प्रतिदिन एक दोहा Tuesday, January 12, 2016 17.01.2016 दोहा भीखा भूखा कोई नहीं, गांठी सब की लाल। गांठ खोल देखें नहीं, ता ते भये कंगाल।। फरमाते हैं कि प्रकृति की ओर से दीन और भूखा कोई नहीं है; सबकी गठरी में विधाता ने भक्ति तथा नाम के निःसंख्य हीरे-जवाहर और परमार्थ के कान्तियुक्त मोती बांध दिये हैं। किन्तु क्या किया जाये! कोई अपनी गठरी खोल कर उनका अवलोकन ही नहीं करता। उनकी ओर ध्यान न होने के कारण ही संसारी मनुष्य पारमार्थिक धन से वंचित है और इसीलिये कंगाल और दुःखी है। Sahaj at 1:19 PM Share  No comments: Post a Comment ‹ › Home View web version About Me Sahaj View my complete profile Powered by Blogger. 
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