Friday, 13 October 2017

बढ़ाने वाला

अपना ब्लॉग Log In Search for: अपना ब्लॉग रजिस्टर करें मौजूदा ब्लॉगर्स लॉग-इन करें आयुर्वेद:शुक्राणु बढ़ाने वाला अचूक नुस्ख़ा November 11, 2013, 11:22 AM IST डा. अनवर जमाल ख़ान in बुनियाद | साइंस-टेक्नॉलजी शुक्राणु बढ़ाने वाला अचूक नुस्ख़ा Shukranu   हमारे पास शुक्राणुओं की कमी की शिकायत लेकर एक युवक आया बल्कि नवयुवक आया। हमने उसे बैद्यनाथ कंपनी का मूसली पाक में शक्रवल्लभ रस मिलाकर दिया। उसके शुक्राणु 15 दिन में ही 35 प्रतिशत से 65 प्रतिशत हो गए। इसके अलावा यह योग तमाम तरह की मर्दाना कमज़ोरी को दूर करता है। खाओ और वैलेंटाइन डे मनाओ अपनी पत्नी के साथ। ——————————– हमने यह कमेंट कुमार राधा रमण जी की पोस्ट पर दिया है जो कि पुरूषों में संतानहीनता के विषय पर है। देखिए उनकी पोस्ट: पुरुष संतानहीनता       अनादिकाल से संतानहीनता से ग्रस्त हर पुरुष इस यक्ष प्रश्न का उत्तर चाहता रहा है कि वह संतानोत्पत्ति में सक्षम है या नहीं। पूर्ण पुरुष उसे ही माना जा रहा है, जो विवाह उपरांत संतानोत्पत्ति कर सके। संतान की उत्पत्ति के लिए शुक्राणु और अंडाणु का सफल निषेचन होना चाहिए। संतानहीनता की स्थिति में पति और पत्नी दोनों के मन में यह उथल-पुथल रहती है कि इसके लिए जिम्मेदार कौन है।  पूर्ण रूप से स्वस्थ एवं विकसित पुरुष भी संतानोत्पत्ति करने में सक्षम ही हो यह जरूरी नहीं है। यह भी जरूरी नहीं कि पूर्ण रूप से अविकसित पुरुष संतानोत्पत्ति न कर सके। पुरुष संतानहीनता के कई कारण होते हैं। इनमें से कई का निवारण किया जा सकता है।  मुख्य कारण  – वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या एवं गुणवत्ता में कमी एवं नपुंसकता।  -शुक्राणु की गतिशीलता में कमी।  -शुक्राणु का गतिशील न होना।  -शुक्राणु का मृत एवं विकृत होना।  -शुक्राणुओं का न होना।  -वीर्य में संक्रमण एवं एंटीबॉडीस्‌ का होना।  -वीर्य का न बनना एवं बाहर न जा पाना।  -सेक्स ज्ञान का अभाव एवं संतानोत्पत्ति के लिए प्रजनन समय ज्ञान का अभाव। इनके अलावा कई और भी कारण हो सकते हैं।  क्या आप जानते हैं?  -पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या १०० से १५० लाख प्रति मिली लीटर होती है।  -जिन पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या २० लाख है, वे भी प्राकृतिक रूप से पिता बन सकते हैं।  -जिन पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या १ लाख से कम है, वे कृत्रिम गर्भाधान की आईव्हीएफ पद्धति अपना सकते हैं।  -जिन पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या २० लाख से कम है, वे भी प्राकृतिक रूप से पिता बन सकते हैं बशर्ते उनमें शुक्राणुओं की गुणवत्ता अच्छी हो अन्यथा ये पुरुष वर्ग कृत्रिम गर्भाधान की आईयूआई पद्धति अपना सकते हैं।  अनुपस्थित शुक्राणु  कई पुरुषों में शुक्राणु अनुपस्थित रहते हैं। उनके मन में ये सवाल उठते हैं कि -क्या मैं पिता बन सकता हूँ? -क्या मैं अपने शुक्राणुओं से ही अपनी संतान का पिता बन सकता हूँ? आज से तीन-चार दशक पहले इसका जवाब “नहीं” था। पर आज इन प्रश्नों का जवाब “हाँ” में है। पहले तकनीक की सफलता दर २० से ३० प्रतिशत थी, किंतु आजकल ७० प्रतिशत है। जिन पुरुषों के वीर्य में शुक्राणु नहीं है वे टेस्ट ट्यूब बेबी तकनीक-इक्सी, मिक्सी एवं पिक्सी अपनाकर स्वयं के शुक्राणुओं से ही पिता बन सकते हैं।  किसे होगा इससे फायदा  इसके लिए संतानहीन पुरुषों का जनेन्द्रिय परीक्षण, सोनोग्राफी, कलर डॉप्लर, रक्त में विशेष हारमोन्स का स्तर एवं अंडकोष की बॉयप्सी कर इसका कारण पता लगाना जरूरी होता है। इन सारी जाँचों के दुरुस्त पाए जाने पर ये इस तकनीक का फायदा उठा सकते हैं।  महत्वपूर्ण जाँचें  महत्वपूर्ण जाँचें, जो पुरुष संतानहीनता के सभी मरीजों के लिए बेहद जरूरी है-  -वीर्य की उच्च स्तरीय जाँच विशेषज्ञ द्वारा -संक्रमण होने पर कल्चर की जाँच -पुरुष हारमोन्स के स्तर की जाँच  -एंटीबॉडीज के स्तर की जाँच  – गुप्तांगों की सोनोग्राफी एवं कलर डॉप्लर की जाँच, जरूरत होने पर अंडकोष की बॉयप्सी।  उपचारः  शुक्राणु की संख्या, गुणवत्ता, गतिशीलता की कमी एवं संक्रमण, एंटीबॉडीस्‌ का विशेषज्ञों द्वारा नियमित उपचार काफी हद तक इन कमियों को दूर कर सकता है। दूसरी बात खान-पान, योग, संयमित एवं नशारहित जीवन एवं सेक्स का पूर्ण ज्ञान संतानोत्पत्ति के लिए काफी लाभदायक सिद्ध हुआ है। तनावपूर्ण जीवन, शराब, सिगरेट, ड्रग्स, अत्यधिक मोबाइल, कम्प्यूटर, लेपटॉप का उपयोग, शुक्राणुओं की संख्या एवं गुणवत्ता संतानहीनता के लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार है। इसके कारण पुरुष संतानहीनता में निरंतर वृद्धि हो रही है। सभी प्रयासों एवं कृत्रिम गर्भाधान की तकनीकों को अपनाकर अगर आप पिता बनने में सक्षम नहीं हैं और आप कृत्रिम गर्भाधान की आधुनिकतम तकनीक के लिए भी उपयुक्त नहीं हैं तो भी निराश होने की जरूरत नहीं है। पुरुष संतानहीनता के क्षेत्र में आधुनिक चिकित्सा विज्ञान कई तरह के सफल समाधान प्रस्तुत करता है(डॉ. अजय जैन,सेहत,नई दुनिया,फरवरी प्रथमांक 2012)। Source : http://commentsgarden.blogspot.in/2012/02/shukranu.html डिसक्लेमर : ऊपर व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं लेखक डा. अनवर जमाल ख़ान मैं एक इंसान हूं और निवास भारत में है। लोगों को बेवजह नफ़रत करते. . . और FROM WEB Watch Dhananjoy, a bengali drama film online Prime Video Explore the beaches with a paradise view TUI Khel Kabaddi & WIN prizes worth Rs. 1 lakh! 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