Friday, 13 October 2017

गायत्री जयंती ज्येष्ठ शुक्ल दशमी 

  होम प्रवचन गायत्री मंत्र के जाप से संभव है ब्रह्मदर्शन Last Modified: Mon, May 29 2017. 22:28 IST  गायत्री माता की उत्पत्ति कब हुई थी? गायत्री महामंत्र का क्या महत्व है? तारीफ सिंह, ग्राम- मित्ररोल, हरियाणा गायत्री जयंती ज्येष्ठ शुक्ल दशमी (इस वर्ष रविवार, 4 जून) को है। सनातन धर्म के ग्रंथों में गायत्री मंत्र का प्रादुर्भाव ज्येष्ठ मास की शुक्ल दशमी को हुआ था। इस मंत्र के ब्रह्मर्षि विश्वामित्र दृष्टा बने। कौशिक मुनि, जो बाद में विश्वामित्र हो गए, की तपस्थली कौसानी, उन्हीं के नाम पर है। विश्व का कल्याण करने के लिए उन्होंने गायत्री मंत्र को जनमानस में फैलाया। गायत्री जयंती को कहीं-कहीं गंगा दशहरा के अगले दिन यानी ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी को भी मनाते हैं। दिव्य मंत्र- ‘ओम भूर्भुव:स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गाे देवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात्॥’ सनातन धर्म के मानने वाले गणेश मंत्र के बाद पूजा में इस मंत्र का उच्चारण-जाप करते ही हैं। श्रीमद्भागवत के दशम स्कन्द में लिखा है कि श्रीकृष्ण स्नान करने के बाद गायत्री मंत्र का जाप करते थे। महाकवि तुलसीदास ने रामचरित मानस में लिखा है कि विश्वामित्र ने अपने शिष्यों- राम और लक्ष्मण को इस मंत्र का रहस्य विस्तार से समझाया था। टॉप न्यूज़ आरुषि केस: तलवार दंपति की रिहाई सोमवार तक, छुट्टी के चलते अटका मामला Sat, Oct 14 2017. 02:02 IST सौगात: आज बिहार आएंगे PM मोदी, करेंगे कई योजनाओं का शुभारंभ Sat, Oct 14 2017. 00:20 IST ताजपोशी की तैयारी:सोनिया बोलीं-राहुल जल्द संभालेंगे कांग्रेस की बागडोर Fri, Oct 13 2017. 23:17 IST INDvAUS: बारिश की वजह से टी-20 मुकाबला रद्द, सीरीज 1-1 से बराबर Fri, Oct 13 2017. 22:04 IST डोकलाम से सबक: चीन से निपटने के लिए भारतीय सेना ने बनाया ये प्लान Fri, Oct 13 2017. 20:14 IST नीलेकणि बोले:सरकार ने आधार का किया बेहतरीन इस्तेमाल,बचाए 585 अरब रुपये Fri, Oct 13 2017. 22:00 IST गायत्री संहिता के अनुसार, ‘भासते सततं लोके गायत्री त्रिगुणात्मिका॥’ अर्थात गायत्री माता सरस्वती, लक्ष्मी एवं काली का प्रतिनिधित्व करती हैं। वह वेदमाता हैं। समस्त ज्ञान की देवी गायत्री ही हैं। कहा जाता है कि एक बार भगवान ब्रह्मा यज्ञ में शामिल होने जा रहे थे। धार्मिक कार्यों में पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए पत्नी का साथ होना नितांत जरूरी होता है, परन्तु उस समय ब्रह्मा जी के साथ उनकी पत्नी सावित्री मौजूद नहीं थीं। तब उन्होंने देवी गायत्री से विवाह कर लिया। पद्मपुराण के सृष्टिखंड में गायत्री को ब्रह्मा की शक्ति बताने के साथ-साथ पत्नी भी कहा गया है। शारदा तिलक में गायत्री के स्वरूप का वर्णन करते हुए कहा गया है- गायत्री पंचमुखा हैं, ये कमल पर विराजमान होकर रत्न-हार-आभूषण धारण करती हैं। इनके दस हाथ हैं, जिनमें शंख, चक्र, कमलयुग्म, वरद, अभय, अंकुश, उज्ज्वल पात्र और रुद्राक्ष की माला आदि है। पृथ्वी पर जो मेरु नामक पर्वत है, उसकी चोटी पर इनका निवास स्थान है। सुबह, दोपहर और शाम को इनका ध्यान करना चाहिए। रुद्राक्ष की माला से ही इनका जाप करना चाहिए। शंख स्मृति के अनुसार गायत्री मंत्र के जाप से भय समाप्त हो जाता है। महाभारत के अनुसार गायत्री मंत्र से ब्रह्मदर्शन संभव है। संबंधित खबरें  काम की बात: नहीं आती नींद तो काम आएगा एक लोटा जल का यह उपाय  गायत्री मंत्र का जप करने से मिलेगी शनि की पीड़ा से मुक्ति  प्रजापति को बचाने के बजाय गायत्री मंत्र का पाठ करें मुलायम: बीजेपी  SHOCKING: इस टीवी एक्ट्रेस ने गायत्री मंत्र का टैटू हटाया, जानें क्यों हिन्दुस्तान मोबाइल ऐप डाउनलोड करने के लिए क्लिक करें  अगला लेख:कल्कि अवतार की कथा ताजा खबरें ई - पेपर मनोरंजन खबरें गैलरी एन सी आर क्रिकेट खबरें जरूर पढ़ें उत्तर प्रदेश बिजनेस खबरें आज के हिन्दुस्तान से बिहार झारखंड ऐप्स Copyright © 2017 Hindustan Media Ventures Limited. All Rights Reserved. 

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