🌺🌹सरयूपारीय ब्राह्मणो के वारे मे कुछ जानकारी🌹🌺
सरयूपारीण ब्राह्मण या सरवरिया ब्राह्मण या सरयूपारी ब्राह्मण सरयू नदी के पूर्वी तरफ बसे हुए ब्राह्मणों को कहा जाता है | यह कान्यकुब्ज ब्राह्मणो कि शाखा है | मर्यादा पुरषोत्तम श्रीराम चंद्र ने लंका विजय के बाद कान्यकुब्ज ब्राह्मणों से यज्ञ करवाकर उन्हे सरयु पार स्थापित किया था। सरयु नदी को सरवार भी कहते थे। ईसी से ये ब्राह्मण सरयुपारी ब्राह्मण कहलाते हैं। सरयुपारी ब्राह्मण पूर्वी उत्तरप्रदेश, उत्तरी मध्यप्रदेश, बिहार छत्तीसगढ़ और झारखण्ड में भी होते हैं | मुख्य सरवार क्षेत्र पश्चिम मे उत्तर प्रदेश राज्य के अयोध्या शहर से लेकर पुर्व मे बिहार के छपरा तक तथा उत्तर मे सौनौली से लेकर दक्षिण मे मध्यप्रदेश के रींवा शहर तक है | काशी , प्रयाग रीवा बस्ती गोरखपुर अयोध्या छपरा ईत्यादि एतिहासिक नगर सरवार भूखण्ड मे है।बस्ती जनपद के बारह गांवो के पांडे आस्पद के भुईहार ब्राह्मणो के विवाह सरयूपारी ब्राह्मणो मे प्राचीन समय से हो रहे है | बस्ती जिले मे नगरा , नरसिंहपुर ईत्यादि ब्राह्मणो के प्रमुख गांव है |
सरयूपारीण ब्राह्मण मूल गांवो कि सूची
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: गर्ग ( शुक्ल- वंश )- (१) मामखोर (२) खखाइज खोर (३) भेंडी (४) बकरूआं (५) अकोलियाँ (६) भरवलियाँ (७) कनइल (८) मोढीफेकरा (९) मल्हीयन (१०) महसों (११) महुलियार (१२) बुद्धहट (१३) इसमे चार गाँव का नाम आता है लखनौरा, मुंजीयड, भांदी, और नौवागाँव| ये सारे गाँव लगभग गोरखपुर, देवरियां और बस्ती में आज भी पाए जाते हैं| उपगर्ग (शुक्ल-वंश) ; (१)बरवां (२) चांदां (३) पिछौरां (४) कड़जहीं (५) सेदापार (६) दिक्षापार यही मूलत: गाँव है
ये मुल गांवो की सूची है यही से शेष सरयूपारीण ब्राह्मण अन्यत्र वंश चले है , तीन तेरह का बोध लड़कीयो कि शादी मे कराया जाता है |
गौतम ( मिश्र-वंश ) - (१) चंचाई (२) मधुबनी (३) चंपा (४) चंपारण (५) विडरा (६) भटीयारी इन्ही छ: गांवों से गौतम गोत्रीय,त्रिप्रवरीय मिश्र वंश का उदय हुआ है, उपहगौतम (मिश्र-वंश) उप गौतम यानि गौतम के अनुकारक छ: गाँव इस प्रकार से हैं| (१) कालीडीहा (२) बहुडीह (३) वालेडीहा (४) भभयां (५) पतनाड़े (६) कपीसा इन गांवों से उप गौतम की उत्पत्ति मानी जाति है|
शांडिल्य गोत्र ( तिवारी, त्रिपाठी -वंश ) - शांडिल्य ऋषि के बारह पुत्र बताये जाते हैं जो इन बाह गांवों से प्रभुत्व रखते हैं| (१) सांडी (२) सोहगौरा (३) संरयाँ (४)श्रीजन (५) धतूरा (६) भगराइच (७) बलूआ (८) हरदी (९) झूडीयाँ (१०) उनवलियाँ (११) लोनापार (१२) कटियारी, लोनापार में लोनाखार, कानापार, छपरा भी समाहित है इन्ही बारह गांवों से आज चारों तरफ इनका विकास हुआ है, यें सरयूपारीण ब्राह्मण हैं| इनका गोत्र श्रीमुख शांडिल्य- त्रि -प्रवर है, श्री मुख शांडिल्य में घरानों का प्रचलन है जिसमे राम घराना, कृष्ण घराना, नाथ घराना,मणी घराना है, इन चारों का उदय, सोहगौरा- गोरखपुर से है जहाँ आज भी इन चारों का अस्तित्व कायम है| उप शांडिल्य ( तिवारी- त्रिपाठी, वंश) इनके छ: गाँव बताये जाते हैं जी निम्नवत हैं| (१)शीशवाँ (२) चौरीहाँ (३) चनरवटा (४) जोजिया (५) ढकरा (६) क़जरवटा
सरयूपारी ब्राह्मणों के उपनाम
पांडेय, द्विवेदी, दुबे , शुक्ला, त्रिपाठी , मिश्रा, तिवारी , पाठक, उपाध्यय , औझा , और शर्मा है |
भारद्वाज गोत्र (दुबे वंश) - (१) बड़गईयाँ (२) सरार (३) परहूँआ (४) गरयापार कन्चनियाँ और लाठीयारी
भार्गव गोत्र ( तिवारी या त्रिपाठी वंश ) - (१) सिंघनजोड़ी (२) सोताचक (३) चेतियाँ (४) मदनपुर
वत्स गोत्र( मिश्र- वंश) -(१) गाना (२) पयासी (३) हि यैया (४) नगहरा (५) अघइला (६) सेखुई (७) पीडहरा (८) राढ़ी (९) मकहडा बताया जाता है की इनके वहा पांति का प्रचलन था अतएव इनको तीन के समकक्ष माना जाता है|
कौशिक गोत्र ( मिश्र-वंश ) - तीन गांवों से इनकी उत्पत्ति बताई जाती है जो निम्न है| (१) धर्मपुरा (२) सोगावरी (३) देशी
वत्स गोत्र ( पाण्डेय वंश ) - १) इंद्रपुर २) इमल डीहा ३) नागचौरी ४) परसिया ५) मडरिहा ६)बिष्ट्वल या बिहठोली ७) नदुला ८) बनहाँ ९) बांसपार १०) बिनछनैया ११) मझरिया १२) सोन फरेवा
बशिष्ट गोत्र ( मिश्र- वंश ) - इनका निवास भी इन तीन गांवों में बताई जाती है| (१) बट्टूपुर मार्जनी (२) बढ़निया (३) खउसी
काशी नरेश
द्विजराज काशीराज बनारस के गौतम गोत्रिय राजाओं का वंश भुईहार ब्राह्मण नहीं है। वे लोग कित्थु या कृष्ण मिश्र एक तपस्वी सरयुपारीण ब्राह्मण के वंश मे से हुए हैं।
कित्थु मिश्र के वंश में मनुरंजन मिश्र हुये उनके वंश मे मनसाराम मिश्र प्रथम काशीनरेश हुये उनके पुत्र बलवंत सिंह मिश्र हुए जिनसे आगे यह वंश चला। 🙏🙏🙏🙏
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