Friday, 31 March 2017

नाद योग साधना

All World Gayatri Pariwar  Allow hindi Typing 🔍 PAGE TITLES March 1985 नाद योग की साधना और सिद्धि शब्द विज्ञान में दो प्रकार की ध्वनियों की चर्चा विवेचना होती है। एक आहत। दूसरे अनाहत। आहत शब्द वे हैं जो किन्हीं वस्तुओं के टकराने से उत्पन्न होते हैं। घण्टा घड़ियाल का उदाहरण स्पष्ट है। कोई वस्तु हाथ से गिरे और तो जमीन से टकराने पर उसकी आवाज होगी। बाजे बजने−बन्दूक चलने−कपड़े धोने आदि की ध्वनियाँ, आहत ध्वनियाँ हैं। वार्त्तालाप को भी इसी श्रेणी में गिना जाता है। क्योंकि उनका स्वस्थ कण्ठ, तालु, होंठ, जिह्वा, दाँत आदि के परस्पर एक विधि विशेष में टकराने पर विभिन्न शब्दों का उच्चारण बन पड़ता है। मनुष्य की भाँति पशु−पक्षियों की वाणी। समुद्र की लहरें, बादलों की गड़गड़ाहट आदि के द्वारा भी आहत ध्वनियों का ही रूप बनता है। विभिन्न प्रकार की जानकारियों का आदान−प्रदान करने में भी शब्द विज्ञान का यही स्तर काम आता है। अनाहत शब्द वे हैं जो योगाभ्यास में नाद योग के द्वारा सुने और जाने आते हैं। श्वांस-प्रश्वांस के समय सो एवं अहम् की ध्वनियाँ होती रहती हैं। यह स्पष्ट रूप से कानों के द्वारा तो नहीं सुनी जाती पर, ध्यान एकाग्र करने पर उस ध्वनि का आभास होता है। अभ्यास करने से वह कल्पना प्रत्यक्ष अनुभव के रूप में समझ पड़ती है। इसके बाद कानों के छेद बन्द करके ध्यान की एकाग्रता के रहते, घण्टा, घड़ियाल, शंख, वंशी, झींगुर, मेंढक, बादल गरजन जैसे कई प्रकार के शब्द सुनाई देने लगते हैं। आरम्भ में यह बहुत धीमे और कल्पना स्तर के ही होते हैं किन्तु पीछे एकाग्रता के अधिक घनीभूत होने से वे शब्द अधिक स्पष्ट सुनाई पड़ते हैं। इसे एकाग्रता की चरम परिणति भी कह सकते हैं और अंतरिक्ष में अनेकानेक घटनाओं की सूचना देने वाले सूक्ष्म संकेत भी। गोरख पद्धति में ॐकार की ध्वनि पर ध्यान एकाग्र किया जाता है और उसे ईश्वर की स्व उच्चारित वाणी भी कहा जाता है। गोरख सम्प्रदाय के अतिरिक्त और भी कितने ही उसके भेद-उपभेद हैं जो नादयोग को प्रधानता देते और उसी आधार पर अपनी उपासनाएँ करते हैं। कबीर पन्थ, राधा स्वामी पन्थ आदि में नाद योग की साधना ही प्रधान है। प्राण विद्युत शरीर के विभिन्न क्रिया-कलापों का संचार करती है। बिजली में एक प्रकार के सूक्ष्म कम्पन होते हैं और वे विभिन्न प्रयोजनों के लिए विभिन्न मन्त्रों द्वारा प्रयुक्त किये जाने पर उन झंकृतियों में थोड़ा बहुत अन्तर पड़ता रहता है। नादयोग में विभिन्न प्रकार की ध्वनियों का अनुभव इसी आधार पर होता है। आकाश में अदृश्य घटनाक्रमों के कम्पन चलते रहते हैं। जो हो चुका है या होने वाला है, उसका घटनाक्रम ध्वनि तरंगों के रूप में आकाश में गूँजता रहता है। नाद योग की एकाग्रता का सही अभ्यास होने पर आकाश में गूँजने वाली विभिन्न ध्वनियों के आधार पर भूतकाल में जो घटित हो चुका है या भविष्य में जो घटित होने वाला है उसका आभास भी प्राप्त किया जा सका है। यह एक असामान्य सिद्धि है। किसी ध्वनि को एक बार प्रत्यक्ष रूप में करने उसकी ध्यान धारणा बाद में करते रहने पर इस अभ्यास में सरलता पड़ती है। मन्दिरों में गुम्बज इसीलिए बनाये जाते हैं कि उनमें टँगे घण्टे की प्रतिध्वनि देर तक सुनी जा सके। ॐकार की प्रतिध्वनि भी गुम्बजदार मन्दिरों में देर तक गूँजती रहती है। इस आधार पर विभिन्न ध्वनियों को सुनने का अभ्यास किया जा सकता है। इस प्रकार आहत और अनाहत नादयोग का अभ्यास करने से व्यक्ति अविज्ञात को ज्ञात स्तर तक खींच लाने में समर्थ हो सकता है। gurukulamFacebookTwitterGoogle+TelegramWhatsApp Months January February March April May June July August September October November December अखंड ज्योति कहानियाँ अमेरिका की सड़क से गुजर रहे थे (kahani) गुरुदेव के उपकार की स्थूल निशानी है गान्धारी की वचन सिद्धि (Kahani) शील (Kahani) See More    Chaitra Navratri Sadhana Day-03 - Discourse by Shraddheya Dr. Pranav Pandya, | DSVV-30th March 2017 Duration: 1:27:33 More About Gayatri Pariwar Gayatri Pariwar is a living model of a futuristic society, being guided by principles of human unity and equality. It's a modern adoption of the age old wisdom of Vedic Rishis, who practiced and propagated the philosophy of Vasudhaiva Kutumbakam. Founded by saint, reformer, writer, philosopher, spiritual guide and visionary Yug Rishi Pandit Shriram Sharma Acharya this mission has emerged as a mass movement for Transformation of Era.               Contact Us Address: All World Gayatri Pariwar Shantikunj, Haridwar India Centres Contacts Abroad Contacts Phone: +91-1334-260602 Email:shantikunj@awgp.org Subscribe for Daily Messages   Fatal error: Call to a member function isOutdated() on a non-object in /home/shravan/www/literature.awgp.org.v3/vidhata/theams/gayatri/magazine_version_mobile.php on line 551

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