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आपके घर की वास्तु (Vastu) विशेषताएं : वास्तु शास्त्र के अनुसार
Posted by Astrologer Sidharth
आपके घर की वास्तु (Vastu) विशेषताएं : वास्तु शास्त्र के अनुसार
घर की बनावट (Design) , उसकी दिशा (Direction), घर के सामान (Belongings), पेड़-पौधे (Plants and harbs) बताते हैं कि घर किस ग्रह (Planet) के प्रभाव में है वास्तु (Vastu) के अनुसार। आमतौर पर देखा जाता है कि घर की दिशा क्या है और उसे संबंधित ग्रह के हवाले कर दिया जाता है लेकिन ऐसा नहीं है।
पूर्वमुखी घर में भी राहू की समानताएं हो सकती हैं और पश्चिममुखी घर में बुध की। इससे पहले की घर पर ग्रहों के विशद प्रभाव की चर्चा करूं मैं सरसरी तौर पर बता देना चाहता हूं कि पारंपरिक पध्दति में दिशा और ग्रह का क्या संबंध है।
सूर्य का घर (Surya)
आमतौर पर पूर्व की दिशा में जिन घरों का मुंह होता है उन्हें सूर्य से प्रभावित घर कहते हैं। इनमें परिवार का मुखिया पुरुष होता है यानि पितृ सत्तात्मक परिवार इसमें निवास करता है। पुरुषों की संख्या अधिक होती है और महिलाएं कष्ट पाती हैं। घर के वर्किंग मैम्बर्स का संबंध राजकीय सेवाओं से होता है चाहे नौकरी के तौर पर हो या ठेकेदारी से।
बुध का घर (Budh)
इन घरों का मुंह उत्तर दिशा में होता है। इनमें कंसल्टेंट रहते हैं लेकिन चिकित्सक नहीं। उत्तर दिशा का संबंध क्रिएटिविटी से जोडा गया है। ऐसे में आर्कीटेक्ट, कैरियर काउंसलर, इंटीरियर डेकोरेटर, बैंकिंग सेवाओं से जुडे और मध्यस्थ की भूमिका निभाने वाले लोगों का स्थान बताया गया है। इन घरों में बच्चे अच्छी संख्या में होते हैं और धमाचौकडी मचाते रहते हैं।
शनि का घर (Shani)
इन घरों का मुंह पश्चिम दिशा में होता है। नौकरी पेशा लोगों के रहने की जगह। दिन में किसी सरकारी या निजी प्रतिष्ठान में बंधुआ मजदूर की तरह काम करके आने के बाद लोग इस घर में आराम, आमोद-प्रमोद करते हैं और सुख-दुख की बातें होती हैं। ये लोग खुद निर्णय लेने वाले लोग नहीं होते।
जैसे जिन्दगी इन्हें धक्का देती है ये उसी रास्ते पर निकल पडते हैं। किसी एक की समस्या पूरे परिवार के लिए मिशन बन जाती है। एक समस्या निपटाने के बाद दूसरी समस्या निपटाने की तैयारी शुरू हो जाती है।
मंगल का घर (Mangal)
इन घरों का मुंह दक्षिण दिशा में होता है। इसमें चिकित्सक और लौंडे मजे करते हैं और आम आदमी दुख पाता है। आमतौर पर हॉस्टल या अस्पताल का मुंह दक्षिण में शुभ होता है। सबसे सफल हॉस्टल भी दक्षिण दिशा में ही हो सकता है।
इन घरों से कोई प्यार नहीं करता। न मकान मालिक और न ही रहवासे। लौंडे दिनभर के थके मांदे आते हैं और उल्टी-सीधी हरकतें करने के बाद सो जाते हैं। अगले दिन बिना किसी देख-रेख के इसे छोड जाते हैं। चिकित्सक सुबह और शाम के समय पूजा पाठ की बजाय लोगों के दुख दर्द सुनता है और पैसा बनाता है। घर का ध्यान नौकर या नौकरानी रखते हैं।
इन चार प्रमुख दिशाओं के आधार पर घरों को शुभ या अशुभ बताया जाता है। इसके अलावा गुरू, चंद्रमा, राहू और शुक्र की भी दिशाएं होती है लेकिन मोटे तौर पर उन्हें नजर अंदाज कर दिया जाता है।
गुरू की दिशा – उत्तर पूर्व (North – East)
शुक्र की दिशा– दक्षिण पूर्व (South – East)
चंद्रमा की दिशा– उत्तर पश्चिम (North – West)
राहू की दिशा– दक्षिण पश्चिम (South – West)
घर का वातावरण और वास्तु :
गुरू का घर: Jupitor’s home
इस घर में एयर सर्कुलेशन बेहतरीन होगा। यानि चारों ओर से भले ही खुला न हो लेकिन हवा का असर हर कमरे और कोठरी में देखने को मिलेगा। इस घर का दरवाजा प्राय: उत्तर पूर्व में होता है। या फिर किनारे में होगा लेकिन बीच में नहीं होता। घर के आस-पास धार्मिक स्थान होता है। पीपल का पेड भी हो सकता है।
सूर्य का घर : Sun’s home
इस घर में प्राकृतिक रोशनी के उत्तम साधन होते हैं। घर के हर कोने में सूर्य की रोशनी पहुंचती है। चाहे अंडरग्राउंड ही क्यों न हो। घर के मुख्य द्वार का संबंध पूर्व दिशा से होता है और मकान के दाहिने हाथ की ओर पानी निकासी की व्यवस्था होती है। एक बात और ऐसे मकान में डिप्रेशन का मरीज अधिक दिन नहीं रह सकता।
अगर रहेगा तो जल्दी ही ठीक भी हो जाएगा। इसमें ऊर्जा का प्रवाह जबरदस्त होता है। इसे संभाल लेने की क्षमता मुखिया में होती है इसी कारण आमतौर पर इस परिवार का मुखिया मैनेजमेंट या प्रशासन में होता है। निर्णय लेने वाले लोगों की ऐशगाह।
चंद्र का मकान: House of Moon
इस मकान में पानी की पूर्ति पूरी रहती है। कई बार तो घर के भीतर ही बोरिंग कर पानी की व्यवस्था की गई होती है। अन्यथा घर से थोडी ही दूरी पर पानी का बडा स्रोत अवश्य होता है। इस मकान में बडे परिवार रहते हैं। घर की महिलाओं के लिए मुखिया की आज्ञा अंतिम आदेश होती है।
अधिकांशत: ऐसे मकान का मुंह उत्तर पश्चिम होता है और मुखिया के बैठने की जगह भी उत्तर पश्चिम होती है। ये लोग मिल जुलकर काम करने वाले लोग होते हैं। आमतौर पर इस घर में शांति रहती है लेकिन छोटी-मोटी घटना भी इन लोगों को अन्दर तक झकझोर देती है।
शुक्र का मकान: House of Venus
बनावट आलीशान वरना कच्ची जमीन के बीच बना हुआ आशियाना। दक्षिण पूर्व में इसका मुंह होने से मंगल और सूर्य की विशेषताएं लेकर शुक्र यहां आमोद करता है। यहां रहने वाले लोग नाजुक स्वभाव के और तरक्की पसंद होते हैं। इन घरों को कभी दक्षिण में गिन लिया जाता है तो कभी पूर्व में। लेकिन शुक्र का अपना रोल होता है।
वह या तो मकान को हद तक खूबसूरत बना देता है या फिर कच्ची मिट्टी के बीच बना शांत स्थान। दोनों की मामलों में घर के भीतर का वातावरण खुशनुमा रहता है। इस घर में लाल रंग का अधिक उपयोग होता है। महिलाएं तेजी से तरक्की करती हैं और पतियों पर राज करती हैं।
मंगल का मकान: Mar’s property
जैसा कि मैं पहले बता चुका हूं कि ऐसे मकान चिकित्सकों के लिए होते हैं। यह आग रखने का स्थान है। इसके उपचार के लिए दक्षिण की दीवार पर मंदिर बनाकर आग जलाए रखने से घर की कलह में कुछ हद तक कमी आती है। किस्मत वाले लोगों को ऐसा घर बनाने के बाद भी इसमें रहने का अवसर नहीं मिल पाता है। अत: किराए पर अधिक रहता है।
बुध का मकान: House of Mercury
इस घर का मुंह प्राय: उत्तर दिशा में ही होगा लेकिन इसकी विशेषता होगी हर कोने का खुला होना। यानि मालिक अपना घर जमीन के बीचों-बीच बनाने की कोशिश करता है। घर में कच्ची जमीन होती है और न भी हो तो पेड पौधों के लिए गुंजाइश रखी जाती है। चाहे गमले में ही क्यों न हो। हरी पत्तियों के बीच बैठा इंसान लगातार सोचता है। भले ही आगे बढने की न सोचे पर अपने और दूसरों को जीवन को बेहतर बनाने के बारे में विचार करता रहता है। क्रिएटिव माइंड और कंसल्टेंसी इसकी फितरत है।
शनि का मकान: Saturn’s House
घर का बडा दरवाजा पश्चिम दिशा में होगा। घर के भीतर घुसते ही दांयी ओर बनी कोटडी में रोशनी कम होगी। इस कोटडी को जब भी नीम अंधेरे में रखा जाएगा मकान मालिक का दिन अच्छा जाएगा। मकान में पत्थर गडा होता है। पुराना सा दिखाई देता है।
बनाने के कुछ ही दिनों के भीतर ऐसा दिखाई देने लगता है जैसे सालों पहले बनाया हो और अब इसे रंग रोगन की जरूरत है। कितना ही संवार लो सुंदरता आ नहीं पाती। ताजगी का एकांतिक अभाव रहता है। इस घर में बडा गर्डर या खम्भे की गुंजाइश हमेशा होती है जो इसे हल्की भव्यता प्रदान करती है।
राहू का मकान: House of Rahu
राहू का काम ही गुमनामी का है। आप समझ सकते हैं कि घर के भीतर जाते ही ऐसा महसूस होगा कि जो कुछ दिखाई दे रहा है इससे इतर कुछ और इस मकान में है। भले ही सीधा-सादा मकान ही क्यो न हो। मुख्य द्वार में प्रवेश करने के बाद दाहिनी ओर गुमनाम गड्ढा होने की संभावना होती है।
प्रवेश द्वार के नीचे से घर का गंदा पानी बहता हुआ बाहर निकलता है। सामने का घर या तो खाली होगा या उस मकान के मालिक के कोई संतान नहीं होगी। मकान की दीवारें वही रहती हैं और छत बदलती रहती है।
मकान के बिल्कुल पास धुंआ छोडने वाली भट्टी होती है या गंदा पानी जमा करने का गड्ढा। कॉमन सेप्टिक टैंक भी हो सकता है जिसमें इलाके के कई घरों का गंदा पानी एकत्र होता हो।
केतू का मकान: Ketu’s House
ऐसा घर जिसकी दीवारें दो गलियों से लगी हों। यानि कोने का मकान और तीन तरफ से खुला। इस घर में हवा आती है लेकिन कहां से पता नहीं लगता। साथ का एक मकान या तो गिरा हुआ होगा या फिर बर्बाद हुआ होगा। साथ के मकान में कुत्तों के टट्टी जाने का स्थान होगा। केतू के मकान में नर संतान तीन या तीन से कम होती है। इससे अधिक नहीं हो पाती।
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