Saturday, 4 November 2017

सोइ गुरु नित बन्दिये, शब्द बतावे दाव

*कबीर, गुरु-गुरु में भेद है, गुरु-गुरु में भाव ।*
*सोइ गुरु नित बन्दिये, शब्द बतावे दाव ॥*
*(1) प्रथम गुरू है पिता और माता।*
*जो है रक्त बीज के दाता॥*
*(2) दुजा गुरू है भाई व दाई।*
*जो गर्भवास की मैल छुड़ाई॥*
*(3) तिजा गुरू नाम जो धारा।*
*सोई नाम से जगत पुकारा॥*
*(4) चौथा गुरु जो शिक्षा दिन्हा।*
*तब संसार मार्ग चिन्हा॥*
*(5) पांचवा गुरू जो दीक्षा दिन्हा।*
*राम कृष्ण का सुमिरन दिन्हा।।*
*(6) छठवां गुरू भरम सब तोड़ा।*
*ॐकार से नाता जोड़ा॥*
*(7) सातवां गुरू सतगुरु कहाया।*
*जांहा का जीव ताहां पठाया ||*
*🙏👏�👏�बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज की जय👏�👏�🙏*
*स्वांस सफल सो जानिये हरि सुमिरन मैं जाय,*
*और स्वांस यूंही गये करि करि बहूत उपाय,*
*जाकी पुँजी स्वांस है छिन आवे छिन जाय,*
*ताकूं ऐसा चाहिये रहै राम ल्यौ लाय|*
*👏�👏�सतगुरू देव जी की जय हो..👏�👏�*
🙏🙏 *परमेश्वर जी की सभी हंस आत्माओ को दास का सत साहेब 👏�👏� जी* 🙏🙏

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