday, 31 March 2017

ब्रह्मचर्य पालन की आवश्यकता

खबर-संसारज्योतिषबॉलीवुडधर्म-संसारNRIवीडियोअन्य हिंदी  धर्म-संसार>सनातन धर्म>नीति नियम 25 वर्ष की उम्र तक ब्रह्मचर्य क्यों? अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'|  हालांकि आयुर्वेद मानता है कि मनुष्य लगभग 113 वर्ष तक जीवित रह सकता है। हिंदू धर्म अनुसार इंसान की 100 वर्ष की आयु के चार भाग हैं। 25-25 वर्ष में विभाजित इन चार भागों को चार आश्रमों में बांटा गया है, ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास।  बाल्य और किशोरावस्था में व्यक्ति गुरुकुल में दीक्षा ग्रहण कर शिक्षा अर्जित करता था। यौवन में वह गृहस्थ के कर्तव्य का निर्वहन करता था। प्रौढ़ावस्था में वह भौतिक वस्तुओं और व्यक्तियों का मोह त्याग कर पूर्णत: सामाज और धर्म को जीवन समर्पित कर कार्य करता है। वानप्रस्थ का अर्थ यह भी है कि घर पर रहते हुए ही मनुष्य ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करे, संयम का अभ्यास करे, बच्चों को विद्या पढ़ाएं, फिर धीरे-धीरे अपनी जिम्मेदारी अपने बच्चों पर डालकर बाहर निकल जाए अंत में वृद्धावस्था में वह संन्यस्त होकर सभी वस्तुओं का त्याग कर संन्यासियों जैसा ही जीवन व्यतीत करता है। इसमें पहला आश्रम है ब्रह्मचर्य आश्रम, जिसे आमतौर पर जीवन के पहले 25 साल तक माना गया है। 25 वर्ष की आयु तक हर व्यक्ति को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। ब्रह्मचर्य का प्रथम अर्थ संभोग की शक्ति का संचय करना। दूसरा अर्थ शिक्षा और ‍भक्ति का संचय करना और तीसरा अर्थ ब्रह्म की राह पर चलना। अर्थात सिर्फ संचय ही संचय करना। कुछ भी खर्च नहीं करना। हिन्दू धर्मानुसार जन्म से लेकर 7 वर्ष की उम्र तक व्यक्ति अपने माता ‍पिता के पास ही रहता है उसके बाद उसका विद्याआरंभ संस्कार होता है। इस दौरान वह किसी श्रेष्ठ गुरु के आश्रम में 25 वर्ष की उम्र तक रहकर शिक्षा, विद्या और ‍भक्ति का पाठ पढ़ता है। उपरोक्तानुसार बताए गए ब्रह्मचर्य के पालन से व्यक्ति के वीर्य का, शिक्षा का, विद्या का और भक्ति का संचय होता है। उक्त संचय से ही व्यक्ति का गृहस्थ जीवन पुष्ट और सफल बनता है। इसीलिए 25 वर्ष की आयु तक व्यक्ति को अपनी शारीरिक और मानसिक क्षमता बढ़ाना चाहिए क्योंकि इसी दौरान इनका विकास होता है। व्यक्ति के शरीर में अधिकांश बदलाव और विकास 25 वर्ष की आयु तक हो जाता है। अगर इसके पहले ही व्यक्ति अपनी शक्ति को बरबाद करने लगेगा तो उसका गृहस्थ जीवन कई तरह के रोग और शोक से घिर जाएगा। 25 वर्ष की आयु तक चिकित्सा विज्ञान के मुताबिक शरीर में वीर्य और रक्तकणों का विकास बहुत तेजी से होता है, उस समय अगर इसे शरीर में संचित किया जाए तो यह काफी स्वास्थ्यप्रद होता है। इससे शरीर पुष्ट बनता है। 25 वर्ष की उम्र के पहले ही ब्रह्मचर्य तोड़ने से समय पूर्व बुढ़ापा आना और नपुंसकता या संतान उत्पत्ति में परेशानी की आशंका प्रबल हो जाती है। इससे मानसिक विकास, शिक्षा, करियर आदि सभी में रुकावट भी शुरू हो जाती है। आश्रमों की परम्परा जब तक हमारे देश में जीवित रही तब तक यश, श्री और सौभाग्य में यह राष्ट्र सर्व शिरोमणि बना रहा। लेकिन अब उसका पतन हो गया है। स्वर्ण पाखी था जो कभी अब भिखारी है जगत का। वेबदुनिया हिंदी मोबाइल ऐप अब iOS पर भी, डाउनलोड के लिए क्लिक करें। एंड्रॉयड मोबाइल ऐप डाउनलोड करने के लिए क्लिक करें। ख़बरें पढ़ने और राय देने के लिए हमारे फेसबुक पन्ने और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं।  Sponsored Links You May Like Play This for 1 Minute & See Why Everyone's Addicted Get it on Google Play - Viking If You Have an Android, This Strategy Game Is a Must-Have Download from the Play Store - Forge of Empires All eyes on Livingstone ESPN Cricinfo by Taboola

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