Saturday 28 October 2017

पुष्टिमार्ग

सुख की राह आध्यात्मिक-मीडिया ज्ञानविधि ज्ञानीपुरुष शिड्यूल  परिचय हिन्दी सुख की खोज RELATED QUESTIONS होम सुख की राह आध्यात्मिक विज्ञान श्रीमद् भगवद् गीता पुष्टिमार्ग/नैष्ठिक ब्रह्मचारी पुष्टिमार्ग का उद्देश्य क्या है? श्री कृष्ण भगवान को नैष्ठिक ब्रह्मचारी क्यों कहा गया है? पुष्टिमार्ग क्या है? वल्लभाचार्य ने पुष्टिमार्ग निकाला। पाँच सौ सालों पहले जब मुसलमानों का बहुत कहर था, अपने यहाँ की स्त्रियाँ मंदिर में या बाहर कहीं भी नहीं निकल सकती थीं, हिन्दू धर्म खत्म होने की कगार पर आ गया था, तब वल्लभाचार्य ने काल के अनुरूप धर्म को पुष्टि दी, तो घर बैठे भक्ति की जा सके ऐसा मार्ग दिया, लेकिन वह धर्म तो उस काल के लिए ही था इसलए पाँच सौ साल तक ही रहेगा वे खुद ही ऐसा कहकर गए, और आज वे पूरे हो रहे हैं। अब आत्मधर्म प्रकाश में आएगा। कविराज ने गाया है कि, ‘मुरलीना पडघे झूमी जमुना बोली, श्री कृष्णना प्रकाशक आवी गया छे।’ कृष्ण तो गज़ब के पुरुष हो चुके हैं, वासुदेव थे और अगली चौबीसी में तीर्थंकर बनेंगे। कृष्ण तो नैष्ठिक ब्रह्मचारी थे। प्रश्नकर्ता: नैष्ठिक ब्रह्मचारी मतलब क्या? दादाश्री: जिनके भाव में निरंतर ब्रह्मचर्य की ही निष्ठा है, वे नैष्ठिक ब्रह्मचारी कहलाते हैं! डिस्चार्ज हो रहा अब्रह्मचर्य है और चार्ज हो रहा है अखंड ब्रह्मचर्य! कृष्ण भगवान की सोलह हजार रानियाँ थीं, फिर भी वे नैष्ठिक ब्रह्मचारी थे। ऐसा कैसे हैं, वह आपको समझाता हूँ। एक व्यक्ति चोरी करता है, लेकिन अंदर उसके भाव में निरंतर ऐसा रहा करता है कि, ‘चोरी नहीं करनी है,’ तो वह नैष्ठिक अचौर्य कहलाता है। ‘क्या चार्ज हो रहा है?’ वही उसका हिसाब है! एक व्यक्ति दान देता है और मन में रहता है कि, ‘कैसे इन लोगों से छीन लूँ,’ तो वह दान नहीं माना जाएगा। इन इन्द्रियों से जो प्रत्यक्ष दिखता है, नया बाँधने के लिए उसे नहीं माना जाता, लेकिन अंदर नया हिसाब क्या बाँध रहा है, जो चार्ज हो रहा है, वह माना जाता है! प्रश्नकर्ता: तो फिर कृष्ण भगवान को चारित्रवान क्यों कहा है? दादाश्री: वे नैष्ठिक ब्रह्मचारी थे। बल्कि, उनके चारित्र को दुष्चारित्र कहने से निंदा हुई है। कृष्ण तो वासुदेव थे। वासुदेव मतलब क्या? कि जो सभी चीज़ों के भोक्ता, लेकिन मोक्ष के अधिकारी होते हैं, गज़ब के पुरुष होते हैं! संदर्भ :  Book Name: आप्तवाणी 2 (Page #376 - Paragraph #3 to #5, Page #377 - Paragraph #1 to #4) PREVIOUS NEXT RELATED QUESTIONS ← Close Menu श्रीमद् भगवद् गीता का रहस्य क्या है? भगवद् गीता का सार क्या है? विराट कृष्ण दर्शन या विश्वदर्शन के समय अर्जुन ने क्या अनुभव किया था? और ये विराट स्वरुप क्या है? भगवद् गीता में श्री कृष्ण भगवान ने ‘निष्काम कर्म’ का अर्थ क्या समझाया है? ब्रह्म संबंध और अग्यारस का वास्तविक अर्थ क्या है? सच्ची भक्ति की परिभाषा क्या है? भगवद् गीता के अनुसार स्थितप्रज्ञा यानि क्या? श्री कृष्ण भगवान के अनुसार प्रकृति के तीन गुण कौन से हैं? भगवान श्री कृष्ण के साथ एकाकार (अभेद) होने के लिए क्यों और किस प्रकार चार वेदों से ऊपर उठा जा सके? ओम् नमो भगवते वासुदेवाय का अर्थ क्या है? वासुदेव के गुण क्या होते हैं? भगवान श्री कृष्ण को वासुदेव क्यों कहा गया है? गोवर्धन पर्वत को छोटी ऊँगली पर उठाना – सत्य है या लोक कथा? ठाकोरजी की पूजा-भक्ति किस तरह करनी चाहिए? पुष्टिमार्ग का उद्देश्य क्या है? श्री कृष्ण भगवान को नैष्ठिक ब्रह्मचारी क्यों कहा गया है? कृष्ण भगवान का सच्चा भक्त कौन है? वास्तविक कृष्ण या योगेश्वर कृष्ण कौन हैं? भगवद् गीता के अनुसार, जगत कौन चलाता है? स्वधर्म और परधर्म किसे कहते हैं? भगवद् गीता का सार क्या है? भगवान श्री कृष्ण की सत्य और लोक कथाएँ NEWSLETTER SIGNUP subscribe your email for our latest news and events Enter Your E-Mail Here SUBSCRIBE दादा भगवान फाउंडेशन एक अध्यात्मिक नॉन-प्रोफिट संस्था है| जिसका ध्येय है, अक्रम विज्ञान के अध्यात्मिक विज्ञान द्वारा पूरे विश्व में शांति, एकता और शाश्वत आनंद फैलाना | प्रश्न पूछिए और जवाब पाएं क्विक लिंक्स मीडिया अन्य साइट FOLLOW US Copyright © 2000 - 2017 Dada Bhagwan Foundation. All Rights Reserved. Terms of Services | Privacy Policy

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