Wednesday, 30 August 2017

दशलक्षण पर्व का बहुत महत्व है। जैन धर्म के दस लक्षण होते ह

मुख्य मेनू खोलें  खोजें संपादित करेंइस पृष्ठ का ध्यान रखें दशलक्षण पर्व पेज समस्याएं जैन धर्म में दशलक्षण पर्व का बहुत महत्व है। जैन धर्म के दस लक्षण होते है। कहते है जो इन दस लक्षणों का अच्छी तरह से पालन कर ले उसे इस संसार से मुक्ति मिल सकती है। पर सांसारिक जीवन का निर्वाह करने में हर समय इन नियमों का पालन करना मुश्किल हो जाता है और बहुत शुभ और अशुभ कर्मों का बन्ध हो जाता है। इन कर्मो का प्रक्षालन करने के लिए श्रावक उत्तम क्षमा आदि धर्मों का पालन करते है। जैन धर्म के दस लक्षण इस प्रकार है:- १) उत्तम क्षमा, २) उत्तम मार्दव, ३) उत्तम आर्जव, ४) उत्तम शौच, ५) उत्तम सत्य, ६) उत्तम संयम, ७) उत्तम तप,८) उत्तम त्याग, ९) उत्तम अकिंचन्य, १०) उत्तम ब्रहमचर्य। इन दस लक्षणों का पालन करने हेतु जैन धर्म में साल में तीन बार दसलक्षण पर्व मनाया जाता है। चैत्र शुक्ल ५ से १४ तक भाद्र शुक्ल ५ से १४ तक और माघ शुक्ल ५ से १४ तक। भाद्र महीने में आने वाले दशलक्षण पर्व को लोगो द्वारा ज्यादा धूमधाम से मनाया जाता है। इन दस दिनों में श्रावक अपनी शक्ति अनुसार व्रत उपवास आदि करते है। ज्यादा से ज्यादा समय भगवन की पूजा अर्चना में व्यतीत किया जाता है। RELATED PAGES धर्म पर्यूषण पर्व दशलक्षण धर्म Last edited 2 years ago by SM7  सामग्री CC BY-SA 3.0 के अधीन है जब तक अलग से उल्लेख ना किया गया हो। गोपनीयताडेस्कटॉप

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