Wednesday 30 August 2017

सनातन सनातनमेनमहुरुताद्या स्यात पुनण्रव् ( अधर्ववेद 10/8/23)

Menu  Search जीवन दर्शन: Philosophy of Life Philosophy of Life हिन्दू क्या है, सनातन क्या है और धर्म क्या है ? हिन्दू एक हजार वर्ष पूर्व हिंदू शब्द का प्रचलन नहीं था। ऋग्वेद में कई बार सप्त सिंधु का उल्लेख मिलता है। सिंधु शब्द का अर्थ नदी या जलराशि होता है इसी आधार पर एक नदी का नाम सिंधु नदी रखा गया, जो लद्दाख और पाक से बहती है। ईरानी अर्थात पारस्य देश के पारसियों की धर्म पुस्तक ‘अवेस्ता’ में ‘हिन्दू’ और ‘आर्य’ शब्द का उल्लेख मिलता है। भाषाविदों का मानना है कि हिंद-आर्य भाषाओं की ‘स’ ध्वनि ईरानी भाषाओं की ‘ह’ ध्वनि में बदल जाती है। आज भी भारत के कई इलाकों में ‘स’ को ‘ह’ उच्चारित किया जाता है। इसलिए सप्त सिंधु अवेस्तन भाषा (पारसियों की भाषा) में जाकर हप्त हिंदू में परिवर्तित हो गया। इसी कारण ईरानियों ने सिंधु नदी के पूर्व में रहने वालों को हिंदू नाम दिया। किंतु पाकिस्तान के सिंध प्रांत के लोगों को आज भी सिंधू या सिंधी कहा जाता है। दूसरी ओर अन्य इतिहासकारों का मानना है कि चीनी यात्री हुएनसांग के समय में हिंदू शब्द की उत्पत्ति ‍इंदु से हुई थी। इंदु शब्द चंद्रमा का पर्यायवाची है। भारतीय ज्योतिषीय गणना का आधार चंद्रमास ही है। अत: चीन के लोग भारतीयों को ‘इन्तु’ या ‘हिंदू’ कहने लगे। सनातन सनातनमेनमहुरुताद्या स्यात पुनण्रव् ( अधर्ववेद 10/8/23) अर्थात – सनातन उसे कहते हैं जो , जो आज भी नवीकृत है । ‘सनातन’ का अर्थ है – शाश्वत या ‘हमेशा बना रहने वाला’, अर्थात् जिसका न आदि है न अन्त। यीशु से पहले ईसाई मत नहीं था, मुहम्मद से पहले इस्लाम मत नहीं था। श्री कृष्ण की भागवत कथा श्री कृष्ण के जन्म से पहले नहीं थी अर्थात कृष्ण भक्ति सनातन नहीं है । श्री राम की रामायण तथा रामचरितमानस भी श्री राम जन्म से पहले नहीं थी अर्थात श्री राम भक्ति भी सनातन नहीं है । श्री लक्ष्मी भी, (यदि प्रचलित सत्य-असत्य कथाओ के अनुसार भी सोचें तो), तो समुद्र मंथन से पहले नहीं थी अर्थात लक्ष्मी पूजन भी सनातन नहीं है । गणेश जन्म से पूर्व गणेश का कोई अस्तित्व नहीं था, तो गणपति पूजन भी सनातन नहीं है । केवल सनातन धर्मं ही सदा से है, सृष्टि के आरंभ से सृष्टि के अंत | The term ‘sanaatan’ was mentioned and explained in depth in Vedic literature (Rig Veda) (4-138) सनातन सत्य ।ॐ।। पूर्णमद: पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमुदच्यते। पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते।।- ईश उपनिषद सत्य दो धातुओं से मिलकर बना है सत् और तत्। सत का अर्थ यह और तत का अर्थ वह। दोनों ही सत्य है। अहं ब्रह्मास्मी और तत्वमसि। अर्थात मैं ही ब्रह्म हूँ और तुम ही ब्रह्म हो। यह संपूर्ण जगत ब्रह्ममय है। ब्रह्म पूर्ण है। यह जगत् भी पूर्ण है। पूर्ण जगत् की उत्पत्ति पूर्ण ब्रह्म से हुई है। पूर्ण ब्रह्म से पूर्ण जगत् की उत्पत्ति होने पर भी ब्रह्म की पूर्णता में कोई न्यूनता नहीं आती। वह शेष रूप में भी पूर्ण ही रहता है। यही सनातन सत्य है। ब्रह्म ही सत्य है। ब्रह्म शब्द का कोई समानार्थी शब्द नहीं है। धर्म It means that such actions, thoughts and practices that promote physical and mental happiness in the world (abhyudaya) and ensure God realization (nishreyas) in the end, are called dharm. Its earliest record is the Rigveda, which is the record of ancient sages who by whatever means tried to learn the truth about the universe, in relations to Man’s place in relation to the cosmos. This search has no historical beginning; nor does it have a historical founder. आर्य आर्य समाज के लोग इसे आर्य धर्म कहते हैं, जबकि आर्य किसी जाति या धर्म का नाम न होकर इसका अर्थ सिर्फ श्रेष्ठ ही माना जाता है। अर्थात जो मन, वचन और कर्म से श्रेष्ठ है वही आर्य है। इस प्रकार आर्य धर्म का अर्थ श्रेष्ठ समाज का धर्म ही होता है। प्राचीन भारत को आर्यावर्त भी कहा जाता था जिसका तात्पर्य श्रेष्ठ जनों के निवास की भूमि था। Share this: Facebook Email April 2, 2016Leave a reply « Previous Leave a Reply You must be logged in to post a comment.  Search Recent Posts हिन्दू क्या है, सनातन क्या है और धर्म क्या है ? कैवल्यपाद विभूतिपाद साधनपाद समाधिपाद योग के भेद (प्रकार) योग दर्शन योग ( ज्ञान योग , उपासना योग और कर्मयोग ) का वास्तविक स्वरुप – सांख्यदर्शन सांख्य दर्शन के मुख्य ग्रन्थ सांख्य और योग दर्शन न्याय और वैशेषिक दर्शन का सिद्धांत न्याय – दर्शन वैशेषिक दर्शन उत्तरमीमांसा – (वेदांत दर्शन) पूर्व मीमांसा ( मीमांसा दर्शन ) पूर्व मीमांसा और उत्तर मीमांसा अर्थात मीमांसा और वेदांत दर्शन दर्शन: क्या हैं ? वेद क्या हैं ? साधक को कैसा भोजन करना चाहिए ? भगवान (ईश्वर) क्या है और उसका वास्तविक स्वरुप क्या है ? अच्छाई – बुराई योग क्या है ? प्राणायाम : मन, बुद्धि एवं प्राण वास्तविक राष्ट्र – निर्माण ( Real/True Nation Building ) अष्टांग योग की विधि : Ashtang Yog Method कलयुग , ( दारुण कलियुग ) की अवस्था एवं उपाय जो आपको हानि पहुँचाये, वो वास्तव में दया का पात्र है वर्ण व्यवस्था लोग निंदा करें तो करने दो सार्वभौम सत्य … सर्वमान्य सत्य … सच्ची असमर्थता जीवन का वरदान है सेवा Meaning of Gayatri Mantra : गायत्री मंत्र का अर्थ मानवता के मूल सिद्धान्त जो हम चाहते हैं, वह न हो ! गुरु कौन है ? चेला कौन है ? मानव-जीवन की पूर्णता ? सबसे श्रेष्ठ आदमी कौन है ? सत्य धर्म के पाँच आधार जीवन क्या है ? मृत्यु क्या है ? What is Life ? What is Death ? मनुष्य असमपुर्ण है, मनुष्य मनुष्य की परीक्षा के योग्य नहीं ! The great questions & answers ! हमने तुम्हे ताकत दी, तुमने जुल्म किया, हमने इसे ताकत दी, इसने इन्साफ किया ! Truth about Allopathy VALUE OF A TREE What is True Education ? Only a saint can think & talk like this ! सात सुख : The seven bliss ! आराम करो : Take Rest ! किसे अधिक महत्व देना ? शुद्ध मन्त्र Nobody can attract me with a million dollars a day ! Good research today is inter-disciplinary ! Real science is that which is done in small laboratories! The Greatest Things मानवता के मूल सिद्धान्त छ: दर्शनोंसे निराला दर्शन श्रीमद्भगवद्गीता ( गीता ) यथार्त रूप हिंदी मैं ! 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