Sunday, 29 October 2017
वैदिक कर्मकाण्ड
Menu
Search
shrishivshaktijyotishanusandhankendrafarrukhabad.wordprees.com
वैदिक कर्मकाण्ड (Vaedik Karmkand)
भारतीय संस्कृति विशेषत:हिन्दू सनातन धर्म में कर्मकाण्डों का महत्वपूर्ण स्थान है! जातक के जन्म लेने से पूर्व से प्रारंभ हो कर मृत्यु पर्यन्त चलने वाले विभिन्न धार्मिक कृत्यों को कर्मकाण्ड /संस्कारों के नाम से जना जता है सनातन धर्म में चार वर्ण व्यवस्थाये :-ब्राहमण ,क्षत्रिय ,वैश्य ,शूद्र तथा चार वर्णाश्रम :-ब्रह्मचर्यं ,गृहस्थ ,वानप्रस्थ .सन्यास बताये गए है !हिन्दू सनातन धर्म में सोलह संस्कारों का वर्णन मिलता है :-१.गर्भाधान ,2.पुंसवन ,३.सीमन्तोन्नयन ,४.जातकर्म ,५.नामकरण ,६.निष्क्रमण ,७.अन्नप्राशन ,८.चूड़ाकर्म ,९.कर्णवेध ,१०.यज्ञोपवीत ,११.वेदारम्भ ,१२.केशांत ,१३.समावर्तन ,१४.विवाह ,१५.आवसथ्यधान ,१६.श्रोताधन होते है !
आप विभिन्न कार्यों हेतु संपर्क कर सकते है :-नामकरण ,यज्ञोपवीत ,तिलकोत्सव-विवाह ,अंत्येष्ठी कर्म ,नारायण वलि ,पंचक शांति ,एकोदिष्ट श्राद्ध ,पार्वण श्राद्ध ,त्रिपिंडी श्राद्ध ,कालसर्प योग शांति ,मूल शांति इत्यादि !
Advertisements
Share this:
Loading...
Leave a Reply
Your email address will not be published. Required fields are marked *
Comment
Name *
Email *
Website
Post Comment
Notify me of new comments via email.
View Full Site
Create a free website or blog at WordPress.com.
Advertisements
Follow
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
आवसथ्यधान और श्रोताधन का क्या अर्थ है
ReplyDelete