Saturday, 28 October 2017

गायत्री मंत्र का तत्वज्ञान

All World Gayatri Pariwar Books गायत्री मंत्र का... गायत्री के २४... 🔍 INDEX गायत्री मंत्र का तत्वज्ञान गायत्री के २४ अक्षर २४ बीज मंत्र   |     | 17  |     |   वेदमंत्र का संक्षिप्त रूप बीजमंत्र कहलाता है ।। वेद वृक्ष का सार संक्षेप बीज है ।। मनुष्य का बीज वीर्य है ।। समूचा काम विस्तार बीज में सन्निहित रहता है ।। गायत्री के तीन चरण हैं ।। इन तीनों का एक- एक बीज (भूः, भुवः, स्वः) है ।। इस व्याहृति भाग का भी बीज है- ॐ ।। यह समग्र गायत्री मंत्र की बात हुई ।। प्रत्येक अक्षर का भी एक- एक बीज है ।। उसमें उस अक्षर की सार शक्ति विद्यमान है ।। तांत्रिक प्रयोजनों में बीजमंत्र का अत्यधिक महत्त्व है ।। इसलिए गायत्री एवं महामृत्युञ्जय जैसे प्रख्यात मंत्रों की भी एक या कई बीजों समेत उपासना की जाती है ।। चौबीस अक्षरों के २४ बीज इस प्रकार हैं- (१) ॐ (२) ह्रीं (३) श्रीं (४) क्लीं (५) हों (६) जूं (७) यं (८) रं (९) लं (१०) वं (११) शं (१२) सं (१३) ऐं (१४) क्रों (१५) हुं (१६) ह्लीं(१७) पं (१८) फं (१९) टं (२०) ठं (२१) डं (२२) ढं (२३) क्षं (२४) लृं ।। यह बीज मंत्र व्याहृतियों के पश्चात् एवं मंत्र भाग से पूर्व लगाये जाते हैं ।। भूर्भुवः स्वः के पश्चात् 'तत्सवितुः' से पहले का स्थान ही बीज लगाने का स्थान है ।। प्रचोदयात् के पश्चात् भी इन्हें लगाया जाता है ।। ऐसी दशा में उसे सम्पुट कहा जाता है ।। बीज या सम्पुट में से किसे कहाँ लगाना चाहिए, इसका निर्णय किसी अनुभवी के परामर्श से करना चाहिए ।। बीज- विधान, तंत्र- विधान के अन्तर्गत आता है ।। इसलिए इनके प्रयोग में विशेष सतर्कता की आवश्यकता रहती है ।। २४ बीज मंत्रों से सम्बन्धित २४ यंत्र प्रत्येक बीज मंत्र का एक यंत्र भी है ।। इन्हें अक्षर यंत्र या बीज यंत्र कहते हैं ।। तांत्रिक उपासनाओं में पूजा प्रतीक में चित्र- प्रतीक की भाँति किसी धातु पर खोदे हुए यंत्र की भी प्रतिष्ठापना की जाती है और प्रतिमा पूजन की तरह यंत्र का भी पंचोपचार या षोडशोपचार पूजन किया जाता है ।। दक्षिणमार्गी साधनों में प्रतिमा पूजन का जो स्थान है, वही वाममार्गी उपासना उपचार में यंत्र- स्थापना का है ।। गायत्री यंत्र विख्यात है ।। बीजाक्षरों से युक्त २४ यंत्र उसके अतिरिक्त हैं ।। इन्हें २४ अक्षरों में सन्निहित २४ शक्तियों की प्रतीक- प्रतिमा कहा जा सकता है ।। गायत्री के चौबीस बीज मंत्रों से युक्त २४ यंत्रों के नाम इस प्रकार हैं- क्र.सं.बीज मंत्रयन्त्रम् (१)ॐगायत्री यंत्रम् (२)ह्रींब्राह्मी यंत्रम् (३)णंवैष्णवी यंत्रम् (४)शंशाम्भवी यंत्रम् ५)ओंविद्या यंत्रम् ६)ळृंदेवेश यंत्रम् ७)स्त्रींमातृ यंत्रम् ८)ऋंऋत् यंत्रम् ९)उंनिर्मला यंत्रम् १०)यंनिरंजना यंत्रम् ११)गंऋद्धि यंत्रम् १२)क्षंसिद्धि यंत्रम् १३)ज्ञंसावित्री यंत्रम् १४) ऐं सरस्वती यंत्रम् १५) श्रीं श्री यन्त्रम् १६) क्लीं कालिका यंत्रम् १७) लं भैरव यंत्रम् १८) रं ऊर्जा यंत्रम् १९) खं विभूति यंत्रम् २०) हुं दुर्गा यंत्रम् २१) अं अन्नपूर्णेश्वरी यंत्रम् २२) हं योगिनी यंत्रम् २३) वं वरुण यंत्रम् २४) त्रींत्रिधा यंत्रम् गायत्री के २४ अक्षरों से सम्बन्धित २४ रंग, २४ शक्तियाँ तथा २४ तत्त्व श्री विद्यावर्ण तंत्र के अनुसार गायत्री महामंत्र में सन्निहित शक्तियों का वर्णन इस प्रकार है- क्र०) अक्षर (रंग) शक्ति- देवियाँ कॉस्मिक प्रिन्सिपल स्थूल- सूक्ष्म तत्त्व १) तत् पीला (Yellow) प्रह्लादिनी पृथ्वी २) स गुलाब (Pink) प्रभा जल ३) वि लाल (Red) नित्या अग्नि ४) तु नीला (Blue) विश्वभद्रा वायु ५) व सिन्दुरी (Fiery) विलासिनी आकाश ६) रे श्वेत (White) प्रभावती गन्ध ७) णि श्वेत (White) जया स्वाद ८) यम् श्वेत (White) शान्ता रूप ९)भ काला (Black) कान्ता स्पर्श १०) र्गो लाल (Red) दुर्गा शब्द ११) दे लाल (Red) कमलसरस्वती वाणी (१२) व श्वेत (White) विश्वमाया हस्त १३) स्य सुनहरापीला (Golden Yellow) विशालेशा जननेन्द्रिय १४) धी श्वेत (White) ब्यापिनी गुदा १५) म गुलाबी (Pink) विमला पाद १६) हि श्वेत- शंख (Conch White) तमोपहारिणी कान १७) धि मोतिया (Cream) सूक्ष्मा मुख १८) यो लाल (Red) विश्वयोनि आँख १९) यो लाल (Red) जयावहा जिह्वा २०) नः स्वर्णिम (Color of rising sun) पद्मालया नाक २१) प्र नीलकमल(Color of blue lotus) परा मन २२) चो पील (Yellow) शोभा अहं २३) द श्वेत (White) भद्ररूपा महत्बुद्धि, चित्त, अन्तःकरण २४) या श्वेत, लाल, काला (White, Red, Black) त्रिमूर्ति सत्, रज, तम् ।। गायत्री यन्त्र जो कि विश्व ब्रह्माण्ड का प्रतीक है, उपरोक्त तत्त्वों से मिलकर बनता है ।।   |     | 17  |     |    Versions  HINDI गायत्री मंत्र का तत्वज्ञान Text Book Version gurukulamFacebookTwitterGoogle+TelegramWhatsApp अखंड ज्योति कहानियाँ मौत का ख्याल (kahani) भक्तिमती मीराबाई अपने (Kahani) धर्म और संस्कृति (Kahani) उलटे पैर लौट गए (Kahani) See More 28_Oct_2017_1_6760.jpg More About Gayatri Pariwar Gayatri Pariwar is a living model of a futuristic society, being guided by principles of human unity and equality. It's a modern adoption of the age old wisdom of Vedic Rishis, who practiced and propagated the philosophy of Vasudhaiva Kutumbakam. Founded by saint, reformer, writer, philosopher, spiritual guide and visionary Yug Rishi Pandit Shriram Sharma Acharya this mission has emerged as a mass movement for Transformation of Era. Contact Us Address: All World Gayatri Pariwar Shantikunj, Haridwar India Centres Contacts Abroad Contacts Phone: +91-1334-260602 Email:shantikunj@awgp.org Subscribe for Daily Messages 39 in 0.051264047622681

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