Saturday, 28 October 2017

गायत्री शक्ति है क्या

 गायत्री शक्ति है क्या? By: श्री सुधांशु जी महाराज  गायत्री शक्ति है क्या? भारतवर्ष के लोगों को गऊ, गंगा, गीता, गायत्री और गुरु के प्रति बड़ी श्रद्धा रही है। वेदों, पुराणों तथा समस्त शास्त्रों में जिस पावनी शक्ति की महिमा गायी गयी है और जिसके जप को महान्‌ जप कहा गया, जिसे देव मंत्र, सविता मंत्र, महामंत्र तथा गुरु मंत्र कहा गया है, उस मंत्र, उस शक्ति का नाम गायत्री है। भगवान्‌ की शरण में जाने की इच्छा रखने वाले साधक, भक्त एवं अध्यात्म से जुड़े हुए अन्य लोग गायत्री की उपेक्षा नहीं कर सकते। गायत्री की उपेक्षा करने का मतलब है, जो पाना था उससे वंचित रह गये। हजारों लाखों वर्षों से हमारा देश श्रद्धा-भावना के साथ गायत्री का जप करता रहा है। गायत्री शक्ति है क्या? यह वह शक्ति है जिसके विषय में बड़े-बड़े महान्‌ पुरुषों ने आदरपूर्वक सिर झुकाकर यह कह दिया कि यदि गायत्री एक ओर है तो उसकी बराबरी करने वाली दूसरी कोई शक्ति नहीं।  . गायत्री मंत्र के संबंध में महापुरुषों के विचार रवींद्रनाथ टैगोर-समस्त भारतवर्ष को जगाने वाला एक ही मंत्र है, एक ही शक्ति है, सबसे सरल और एक ही श्वास में जिसका उच्चारण किया जा सकता है, वह महामंत्र गायत्री मंत्र है। डॉ. राधाकृष्णन्‌-गायत्री की शक्ति यदि है तो फिर और किसी की क्या आवश्यकता। तुम एक को साध लो, कल्याण हो जाएगा। मनुष्य के जीवन को एक नयी जिंदगी, संजीवनी देनेवाली प्रार्थना का नाम गायत्री प्रार्थना है। महात्मा गांधी- मनुष्य के मन, मस्तिष्क और आत्मा को पवित्र करने वाली जप पद्धति में अगर कोई सर्वाधिक शक्तिशाली पद्धति हो सकती है तो वह गायत्री महिमा है, गायत्री पाठ है। इसीलिए, मैं मानता हूं कि समस्त संकटों को मिटाने के लिए और समस्त प्रकार की मानसिक दुर्बलताओं को दूर करने के लिए इंसान को श्रद्धापूर्वक गायत्री का जाप करना चाहिए। सुभाषचंद्र बोस-जिस तरह आग में तेज है, उसी तरह मनुष्य के अंदर तेजस्विता पैदा करने वाली शक्ति का नाम गायत्री है और मैं उस पर श्रद्धा रखता हूं।  गायत्री मंत्र के संबंध में ऋषि-मुनियों का चिंतन महर्षि वाल्मीकि ने रामायण में ऋषि विश्वामित्र के द्वारा श्रीराम और लक्ष्मण को उपदेश के प्रसंग में कहा है कि मेरी शक्ति तो केवल गायत्री है, इसीलिए हे राम, मैं तुम्हें केवल गायत्री का ही उपदेश दे सकता हूं। महर्षि वेदव्यास ने महाभारत में कहा है कि तीनों लोकों को जीतनेवाली शक्ति एक ही है। तीनों लोकों को पवित्र करनेवाली, सभी वेदों का सार 24 अक्षरों वाली गायत्री ही वह शक्ति है जिसका जप करते हुए मनुष्य अनेक पीड़ाओं व दु:खों के बीच भी मुस्कुराता रह सकता है। आदि शंकराचार्य - मैंने अपनी साधना में यह अनुभव किया है कि गायत्री मंत्र की साधना करनेवाला व्यक्ति 40 प्रकार की शक्तियों से युक्त हो जाता है। ऋषि शंख - शांति कामास्तु जुहुयात्‌ सावित्रीमृक्षतै: शुचि:। अगर किसी को अपने रोगों से, दु:खों से लड़ने की इच्छा हो तो जीवन में, घर-परिवार में सुख-शांति की कामना हो तो गायत्री का हवन करना चाहिए।  गायत्री मंत्र के संबंध में वैज्ञानिक विश्लेषण भारतीय वैज्ञानिक चिंतन - भारतीय चिंतकों का कहना है कि हर मनुष्य के मस्तिष्क में ज्ञान-तंतु जहां जाकर जुड़ते हैं, उन बिंदुओं की संख्या 24 है तथा इंसान के अंदर 24 मर्म स्थल हैं, जहां मनुष्य अनेक प्रकार की संवेदनाओं का अनुभव करता है। गायत्री मंत्र में भी 24 ही अक्षर हैं। कहा गया है कि जब भी कोई इस मंत्र का पाठ करता है तो अनेक प्रकार की संवेदनाएं इस मंत्र के द्वारा होती हुई व्यक्ति के मस्तिष्क को पवित्र करती है। जर्मन वैज्ञानिक चिंतन - जर्मन वैज्ञानिक यह कहते हैं कि स्वर-कंपन की गणना करने वाले यंत्र में पुरुषों की आवाज में 175 प्रकार के, महिलाओं और बच्चों की आवाज में 225 प्रकार के तथा कोयल के पंचम स्वर में 500 प्रकार के कंपन पाये गये हैं।दक्षिण भारतीय विद्वानों द्वारा विधिपूर्वक किये गये गायत्री पाठ के कंपनों की उसी यंत्र पर जब गणना की गयी तो ज्ञात हुआ कि इस मंत्र में 700 प्रकार के कंपन थे। उनका कहना है कि यह अद्‌भुत शक्ति है और इसके स्पंदन मानव के सारे शरीर और मस्तिष्क पर असर करते हैं।  गायत्री मंत्र के संबंध में आयुर्वेद के विचार आयुर्वेद के विद्वानों ने भी गायत्री की महिमा का वर्णन किया है। चरक संहिता आयुर्वेद का महान्‌ ग्रंथ है। चरक ऋषि ने इस ग्रंथ में लिखा है कि मैं कायाकल्प करने का तरीका बता रहा हूं। मेरी दवाइयों पर दुनिया विश्वास करती है तो उन्हें मेरी इस बात पर भी विश्वास करना चाहिए कि अगर कोई व्यक्ति एक वर्ष तक ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए गायत्री का जप करे, गउओं को चराये एवं गऊ के दूध का सेवन करता रहे और एक साल पूरा होने में जब तीन दिन रह जाएं तो तीन दिनों का उपवास रखे। भूखा रहे और गायत्री का जप करता रहे। उसके बाद आंवले के पेड़ पर चढ़कर जितने आंवले वह खा लेगा, उतने साल की आयु उसकी बढ़ जाएगी। गायत्री है सर्वश्रेष्ठ शक्ति गायत्री मंत्र मनुष्य के अंदर प्रसुक्त मेधा, प्रज्ञा, ऋतंभरा बुद्धि को जागृत करती है। जिस व्यक्ति की यह ऋतंभरा बुद्धि जागृत हो जाती है वह अपना मालिक स्वयं बन जाता है और उसके सारे संकल्प पूरे होने लग जाते हैं। एक ही मंत्र में प्रार्थना भी हो, कीर्तन भी हो और साथ में उपासना भी हो ऐसा और मंत्र दिखायी नहीं देता। इसलिए इस मंत्र को तीन वेदों में देखा गया है। तीन वेदों ने एक ही मंत्र की पुनरावृत्ति की है। तो इसका अर्थ क्या है? साधारण मंत्र नहीं है यह। जप पद्धतियों में यह सर्वश्रेष्ठ शक्ति है। Recommended section क्या आपके साथ रहने वाले व्यक्ति की सोच शैतानी है? ऐसे पति-पत्नी को मिलती है रावण जैसी ‘अहंकारी संतान’ जब हमारा दिमाग सोचता है खतरनाक तरकीबें महिलाओं की तरह पुरुषों को भी झेलनी पड़ती है ये परेशानी ये कहानियां नहीं वास्तविक घटनाएं हैं, जरा संभलकर Popular section पेट होगा अंदर, कमर होगी छरहरी अगर अपनायेंगे ये सिंपल नुस्खे एक ऋषि की रहस्यमय कहानी जिसने किसी स्त्री को नहीं देखा, किंतु जब देखा तो... किन्नरों की शव यात्रा के बारे मे जानकर हैरान हो जायेंगे आप कामशास्त्र के अनुसार अगर आपकी पत्नी में हैं ये 11 लक्षण तो आप वाकई सौभाग्यशाली हैं ये चार राशियां होती हैं सबसे ताकतवर, बचके रहना चाहिए इनसे Go to hindi.speakingtree.in

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