Tuesday 29 August 2017

युधिष्ठर यक्ष संवाद

ⓘ Optimized 13 hours agoView original https://www.bharatdarshan.co.nz/daily-stories/143/yaksha-yudhisthira-samvad.html Menu हिंदी भारतीय संस्कृति की आत्मा है। - कमलापति त्रिपाठी। भारत-दर्शन::इंटरनेट पर विश्व की सबसे पहली ऑनलाइन हिंदी साहित्यिक पत्रिका Find Us On:   English  Hindi Search  Search सोम, 28 अगस्त 2017  रैदास  मुंशी प्रेमचंद  रबीन्द्रनाथ टैगोर सुभद्रा कुमारी Important Links Home Magazine Authors Collection Literature Collection Childrens Literature Daily Story Hindi Literary News Submit Your Work Festival Collection Mythology Collection Blog Video Gallery  About Bharat-Darshan Guest Book Literature Forum Image Gallery Hindi Story Collection About New Zealand Bulletin Board Hindi Teacher Hindi Font Downloads Bal Sahitya New Zealand Hindi News Contact Us Download Hindi Stories रोहित कुमार 'हैप्पी' का रचनालय   युधिष्ठर यक्ष संवाद - भारत-दर्शन संकलन Author: भारत-दर्शन संकलन महाभारत के एक वृतांत आता है कि जलाशय में पानी पीने गए नकुल, सहदेव, अर्जुन व भीम यक्ष के प्रश्नों की परवाह न करते हुए पानी पीने लगे और मर गए। काफी देर तक अपने भाइयों को न आता देख युधिष्ठिर व्याकुल हो उठे और खोजते हुए उसी जलाशय के किनारे पहुचें, जिसका जल पीकर चारो भाई मृत पड़े थे। उनकी मृत्यु का कारण सोचते हुए प्यास से व्याकुल युधिष्ठर जलाशय में उतरने लगे, इतने में उन्हें एक वाणी सुनाई दी सावधान तुम्हारे भाइयो ने मेरी बात न मानकर पानी पीया है, यह जलाशय मेरे अाधीन है। मेरे प्रश्नों का उत्तर दो और फिर अपनी प्यास बुझाओ। युधिष्ठिर समझ गए की कोई यक्ष बोल रहा हैं उन्होंने कहा आप प्रश्न करें मैं अपने सामर्थयानुसार उत्तर देने का प्रयत्न करूंगा। यक्ष ने प्रश्न किया - यक्ष - मनुष्य का कौन साथ देता हैं? युधिष्ठिर - धैर्य ही मनुष्य का साथ देता हैं। यक्ष - यशलाभ का एकमात्र उपाय क्या हैं? युधिष्ठिर - दान यक्ष - हवा से भी तेज चलने वाला कौन हैं? युधिष्ठिर - मन यक्ष - विदेश जाने वाले का कौन साथी होता हैं? युधिष्ठिर - विधा यक्ष - किसे त्याग कर मनुष्य प्रिय हो जाता हैं? युधिष्ठिर - अहंभाव से उत्पन्न गर्व के छूट जाने पर। यक्ष - किस चीज के छूट जाने पर दुःख नहीं होता? युधिष्ठिर - क्रोध यक्ष - किस चीज को गवाकर मनुष्य धनी बनता हैं? युधिष्ठिर - लोभ यक्ष - ब्राह्मण होना किस बात पर निर्भर हैं? जन्म पर, विधा पर, शीलस्वभाव पर ? युधिष्ठिर - शीलस्वभाव पर यक्ष - कौनसा ऐसा एकमात्र उपाय हैं, जिससे जीवन सुखी हो सकता हैं? युधिष्ठिर - अच्छा स्वभाव ही सुखी होने का उपाय हैं। यक्ष - सर्वोतम लाभ क्या हैं? युधिष्ठिर - आरोग्य यक्ष - धर्म से बढ़कर संसार में और क्या हैं? युधिष्ठिर - उदारता यक्ष - कैसे व्यक्ति के साथ की गई मित्रता कभी पुरानी नहीं पड़ती? युधिष्ठिर - सज्जनों के साथ की गई मित्रता। यक्ष - इस जगत में आश्चर्य क्या हैं? युधिष्ठिर - रोज हजारो लोग मर रहे हैं फिर भी लोग चाहते हैं कि वे अन्नतकाल तक जीवित रहें, इससे बड़ा आश्चर्य और क्या हो सकता हैं! इसी प्रकार यक्ष ने कई प्रश्न किए और युधिष्ठिर ने उन सबके सही उत्तर दिए। अन्त में यक्ष ने पूछा - राजन मैं तुम्हारे मृत भाइयो में से किसी एक को प्राण-दान दे सकता हूं तुम जिसे कहो वह जीवित हो जायेगा। युधिष्ठिर ने पल भर सोचा और कहा "नकुल जी उठे।" युधिष्ठिर के इस प्रकार बोलते हुए यक्ष सामने प्रकट हुआ और बोला "दस हज़ार वाले हाथियों के बल वाले भीम" को छोड़ कर तुमने नकुल को क्यों जीवित चाहा? भीम नहीं तो अर्जुन को ही कह सकते थे, जिसकी रण-कुशलता सदैव ही तुम्हारी रक्षा करती रही है। युधिष्ठिर ने कहा, - महाराज मनुष्य की रक्षा न तो भीम से होती हैं और न अर्जुन से धर्म ही मनुष्य की रक्षा करता हैं और धर्म से विमुख हो जाने पर मनुष्य का नाश हो जाता हैं। मेरे पिता की दो पत्नियों में से कुंती का एक पुत्र मैं बचा हूं और मैं चाहता हूं की माद्री का भी एक पुत्र जीवित रहे। "पक्षपात से रहित मेरे प्यारे पुत्र, तुम्हारे चारो ही भाई जी उठे"- यक्ष ने वर दिया। Posted By manoj jwala on Thursday, 01-Jan-1970 धन्यवाद ! Posted By Narendra Nath Ray on Thursday, 01-Jan-1970 Good Posted By yogendra th great on Thursday, 01-Jan-1970 awesome Comment using facebook Post Comment Name:  Email:  Content:    Type a word in English and press SPACE to transliterate. Press CTRL+G to switch between English and the Hindi language. Submit Bharat-Darshan, Hindi literary magazine from New Zealand सब्स्क्रिप्शन  Your First Name  Your Email Address   Subscribe सर्वेक्षण भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?  अच्छा लगा  अच्छा नही लगा  पता नहीं आप किस देश से हैं?  करके परिणाम देखें इस अंक में इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें पिछले अंक मई-जून 2017 मार्च -अप्रैल 2017 जनवरी-फरवरी 2017 बाल विशेषांक कथा-कहानी अंक और... सम्पर्क करें आपका नाम  ई-मेल  संदेश    संदेश भेजें Home | Hindi Authors | Best Hindi Stories | Hindi Stories | Hindi Poems | Stories for Kids Bharat-Darshan, Hindi Magazine [ ISSN 2423-0758 ] 2/156, Universal Drive, Henderson, Waitakere -0610, Auckland (New Zealand) Ph:0064-9-837 7052 Fax : 0064-9-837 3285 Mobile :0064 -21-171 3934 E-mail : info@bharatdarshan.co.nz © Bharat Darshan, 2015-16 | Privacy Policy  Show navigationHide navigationमुख्य पृष्ठकथा-कहानीलोक-कथाएंसंस्मरणपौराणिक-कथाएंलघु-कथाएंकहानियां काव्यगीतकविताएंग़ज़लेंदोहे बाल-साहित्य बच्चों की कविताएंपहेलियाँबच्चों की कहानियांविविधभारतीय व्रत, त्योहार व मेलेरोचकआलेखसंपादकीय

No comments:

Post a Comment