Thursday, 31 August 2017

रघुवंश

ⓘ Optimized 14 minutes agoView original http://susanskrit.org/raghuvansh.html SuSanskritMenu Search  खोज... रघुवंश अथ प्रजानामधिपः प्रभाते जायाप्रतिग्राहितगन्धमाल्याम् । वनाय पीतप्रतिबद्धवत्सां यशोधनो धेनुमृषेर्मुमोच ॥ १ ॥ रात्रि के बीत जाने पेर यश के धनी, प्रजापालक, राजा दिलीप ने प्रातःकाल सुदक्षिणा द्वारा दी हुई गन्धमाला को ग्रहण करने वाली, दूध पीकर बँधे हुए बछड़े वाली, महर्षि वसिष्ठ की नन्दिनी गौ को वन में चराने के लिए खोल दिया । Write comment (0 Comments) तस्याः खुरन्यासपवित्रपांसुमपांसुलानां धुरि कीर्तनीया । मार्ग मनुष्येश्वरधर्मपत्नी श्रुतेरिवाथॅ स्मृतरन्वगच्छत् ॥ २ ॥ पतिव्रताऔं में अग्रगण्य राजा दिलीप की धर्मपत्नी सुदक्षिणा उस नन्दिनी के खुरों के रखने से पवित्र धूलिवाले मार्ग में वेद के अर्थ के पीछे स्मृति के समान चली । Write comment (1 Comment) व्रताय तेनानुचरेण व्रताय तेनानुचरेण धेनोन्यॅषेधि शेषोप्यनुयायिवगॅः । न चान्यतस्तस्य शरीररक्षा, स्ववीर्यगुप्ता हि मनोः प्रसूति ॥ ४ ॥ व्रत के लिए नन्दिनी के पीछे चलने वाले राजा दिलीप ने शेष नौकरों को भी लौटा दिया । उनके शरीर की रक्षा के लिए दुसरो के आवश्यकता न थी, क्योंकि मनु की संतान अपने पराक्रम से रक्षित होती है । Write comment (0 Comments) स्थितः स्थितामुच्चलितः स्थितः स्थितामुच्चलितः प्रयातां निषेदुषीमासनबन्धधीरः । जलाभिलाषी जलमाददानां छायेव तां भुपतिरन्वगच्छत् ॥ ६ ॥ राजा दिलीप उस नन्दिनी के ठहरने पर ठहरते हुए, चलने पर चलते हुए, बैठने पर बैठते हुए, पानी पीने पर पानी पीते हुए, छाया के समान उसके पीछे पीछे चले । Write comment (0 Comments) स न्यस्तचिन्हामपि स न्यस्तचिन्हामपि राजमलक्ष्मीं तेजोविशेषानुमितां दधानः । आसीदनाविष्कृतदानराजिरन्तर्मदावस्थ इव द्विपेन्द्रः ॥ ७ ॥ छ्त्र चामरादि चिन्हों से रहित होते हुए भी विशेष तेज से अनुमान की जानेवाली राजमलक्ष्मीं को धारण करते हुए वे प्रगट रूप से न दिखाई पड़ने वाली मद रेखा से संयुक्त हाथी के समान मालूम पड़ते थे । Write comment (0 Comments) लताप्रतानोद्ग्रथितैः स लताप्रतानोद्ग्रथितैः स केशैरधिज्यधन्वा विचचार दावम् । रक्षापदेशान्मुनिहोमधेनोवॅन्यान्विनेष्यन्निव दुष्टसत्त्वान् ॥ ८ ॥ लतातंतुऔं से गूंथे केश वाले, प्रत्यक्ष चढ़े हुए धनुष को धारण किए वे राजा दिलीप वसिष्ठ ऋषि के धेनु की रक्षा बहाने जंगली दुष्ट जीवों को मानों शिक्षा देते हुए वन में विचरने लगे । Write comment (0 Comments) विसृष्टपार्श्वानुचरस्य तस्य विसृष्टपार्श्वानुचरस्य तस्य पार्श्वाद्रुमाः पाशभृता समस्य । उदीरयामासुरिवीन्मदानामालोकशब्दं वयसां विरावैः ॥ ९ ॥ पाश्वॅवर्ती सेवकों को लौटा देने वाले, वरुण के समान उस राजा के अगल बगल के वृक्षों ने उन्मत्त पक्षियों के कलरव से मानों जयकार किया । Write comment (0 Comments) मरुत्प्रयुक्ताश्च मरुत्सखाभं मरुत्प्रयुक्ताश्च मरुत्सखाभं तमर्च्यमारादभिवर्तमानम् । अवाकिरन्वाललताः प्रसूनैराचारलाजैरिव पौरकन्या ॥ १० ॥ और वायुसंचालित नई लताओं ने पास में वर्तमान अग्नि के समान राजा दिलीप के ऊपर बालिकाओं द्वारा धान के समान पुष्पों की वर्षा की । Write comment (0 Comments) शशाम वृष्टयाऽपि विना शशाम वृष्टयाऽपि विना दवाग्निरासीद्विशेषा फलपुष्पवृद्धिः । ऊनं न सत्त्वेष्वधिको बबाधे तस्मिन् वने गोप्तरि गाहमाने ॥ १४ ॥ उस रक्षक राजा के वन में प्रवेश करने पर वनाग्नि वर्षा के बिना ही शांत हो गया, फुल-फलों की वृद्धि विशेषरुप से होने लगी, पशुओं में सबल निर्बल को सत्ता नहीं पाये । Write comment (0 Comments) सञ्चारपूतानि दिगन्तराणि सञ्चारपूतानि दिगन्तराणि कृत्वा दिनान्ते निलयाय गन्तुम् । प्रचक्रमे पल्लवरागताम्रा प्रभा पतङ्गस्य मुनेश्च धेनुः ॥ १५ ॥ नवीन पल्लव की लालिमा के समान सूर्य की प्रभा और वसिष्ठ की धेनु नन्दिनी दिशाओं को अपने परिभ्रमण से पवित्र करके सायंकाल निलय ( आश्रम ) के लिए लौटी । Write comment (0 Comments) << प्रारंभ करना < पीछे 1 2 3 4 5 6 अगला > अंत >> पृष्ठ 1 का 6 विशेष यक्ष-युधिष्ठिर संवाद रम्भा-शुक संवाद रघुवंश सामान्य ज्ञान श्रीमद्भगवद्गीता अ१ अर्जुनविषादयोग अ२ सांख्ययोग अ३ कर्मयोग अ४ ज्ञानकर्मसन्यासयोग अ५ कर्मसन्यासयोग अ७ ज्ञानविज्ञानयोग अ८ अक्षरब्रह्मयोग अ९ राजविद्याराजगुह्ययोग अ१० विभूतियोग अ१२ भक्तियोग अ१३ क्षेत्रक्षेत्रज्ञविभागयोग अ१४ गुणत्रयविभागयोग अ१५ पुरुषोत्तमयोग अ१७ श्रद्धात्रयविभागयोग Copyright © 2005 - 2017 SuSanskrit. Designed by JoomlArt.com Joomla! is Free Software released under the GNU General Public License.   [+] Type in  मुख्य पृष्ठआशयचिंतनसुभाषितसंस्कृतबाल सुरभिसूक्तियांविशेषवेब संसाधन अथ प्रजानामधिपः प्रभाते मुद्रणई-मेल तस्याः खुरन्यासपवित्र मुद्रणई-मेल पोस्ट करेंरजिस्ट्रेशन और लेखनपाक्षिक चिंतनसम्पर्क करें

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