MENU  Ashish Singh शास्त्रों के मुताबिक इन 7 चीजों को बिना संकोच और शर्म के करना चाहिए स्वीकार, नहीं तो…  Share Tweet ये बात तो हम सभी कहते हैं कि हमें किसी कि अनुमति के बिना और अधिक जरुरत न होने पर किसी से कोई चीज नहीं लेनी चाहिए। जहां तक हो सके हमें किसी से किसी कोई चीज लेने से बचना चाहिए। किसी से कुछ लेने से न सिर्फ हमारे स्वाभिमान को ठेस पहुंचती है बल्कि, हमारी इज्जत भी कम होती है। लेकिन, कुछ चीजों ऐसी भी हैं जिन्हें लेने में बिल्कुल भी संकोच नहीं करना चाहिए। इस बात का जिक्र मनु स्मृति में भी एक श्लोक के जरिए किया गया है। श्लोक  स्त्रियो रत्नान्यथो विद्या धर्मः शौचं सुभाषितम्। विविधानि च शिल्पानि समादेयानि सर्वतः।। इस श्लोक का अर्थ यह है कि जहां कहीं से भी या किसी से भी 7 चीजें – शुद्ध रत्न, दूसरी विद्या, तीसरा धर्म, चौथा पवित्रता, पांचवा उपदेश और छठा भिन्न-भिन्न प्रकार के शिल्प, सुंदर और शिक्षित स्त्री मिलें उन्हें ले लेना चाहिए। इसमें किसी प्रकार का संकोच नहीं करना चाहिए। विद्या  कहा भी जाता है कि विद्या यानि ज्ञान एक ऐसी चीज होती है जो बांटने से बढ़ती है। वो ज्ञान ही है जिससे हम दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाते हैं और सफल बनते हैं। इसलिए जहां कहीं से भी ज्ञान कि प्राप्ति हो, किसी से भी मिले, उसे लेने में हिचकिचाना नहीं चाहिए। धर्म  संस्कृत शब्द “धर्म” अका अर्थ है धारण करना। धर्म बस एक शब्द नहीं मनुष्य के संपूर्ण जीवन का सार भी हो सकता है। धर्म हमें सही मार्ग पर चलना सिखाता है, जीवन की वास्तविक जिम्मेदारियों से अवगत करवाता है, दूसरों की भलाई करने की शिक्षा भी देता है। इसलिए अगर कोई आपको धर्म की दीक्षा दे तो आपको कभी उसे मना नहीं करना चाहिए। उपदेश  उपदेश ज्ञान का ही एक रुप है, इसलिए अगर कोई साधु-संत कहीं उपदेश दे रहा हो तो वहां थोड़ी देर रुककर उसकी बात सुननी चाहिए। और इसकी हर बात ध्यान से सुननी चाहिए, क्योंकि पता नहीं उसकी किस बात से आपका जीवन बदल जाए। शुद्ध रत्न  पुखराज, पन्ना, हीरा, नीलम जैसे रत्न शुद्ध होने के साथ-साथ महंगे भी होते हैं। हीरा कोयले की खान में से निकलने के बावजूद पवित्र है और मूंगा समुद्र से निकलने के बावजूद पवित्र है। ये आपके काफी काम आयेंगे, इसलिए इन्हें लेने या पहनने में हिचकिचाना नहीं चाहिए। पवित्रता या स्वच्छता  पवित्रता का अर्थ मात्र शरीर से न होकर मनुष्य के संपूर्ण आचार-विचार व जीवन यापन से होता है। उन्नति के लिए मनुष्य के विचार पवित्र होने जरुरी हैं। स्वच्छता बाहरी और आंतरिक दोनों रुप में होनी चाहिए। इसलिए हमें हमेशा खुद को पवित्र रखने की कोशिस करनी चाहिए। शिल्प  यहां शिल्प या शिल्पकला सीखने में सिखाने वाले व्यक्ति कि धर्म, जात, उसका चरित्र और स्वभाव नहीं देखना चाहिए। आपका लक्ष्य केवल उसके इस विशेष गुण को सिखना होना चाहिए। आपको पूरी निष्ठा से उस व्यक्ति को अपना गुरु मानकर कला सीखनी चाहिए। सुंदर स्त्री  स्त्री की सुंदरता केवल उसके चेहरे से ही नहीं होती बल्कि, सुदंरता में स्त्री का चरित्र चेहरे से ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। जिस स्त्री चरित्र उज्जवल है और जिसमें कोई दोष नहीं है और जो परिवार का ख्याल रखती है ऐसी स्त्री सभी के लिए सौभाग्यशाली साबित होती हैं। इसलिए ऐसी स्त्री को धर्म जाति के आधार पर नहीं तौलना चाहिए।  हेलिकॉप्टर से जाना था शादी में, पहुंच गए जेल » « 4 बातें जो बता सकती है आपका पार्टनर आपके साथ रहने वाला है उम्रभर या नहीं.. Related Post  भूलकर भी कभी इन 5 के विषय में बुरा ना सोचें, इन का बुरा सोचते ही आप विनाश को आमंत्रित करते हैं  बचना चाहते हैं शारीरिक और मानसिक परेशानी से तो सोते समय सर के पास भूलकर भी ना रखें ये चीजें  ‘कलियुग’ में सिर्फ 12 साल जीवित रहेगा इंसान! जानिए इस युग के अंत में कैसा होगा मनुष्य का हाल?  गरुड़ पुराण में छिपे हैं इस सफलता के अचूक मंत्र का हर कोई उठा सकता है लाभ, विफलता हो जायेगी दूर  भगवान शिव को अर्पित करें ये फूल, जल्द ही पूरी हो जाएगी मनचाहे जीवनसाथी की कामना  राजस्थान का एक ऐसा रहस्यमयी मंदिर जहां पत्थर का बन जाता है इंसान  सुबह कब उठते हैं? यही तय करता है की किस वक्त होगी आपकी मृत्यु! जानिए कैसे?  अगर आज आपने भूल से देख लिया चाँद तो करें ये उपाय, बचेंगे कलंक से  अगर आप में है यह गुण तो कोई भी नहीं देखेंगा आपकी तरफ गलत नजरों से, जानिये क्यों ?  गणेश चतुर्थी विशेष: ऐसे करें गणपति बप्पा की स्थापना और पूजा, बप्पा हर लेंगे जीवन के सभी कष्ट ब्रेकिंग न्यूज़ मुख्य समाचार दिलचस्प अध्यात्म स्वास्थ्य विशेष डांस ट्रेंड रिलेशनशिप्स बॉलीवुड एस्ट्रोलॉजी Top | View Non-AMP Version Copyright © 2017 Newstrend. All rights reserved. 
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