Thursday 26 October 2017

व्यास --श्री गुरु गीता

  व्यास --श्री गुरु गीता By: Anandakrishnan Sethuraman गुरु मध्ये स्थितम विश्वं ,विश्वमध्ये स्थितो गुरुगुरूर विश्वं नमस्तेस्तु तस्मै श्री गुरुवे नमः सच्चे शिष्य के लिए गुरु ही संसार है;गुरुसे बढ़कर जग में कुछ भी नहीं है.अतः गुरु के बीच में जग स्थित है;संसार मध्य में गुरु स्थित है;गुरु के पार जग कहाँ ?उस जग रुपी गुरु को नमस्कार है. एक एव परो बन्धुर विषमे समुपस्थिते ,गुरु:सकल धर्मात्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः . कठिन परिस्थिति में एक मात्र बंधु गुरु ही है;सभी धर्मों की आत्मा गुरु ही है; गुरु खुद आकर सहायक बनेंगे;उस गुरु को नमस्कार है; अनेक जन्म सम्प्राप्त कर्मबंध विताहिने, ज्ञानानल प्रपावने तस्मै श्री गुरुवे नमः . कई जन्मों से संचित कर्म फल के पाप को अपने ज्ञानाग्नि से जलानेवाले गुरूजी को नमस्कार . Share     Recommended section  शुभ कर्मों का फल प्राप्त करने से रोक सकती है “बिन्दी”  प्राचीन रानियां खूबसूरती निखारने के लिए प्रयोग करती थीं ये एक चीज  नाखून पर बना यह निशान ‘जल्द आने वाली मृत्यु’ का संकेत है  छोटी अंगुली में पहनें चांदी का छल्ला, दिखेगा चमत्कार  जानिये कैसा है आपका दिमाग Popular section  पेट होगा अंदर, कमर होगी छरहरी अगर अपनायेंगे ये सिंपल नुस्खे  एक ऋषि की रहस्यमय कहानी जिसने किसी स्त्री को नहीं देखा, किंतु जब देखा तो...  किन्नरों की शव यात्रा के बारे मे जानकर हैरान हो जायेंगे आप  कामशास्त्र के अनुसार अगर आपकी पत्नी में हैं ये 11 लक्षण तो आप वाकई सौभाग्यशाली हैं  ये चार राशियां होती हैं सबसे ताकतवर, बचके रहना चाहिए इनसे Go to hindi.speakingtree.in

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