Friday, 31 March 2017
संध्या महत्व
 हिन्दी वार्ता
संध्या पूजन का इतना महत्व क्यों है?
 Ritu
12 months ago
Sandhya pujan ka mahatva
हिन्दू धर्म की लगभग हर प्रसिद्ध पुस्तक में संध्या पूजन का विशेष महत्व बताया गया है। हमारे सभी ऋषि-मुनि सदा ही संध्या-पूजन के महत्व को बताते आये हैं.
संध्या का शाब्दिक अर्थ संधि का समय है यानी जहां दिन का समापन और रात शुरू होती है, उसे संधिकाल कहा जाता है। ज्योतिष के अनुसार दिन मान को तीन भागों में बांटा गया है – प्रात काल, मध्याह और सायंकाल।
संध्या पूजन के लिए प्रात काल का समय सूर्योदय से छह घटी तक, मध्याह 12 घटी तक तथा सायंकाल 2 0 घटी तक जाना जाता है। एक घटी में 24 मिनट होते हैं।
प्रात काल में तारों के रहते हुए, मध्याह में जब सूर्य मध्य में हो तो तथा सायं सूर्यास्त के पहले संध्या करना चाहिए।
संध्या पूजन क्यों?
नियमपूर्वक संध्या करने से पाप रहित होकर ब्रहमलोक की प्राप्ति होती है। रात या दिन में जो विकर्म हो जाते हैं, वे त्रिकाल संध्या से नष्ट हो जाते हैं।
संध्या नहीं करने वाला मृत्यु के बाद कुत्ते की योनि में जाता है। संध्या नहीं करने से पुण्य कर्म का फल नहीं मिलता। समय पर की गई संध्या इच्छानुसार फल देती है।
घर में संध्या वंदन से एक, गो स्थान में सौ, नदी किनारे लाख तथा शिव के समीप अनंत गुना फल मिलता है।
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Categories: ज्योतिष उपाय, धर्म
Tags: Puja, Sandhya Pujan, Sandhya pujan ka mahatva
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