Saturday, 28 October 2017

गायत्री चालीसा पाठ अनुष्ठान

All World Gayatri Pariwar Books गायत्री की परम... गायत्री चालीसा पाठ... 🔍 INDEX गायत्री की परम कल्याणकारी सर्वांगपूर्ण सुगम उपासना विधि गायत्री चालीसा पाठ अनुष्ठान   |     | 26  |     |   आत्मिक विकास में हर साधक की अलग- अलग गति होती है। एक ही मन, एक ही साधना पद्धति और एक ही गुरू का अवलम्बन लेने पर भी विभिन्न साधकों की प्रगति अलग- अलग देखी जाती है। ऐसा क्यों? मनीषी इसका उत्तर देते हुए कहते हैं- अध्यात्म क्षेत्र में श्रद्धा की शक्ति सर्वोपरि है। आत्मिक क्षेत्र में श्रद्धा की सघनता या विरलता के आधार पर अपने चमत्कार प्रस्तुत करती है। प्रातःकाल सूर्योदय के समय गायत्री मंत्र की एक माला का पाठ करें वातावरण संशोधन का अनुष्ठान पहले से ही चल रहा है। उसकी पूर्ति ठीक प्रकार से हो रही है। कुछ छोड़ बैठते हैं तो कुछ नये आ जात हैं। इस प्रकार प्रतिदिन २४ करोड़ जप करने का क्रम प्रज्ञा परिजनों द्वारा ठीक प्रकार चलाया जा रहा है। आशा की जानी चाहिए कि यह उपक्रम युग सन्धि के शेष १५ वर्षों में भी ठीक प्रकार चलता रहेगा। जिस संगठन के २४ लाख सदस्य हों और वे अपना न्यूनतम कर्तव्य निवाहें, उस निर्वाह का लेखा- जोखा ठीक तरह लिया जाता रहे, कमीवेशी को पूरा करते रहने का नियन्त्रण रहे तो व्यक्ति के लिए छोटी किन्तु समाज के लिए अतिशय उच्चस्तरीय प्रभाव उत्पन्न करने वाली प्रक्रिया का सही रूप में चलते रहना कठिन क्यों होना चाहिए? हीरक जयन्ती में उपर्युक्त अनुष्ठान के समतुल्य ही एक दूसरा अनुष्ठान प्रारम्भ किया गया है, वह है ‘गायत्री चालीस पाठ’ इसमें समय का भी बन्धन नहीं है। अनेकों भावनाशील ऐसे हैं जो साधना तो करना चाहते हैं पर प्रातःकाल सूर्योदय के समय का निर्वाह नहीं कर पाते। जिन लोगों की नौकरी रात में ड्यूटी देने की है ऐसे लोगों की कमी नहीं। वे काम पर से लौटते ही सो जाते हैं और नींद पूरी करके देर में उठते हैं। जिन घरों में देर में रोटी खाने देर तक रेडियो सुनने, टी०वी० देखने का प्रचलन है वे भी सबेरे देर तक सोते हैं। बच्चों को नींद देर तक आती है और जगाने पर कुड़कुड़ाते हुए जागते हैं। जगने पर नित्य कर्म की बात पहली है। पूजा- पाठ दूसरी ।। ऐसे लोगों के लिए गायत्री चालीसा पाठ का क्रम सर्व सुलभ समझते हुए किया गया है। गायत्री मंत्र का उच्चारण तो शुद्ध ही होना चाहिए। इसके लिए शिक्षित होना आवश्यक है। अपने देश में दो- तिहाई लोग बिना पढ़े हैं वे गायत्री मंत्र का जप कैसे कर पायें? ऐसे लोगों को भी इन महान उपासना में साथ लेकर चलने की बात सोची गई है। वह माध्यम है- गायत्री चालीसा का पाठ। इसे किसी भी समय पढ़ा जा सकता है। यथासम्भव जितनी शुद्धि रखी जा सके उतनी उत्तम है, पर उसके लिए कोई अनिवार्य प्रतिबन्ध नहीं हैं। जो नितान्त अशिक्षित हैं। उनके लिए यह तरीका उत्तम है कि एक शिक्षित व्यक्ति एक चौपाई पढ़े। दूसरे पास बैठे हुए बिना शिक्षित बालक, वृद्ध, महिलाएँ उसे दुहरायें। इस प्रकार शिक्षितों के साथ अशिक्षितों की साधना भी चाल पड़ती है। कुछ दिनों में तो वह बिना शिक्षितों के भी मौलिक रूप से कण्ठस्थ हो जाता है। यदि इसके साथ वाद्य यन्त्रों का भी समावेश किया जा सके तो अच्छा खासा कीर्तन, भजन, संगीत हो जाता है और उससे सारे घर का वातावरण प्रतिध्वनित हो उठता है। गायत्री चालीसा का महत्त्व इसलिए भी अधिक है कि उसके सहारे पाठ करने वाले को माहात्म्य विदित होता है और श्रद्धा बढ़ती है। श्रद्धा ही साधना का प्राण है। जो कार्य जप से नहीं हो पाता वह इस माध्यम से पूरा हो जाता है। प्रस्तुत हीरक जयन्ती पर्व पर २४० लाख गायत्री चालीसा पाठ के युग- अनुष्ठान का शुभारम्भ किया गया है। घर- घर गायत्री चालीसा पहुँच सकें, इसके लिए उन्हें लागत मूल्य से भी कम प्रसाद रूप में केन्द्र से लिया जा सकता है। जहाँ भी कोई सम्मेलन आयोजन हो वहाँ धार्मिक प्रवृत्ति वालों को गायत्री चालीसा वितरण कर पुण्य लाभ अर्जित करना चाहिए। प्रज्ञायोग साधना का यह भी एक ऐसा पक्ष है जो व्यक्तिगत एवम् सामूहिक दोनों ही रूपों में सबके द्वारा अपनाया जाना चाहिए। इससे वातावरण भावनात्मक बनता है। श्रद्धा सघन होती है एवम् मनःस्थिति आध्यात्मिक ढांचे में ढलती जाती है।      |     | 26  |     |    Versions  HINDI गायत्री की परम कल्याणकारी सर्वांगपूर्ण सुगम उपासना विधि Text Book Version gurukulamFacebookTwitterGoogle+TelegramWhatsApp अखंड ज्योति कहानियाँ मौत का ख्याल (kahani) भक्तिमती मीराबाई अपने (Kahani) धर्म और संस्कृति (Kahani) उलटे पैर लौट गए (Kahani) See More शुनिशेपों की खोज एक पौराणिक कथाएक बार इन्द्र देव ने कुपित होकर दुष्ट दुरात्मा प्रजाजनों के दुष्कर्मों का दण्ड देने के लिए उन्हें वर्षा का अनुदान देना बन्द कर दिया। बारह वर्षों तक लगातार दुर्भिक्ष पड़ा। पानी न बरसने से घास- पात, पेड़- पौधे, जलाशय सब सूख गये। अन्न उपजना बन्द हो गया। तृषित और क्षुधित प्राणी त्राहि- त्राहि करके प्राण त्यागने लगे। सर्वत्र हा- हाकार मच गया।स्थिति असह्य हो गयी तो मनीषियों न More About Gayatri Pariwar Gayatri Pariwar is a living model of a futuristic society, being guided by principles of human unity and equality. It's a modern adoption of the age old wisdom of Vedic Rishis, who practiced and propagated the philosophy of Vasudhaiva Kutumbakam. Founded by saint, reformer, writer, philosopher, spiritual guide and visionary Yug Rishi Pandit Shriram Sharma Acharya this mission has emerged as a mass movement for Transformation of Era. Contact Us Address: All World Gayatri Pariwar Shantikunj, Haridwar India Centres Contacts Abroad Contacts Phone: +91-1334-260602 Email:shantikunj@awgp.org Subscribe for Daily Messages 39 in 0.14997506141663

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