Saturday, 28 October 2017

विद्या-त्रयी

Press question mark to see available shortcut keys 8 Awes NIRAJ Public Mar 26, 2015  महात्रिपुर सुन्दरी को श्री विद्या, षोडशी, ललिता, राज- राजेश्वरी, बाला पंचदशी अनेक नामों से जाना जाता है। वर देने के लिए सदा-सर्वदा तत्पर रहने वाली भगवती मां का श्रीविग्रह सौम्य और हृदय दया से पूर्ण है। जो इनका आश्रय लेते है, उन्हें इनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। भगवती भैरवी के मुख्य मंत्र में तीन कूट अक्षर होने से इनका नाम ‘त्रिपुर-भैरवी‘ है साथ ही श्री भैरवी‘ को ‘विद्या-त्रयी‘ में प्रथम स्थान प्राप्त है। शाक्त-मतावलम्बी भैरवी की गणना दश महाविद्याओं में करते हैं। स्त्री-साधिकाओं को भी सामान्यत: ‘भैरवी‘ नाम से सम्बोधित किया जाता है। ‘ज्ञानार्णव तंत्र‘ में बताया है कि भगवती भैरवी त्रिविधा हैं- 1. बाला, 2. भैरवी, 3.सुन्दरी। इनके तीन स्वरूपों में से बाला और सुन्दरी। मां श्री बाला सुंदरी महाशक्ति जगदंबा का एक रूप है। ब्रह्म, विष्णु ओर रूद्र ये तीनों पुर जिसमें समाहित है, वह त्रिपुर मां बाला सुंदरी है सोलह कला संपन्न भगवती षोडशी के अन्तर्गत भी वर्णित हैं। ‘‘भैरवयामल और शक्ति लहरी’’ में आपकी उपासना का विस्तृत वर्णन मिलता है। ऋषि दुर्वासा आपके परम आराधक थे। आपकी उपासना ‘‘श्री चक्र’’ में होती है। आदि गुरू शंकरचार्य ने भी सौन्दर्य लहरी में त्रिपुर सुन्दरी श्री विद्या की स्तुति की है। भगवती के आशीर्वाद से साधक को भोग और मोक्ष दोनों सहज उपलब्ध हो जाते हैं। त्रिपुर भैरवी - का ध्यान इस प्रकार बताया गया है- उदय कालीन सहस्त्र सूर्य के समान कान्तिवाली, अरूणवस्त्र धारिणी, रक्तचन्दन, विलेपिनी, मालाधारिणी, कमलवत् , मुखमण्डल वाली, त्रिनेत्री, मन्दस्मिता देवी की मैं आराधना करता हूं। Translate 2 plus ones 2 no comments one share 1 Shared publicly•View activity Add a comment...

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