Thursday, 30 March 2017

त्रिपुंड लगाने की विधि

 कहां,कैसे और क्यों धारण करे त्रिपुण्ड (Tripund)? JUNE 18, 2015 BY AG LEAVE A COMMENT  How to apply Tripund Tilak : ललाट अर्थात माथे पर भस्म या चंदन से तीन रेखाएं बनाई जाती हैं उसे त्रिपुंड कहते हैं। भस्म या चंदन को हाथों की बीच की तीन अंगुलियों से लेकर सावधानीपूर्वक माथे पर तीन तिरछी रेखाओं जैसा आकार दिया जाता है। शैव संप्रदाय के लोग इसे धारण करते हैं। शिवमहापुराण के अनुसार त्रिपुंड की तीन रेखाओं में से हर एक में नौ-नौ देवता निवास करते हैं। इनके नाम इस प्रकार हैं-   Sponsored by RevcontentTrending Now  त्रिपुंड की पहली रेखा के नौ देवता – अकार, गार्हपत्य अग्नि, पृथ्वी, धर्म, रजोगुण, ऋग्वेद, क्रिया शक्ति, प्रात:स्वन, महादेव त्रिपुंड की दूसरी रेखा के नौ देवता ऊंकार, दक्षिणाग्नि, आकाश, सत्वगुण, यजुर्वेद, मध्यंदिनसवन, इच्छाशक्ति, अंतरात्मा, महेश्वर त्रिपुंड की तीसरी रेखा के नौ देवता  मकार, आहवनीय अग्नि, परमात्मा, तमोगुण, द्युलोक, ज्ञानशक्ति, सामवेद, तृतीयसवन, शिव कैसे और कहाँ धारण करें त्रिपुण्ड ? 1- मस्तक, ललाट, दोनों कान, दोनों नेत्र, दोनों कोहनी, दोनों कलाई, ह्रदय, दोनों पाश्र्व भाग, नाभि, दोनों अण्डकोष, दोनों अरु, दोनों गुल्फ, दोनों घुटने, दोनों पिंडली और दोनों पैर। इन बत्तीस अंगों में अग्नि, जल, पृथ्वी, वायु, दस दिक्प्रदेश, दस दिक्पाल और आठ वसुओं का वास है। इन सभी का नाम लेकर इनके उचित स्थानों में ही त्रिपुण्ड लगना चाहिए। 2- मस्तक में शिव, केश में चंद्रमा, दोनों कानों में रुद्र और ब्रह्मा, मुख में गणेश, दोनों भुजाओं में विष्णु और लक्ष्मी, ह्रदय में शंभू, नाभि में प्रजापति, दोनों उरुओं में नाग और नागकन्याएं, दोनों घुटनों में ऋषिकन्याएं, दोनों पैरों में समुद्र और विशाल पुष्ठभाग में सभी तीर्थ देवता रूप में रहते हैं। इन सोलह स्थानों पर भी त्रिपुण्ड धारण करने चाहिए। 3- गुह्र स्थान, ललाट, कर्णयुगल, दोनों कंधे, ह्रदय और नाभि। ये आठों स्थान ब्रह्मा और सप्तर्षि के निवास स्थान हैं। इन आठों स्थानों पर पवित्र मन से त्रिपुण्ड धारण करना चाहिए। 4- मस्तक, दोनों भुजाओं, ह्रदय और नाभि। इन पांच स्थानों को भस्म और चंदन त्रिपुण्ड लगाने के लिए उत्तम माना गया है। अत: देशकाल व परिस्थिति को देखते हुए मनुष्य पवित्र मन व शुद्ध शरीर से त्रिपुण्ड धारण करें। त्रिपुण्ड धारण करते समय ऊं नम: शिवायं मंत्र का लगातार जप करते रहें। त्रिपुण्ड प्रदान करता है शीतलता त्रिपुण्ड धारण करने के पीछे वैज्ञानिक तथ्य भी है। त्रिपुण्ड चंदन या भस्म का लगाया जाता है। दोनों ही मस्तक को शीतलता प्रदान करते हैं। जब हम ज्यादा मानसिक श्रम करते हैं तो हमारे विचारक केंद्र में दर्द होने लगता है। यह त्रिपुण्ड ज्ञान-तंतुओं को शीतलता प्रदान करता है। इससे मस्तिष्क पर अधिक दबाब नहीं पड़ता। Other Similar Posts- शिवपुराण: मेहमान को खाना खिलाते समय ध्यान रखें ये 4 बातें शिवपुराण: पत्नी को रखना चाहिए इन बातों का खास ध्यान शास्त्र ज्ञान- इन 5 कामों से घर-परिवार और समाज में होता है अपमान शास्त्र ज्ञान- ये 6 काम बदल सकते हैं आपका भाग्य रावण-अंगद संवाद – ये 14 बुरी आदतें जीवित को भी बना देती हैं मृत समान YOU MAY LIKE by   तेजी से गोरा होने का एक चौंका देने वाला गुप्त तरीका । Fit Mom Daily  How To Drop 30Kg In 2 Months Without Dieting Manorama Blog  Sponsored by Revcontent 1 Weird Trick Makes Your Skin Fairer in 12 Min - Doctors Are Speechless Men, You Don't Need Viagra if You Do This Once Daily Kolkata Guy Loses 15kg in 2 Weeks with This 1 Simple Method! 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