सबकी गठरी में नाम रूपी लाल है, जड़ -चेतन की गांठ खोल कर देख लो Oct. 28 Poetry, Religion 0 Comments भीखा भूखा को नहीं , सब की गठरी लाल। गिरह खोल नहीं जानते , ताते भये कंगाल । वाणी :- भीखा साहब जी  Rakesh Khurana भाव : भीखा साहब जी कहते हैं कि सबके पल्ले में ‘नाम’ रुपी लाल बंधा पड़ा है पर उसमे जड़ -चेतन की ग्रंथि (गाँठ) बंधी पड़ी है । जब तक यह गाँठ न खुले , अर्थात पिंड से ऊपर आकर नाम का अनुभव न मिले , हम भूखे के भूखे रह जाते हैं । दौलत के होते हुए भी हम भूखे हैं परन्तु ‘नाम’ को पाकर हम सुखी हो जाते हैं । ‘नाम’ सब में परिपूर्ण है , फिर भी हम दुखी हैं ? वे कहते हैं कि हमने उसे प्रकट नहीं किया है । वाणी :- भीखा साहब जी प्रस्तुति राकेश खुराना  Tags: 'नाम' रुपी लाल, जड़ -चेतन की ग्रंथि (गाँठ), प्रस्तुति राकेश खुराना, वाणी :- भीखा साहब जी
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