Wednesday, 25 October 2017

यमराज ने बताए थे मृत्यु के गुप्त रहस्य

  इस बालक को स्वयं यमराज ने बताए थे मृत्यु के गुप्त रहस्य By: Hari Mohan Gangwar यदि कोई व्यक्ति आत्मा-परमात्मा के ज्ञान को नहीं जानता है तो उसे कैसे फल भोगना पड़ते हैं? जिस तरह बारिश का पानी एक ही होता है, लेकिन ऊंचे पहाड़ों पर बरसने से वह एक जगह नहीं रुकता और नीचे की ओर बहता है, कई प्रकार के रंग-रूप और गंध में बदलता है। उसी प्रकार एक ही परमात्मा से जन्म लेने वाले देव, असुर और मनुष्य भी भगवान को अलग-अलग मानते हैं और अलग मानकर ही पूजा करते हैं। बारिश के जल की तरह ही सुर-असुर कई योनियों में भटकते रहते हैं। कैसा है ब्रह्म का स्वरूप और वे कहां और कैसे प्रकट होते हैं? ब्रह्म प्राकृतिक गुणों से एकदम अलग हैं, वे स्वयं प्रकट होने वाले देवता हैं। इनका नाम वसु है। वे ही मेहमान बनकर हमारे घरों में आते हैं। यज्ञ में पवित्र अग्रि और उसमें आहुति देने वाले भी वसु देवता ही होते हैं। इसी तरह सभी मनुष्यों, श्रेष्ठ देवताओं, पितरों, आकाश और सत्य में स्थित होते हैं। जल में मछली हो या शंख, पृथ्वी पर पेड़-पौधे, अंकुर, अनाज, औषधि हो या पर्वतों में नदी, झरने और यज्ञ फल के तौर पर भी ब्रह्म ही प्रकट होते हैं। इस प्रकार ब्रह्म प्रत्यक्ष देव हैं। Share     Recommended section  शुभ कर्मों का फल प्राप्त करने से रोक सकती है “बिन्दी”  प्राचीन रानियां खूबसूरती निखारने के लिए प्रयोग करती थीं ये एक चीज  नाखून पर बना यह निशान ‘जल्द आने वाली मृत्यु’ का संकेत है  छोटी अंगुली में पहनें चांदी का छल्ला, दिखेगा चमत्कार  जानिये कैसा है आपका दिमाग Popular section  पेट होगा अंदर, कमर होगी छरहरी अगर अपनायेंगे ये सिंपल नुस्खे  एक ऋषि की रहस्यमय कहानी जिसने किसी स्त्री को नहीं देखा, किंतु जब देखा तो...  किन्नरों की शव यात्रा के बारे मे जानकर हैरान हो जायेंगे आप  कामशास्त्र के अनुसार अगर आपकी पत्नी में हैं ये 11 लक्षण तो आप वाकई सौभाग्यशाली हैं  ये चार राशियां होती हैं सबसे ताकतवर, बचके रहना चाहिए इनसे Go to hindi.speakingtree.in

No comments:

Post a Comment