Wednesday, 30 August 2017
मुहम्मद पैगम्बर खुद जन्मजात हिंदु थे और काबा हिंदु मंदिर
awyaleek
बुधवार, 24 नवंबर 2010
मुहम्मद पैगम्बर खुद जन्मजात हिंदु थे और काबा हिंदु मंदिर
मुसलमान कहते हैं कि कुराण ईश्वरीय वाणी है तथा यह धर्म अनादि काल से चली आ रही है,परंतु इनकी एक-एक बात आधारहीन तथा तर्कहीन हैं-सबसे पहले तो ये पृथ्वी पर मानव की उत्पत्ति का जो सिद्धान्त देते हैं वो हिंदु धर्म-सिद्धान्त का ही छाया प्रति है.हमारे ग्रंथ के अनुसार ईश्वर ने मनु तथा सतरूपा को पृथ्वी पर सर्व-प्रथम भेजा था..इसी सिद्धान्त के अनुसार ये भी कहते हैं कि अल्लाह ने सबसे पहले आदम और हौआ को भेजा.ठीक है...पर आदम शब्द संस्कृत शब्द "आदि" से बना है जिसका अर्थ होता है-सबसे पहले.यनि पृथ्वी पर सर्वप्रथम संस्कृत भाषा अस्तित्व में थी..सब भाषाओं की जननी संस्कृत है ये बात तो कट्टर मुस्लिम भी स्वीकार करते हैं..इस प्रकार आदि धर्म-ग्रंथ संस्कृत में होनी चाहिए अरबी या फारसी में नहीं.
इनका अल्लाह शब्द भी संस्कृत शब्द अल्ला से बना है जिसका अर्थ देवी होता है.एक उपनिषद भी है "अल्लोपनिषद". चण्डी,भवानी,दुर्गा,अम्बा,पार्वती आदि देवी को आल्ला से सम्बोधित किया जाता है.जिस प्रकार हमलोग मंत्रों में "या" शब्द का प्रयोग करते हैं देवियों को पुकारने में जैसे "या देवी सर्वभूतेषु....", "या वीणा वर ...." वैसे ही मुसलमान भी पुकारते हैं "या अल्लाह"..इससे सिद्ध होता है कि ये अल्लाह शब्द भी ज्यों का त्यों वही रह गया बस अर्थ बदल दिया गया.
चूँकि सर्वप्रथम विश्व में सिर्फ संस्कृत ही बोली जाती थी इसलिए धर्म भी एक ही था-वैदिक धर्म.बाद में लोगों ने अपना अलग मत और पंथ बनाना शुरु कर दिया और अपने धर्म(जो वास्तव में सिर्फ मत हैं) को आदि धर्म सिद्ध करने के लिए अपने सिद्धान्त को वैदिक सिद्धान्तों से बिल्कुल भिन्न कर लिया ताकि लोगों को ये शक ना हो कि ये वैदिक धर्म से ही निकला नया धर्म है और लोग वैदिक धर्म के बजाय उस नए धर्म को ही अदि धर्म मान ले..चूँकि मुस्लिम धर्म के प्रवर्त्तक बहुत ज्यादा गम्भीर थे अपने धर्म को फैलाने के लिए और ज्यादा डरे हुए थे इसलिए उसने हरेक सिद्धान्त को ही हिंदु धर्म से अलग कर लिया ताकि सब यही समझें कि मुसलमान धर्म ही आदि धर्म है,हिंदु धर्म नहीं..पर एक पुत्र कितना भी अपनेआप को अपने पिता से अलग करना चाहे वो अलग नहीं कर सकता..अगर उसका डी.एन.ए. टेस्ट किया जाएगा तो पकड़ा ही जाएगा..इतने ज्यादा दिनों तक अरबियों का वैदिक संस्कृति के प्रभाव में रहने के कारण लाख कोशिशों के बाद भी वे सारे प्रमाण नहीं मिटा पाए और मिटा भी नही सकते....
भाषा की दृष्टि से तो अनगिणत प्रमाण हैं यह सिद्ध करने के लिए कि अरब इस्लाम से पहले वैदिक संस्कृति के प्रभाव में थे.जैसे कुछ उदाहरण-मक्का-मदीना,मक्का संस्कृत शब्द मखः से बना है जिसका अर्थ अग्नि है तथा मदीना मेदिनी से बना है जिसका अर्थ भूमि है..मक्का मदीना का तात्पर्य यज्य की भूमि है.,ईद संस्कृत शब्द ईड से बना है जिसका अर्थ पूजा होता है.नबी जो नभ से बना है..नभी अर्थात आकाशी व्यक्ति.पैगम्बर "प्र-गत-अम्बर" का अपभ्रंश है जिसका अर्थ है आकाश से चल पड़ा व्यक्ति..
चलिए अब शब्दों को छोड़कर इनके कुछ रीति-रिवाजों पर ध्यान देते हैं जो वैदिक संस्कृति के हैं--
ये बकरीद(बकर+ईद) मनाते हैं..बकर को अरबी में गाय कहते हैं यनि बकरीद गाय-पूजा का दिन है.भले ही मुसलमान इसे गाय को काटकर और खाकर मनाने लगे..
जिस तरह हिंदु अपने पितरों को श्रद्धा-पूर्वक उन्हें अन्न-जल चढ़ाते हैं वो परम्परा अब तक मुसलमानों में है जिसे वो ईद-उल-फितर कहते हैं..फितर शब्द पितर से बना है.वैदिक समाज एकादशी को शुभ दिन मानते हैं तथा बहुत से लोग उस दिन उपवास भी रखते हैं,ये प्रथा अब भी है इनलोगों में.ये इस दिन को ग्यारहवीं शरीफ(पवित्र ग्यारहवाँ दिन) कहते हैं,शिव-व्रत जो आगे चलकर शेबे-बरात बन गया,रामध्यान जो रमझान बन गया...इस तरह से अनेक प्रमाण मिल जाएँगे..आइए अब कुछ महत्त्वपूर्ण बिंदुओं पर नजर डालते हैं...
अरब हमेशा से रेगिस्तानी भूमि नहीं रहा है..कभी वहाँ भी हरे-भरे पेड़-पौधे लहलाते थे,लेकिन इस्लाम की ऐसी आँधी चली कि इसने हरे-भरे रेगिस्तान को मरुस्थल में बदल दिया.इस बात का सबूत ये है कि अरबी घोड़े प्राचीन काल में बहुत प्रसिद्ध थे..भारतीय इसी देश से घोड़े खरीद कर भारत लाया करते थे और भारतीयों का इतना प्रभाव था इस देश पर कि उन्होंने इसका नामकरण भी कर दिया था-अर्ब-स्थान अर्थात घोड़े का देश.अर्ब संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ घोड़ा होता है. {वैसे ज्यादातर देशों का नामकरण भारतीयों ने ही किया है जैसे सिंगापुर,क्वालालामपुर,मलेशिया,ईरान,ईराक,कजाकिस्थान,तजाकिस्थान,आदि..} घोड़े हरे-भरे स्थानों पर ही पल-बढ़कर हृष्ट-पुष्ट हो सकते हैं बालू वाले जगहों पर नहीं..
इस्लाम की आँधी चलनी शुरु हुई और मुहम्मद के अनुयायियों ने धर्म परिवर्त्तन ना करने वाले हिंदुओं का निर्दयता-पूर्वक काटना शुरु कर दिया..पर उन हिंदुओं की परोपकारिता और अपनों के प्रति प्यार तो देखिए कि मरने के बाद भी पेट्रोलियम पदार्थों में रुपांतरित होकर इनका अबतक भरण-पोषण कर रहे हैं वर्ना ना जाने क्या होता इनका..!अल्लाह जाने..!
चूँकि पूरे अरब में सिर्फ हिंदु संस्कृति ही थी इसलिए पूरा अरब मंदिरों से भरा पड़ा था जिसे बाद में लूट-लूट कर मस्जिद बना लिया गया जिसमें मुख्य मंदिर काबा है.इस बात का ये एक प्रमाण है कि दुनिया में जितने भी मस्जिद हैं उन सबका द्वार काबा की तरफ खुलना चाहिए पर ऐसा नहीं है.ये इस बात का सबूत है कि सारे मंदिर लूटे हुए हैं..इन मंदिरों में सबसे प्रमुख मंदिर काबा का है क्योंकि ये बहुत बड़ा मंदिर था.ये वही जगह है जहाँ भगवान विष्णु का एक पग पड़ा था तीन पग जमीन नापते समय..चूँकि ये मंदिर बहुत बड़ा आस्था का केंद्र था जहाँ भारत से भी काफी मात्रा में लोग जाया करते थे..इसलिए इसमें मुहम्मद जी का धनार्जन का स्वार्थ था या भगवान शिव का प्रभाव कि अभी भी उस मंदिर में सारे हिंदु-रीति रिवाजों का पालन होता है तथा शिवलिंग अभी तक विराजमान है वहाँ..यहाँ आने वाले मुसलमान हिंदु ब्राह्मण की तरह सिर के बाल मुड़वाकर बिना सिलाई किया हुआ एक कपड़ा को शरीर पर लपेट कर काबा के प्रांगण में प्रवेश करते हैं और इसकी सात परिक्रमा करते हैं.यहाँ थोड़ा सा भिन्नता दिखाने के लिए ये लोग वैदिक संस्कृति के विपरीत दिशा में परिक्रमा करते हैं अर्थात हिंदु अगर घड़ी की दिशा में करते हैं तो ये उसके उल्टी दिशा में..पर वैदिक संस्कृति के अनुसार सात ही क्यों.? और ये सब नियम-कानून सिर्फ इसी मस्जिद में क्यों?ना तो सर का मुण्डन करवाना इनके संस्कार में है और ना ही बिना सिलाई के कपड़े पहनना पर ये दोनो नियम हिंदु के अनिवार्य नियम जरुर हैं.
चूँकि ये मस्जिद हिंदुओं से लूटकर बनाई गई है इसलिए इनके मन में हमेशा ये डर बना रहता है कि कहीं ये सच्चाई प्रकट ना हो जाय और ये मंदिर उनके हाथ से निकल ना जाय इस कारण आवश्यकता से अधिक गुप्तता रखी जाती है इस मस्जिद को लेकर..अगर देखा जाय तो मुसलमान हर जगह हमेशा डर-डर कर ही जीते हैं और ये स्वभाविक भी है क्योंकि इतने ज्यादा गलत काम करने के बाद डर तो मन में आएगा ही...अगर देखा जाय तो मुसलमान धर्म का अधार ही डर पर टिका होता है.हमेशा इन्हें छोटी-छोटी बातों के लिए भयानक नर्क की यातनाओं से डराया जाता है..अगर कुरान की बातों को ईश्वरीय बातें ना माने तो नरक,अगर तर्क-वितर्क किए तो नर्क अगर श्रद्धा और आदरपूर्वक किसी के सामने सर झुका दिए तो नर्क.पल-पल इन्हें डरा कर रखा जाता है क्योंकि इस धर्म को बनाने वाला खुद डरा हुआ था कि लोग इसे अपनायेंगे या नहीं और अपना भी लेंगे तो टिकेंगे या नहीं इसलिए लोगों को डरा-डरा कर इस धर्म में लाया जाता है और डरा-डरा कर टिकाकर रखा जाता है..जैसे अगर आप मुसलमान नहीं हो तो नर्क जाओगे,अगर मूर्त्ति-पूजा कर लिया तो नर्क चल जाओगे,मुहम्मद को पैगम्बर ना माने तो नर्क;इन सब बातों से डराकर ये लोगों को अपने धर्म में खींचने का प्रयत्न करते हैं.पहली बार मैंने जब कुरान के सिद्धान्तों को और स्वर्ग-नरक की बातों को सुना था तो मेरी आत्मा काँप गई थी..उस समय मैं दसवीं कक्षा में था और अपनी स्वेच्छा से ही अपने एक विज्यान के शिक्षक से कुरान के बारे में जानने की इच्छा व्यक्त की थी..उस दिन तक मैं इस धर्म को हिंदु धर्म के समान या थोड़ा उपर ही समझता था पर वो सब सुनने के बाद मेरी सारी भ्रांति दूर हुई और भगवान को लाख-लाख धन्यवाद दिया कि मुझे उन्होंने हिंदु परिवार में जन्म दिया है नहीं पता नहीं मेरे जैसे हरेक बात पर तर्क-वितर्क करने वालों की क्या गति होती...!
एक तो इस मंदिर को बाहर से एक गिलाफ से पूरी तरह ढककर रखा जाता है ही(बालू की आँधी से बचाने के लिए) दूसरा अंदर में भी पर्दा लगा दिया गया है.मुसलमान में पर्दा प्रथा किस हद तक हावी है ये देख लिजिए.औरतों को तो पर्दे में रखते ही हैं एकमात्र प्रमुख और विशाल मस्जिद को भी पर्दे में रखते हैं.क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि अगर ये मस्जिद मंदिर के रुप में इस जगह पर होता जहाँ हिंदु पूजा करते तो उसे इस तरह से काले-बुर्के में ढक कर रखा जाता रेत की आँधी से बचाने के लिए..!! अंदर के दीवार तो ढके हैं ही उपर छत भी कीमती वस्त्रों से ढके हुए हैं.स्पष्ट है सारे गलत कार्य पर्दे के आढ़ में ही होते हैं क्योंकि खुले में नहीं हो सकते..अब इनके डरने की सीमा देखिए कि काबा के ३५ मील के घेरे में गैर-मुसलमान को प्रवेश नहीं करने दिया जाता है,हरेक हज यात्री को ये सौगन्ध दिलवाई जाती है कि वो हज यात्रा में देखी गई बातों का किसी से उल्लेख नहीं करेगा.वैसे तो सारे यात्रियों को चारदीवारी के बाहर से ही शिवलिंग को छूना तथा चूमना पड़ता है पर अगर किसी कारणवश कुछ गिने-चुने मुसलमानों को अंदर जाने की अनुमति मिल भी जाती है तो उसे सौगन्ध दिलवाई जाती है कि अंदर वो जो कुछ भी देखेंगे उसकी जानकारी अन्य को नहीं देंगे..
कुछ लोग जो जानकारी प्राप्त करने के उद्देश्य से किसी प्रकार अंदर चले गए हैं,उनके अनुसार काबा के प्रवेश-द्वार पर काँच का एक भव्य द्वीपसमूह लगा है जिसके उपर भगवत गीता के श्लोक अंकित हैं.अंदर दीवार पर एक बहुत बड़ा यशोदा तथा बाल-कृष्ण का चित्र बना हुआ है जिसे वे ईसा और उसकी माता समझते हैं.अंदर गाय के घी का एक पवित्र दीप सदा जलता रहता है.ये दोनों मुसलमान धर्म के विपरीत कार्य(चित्र और गाय के घी का दिया) यहाँ होते हैं..एक अष्टधातु से बना दिया का चित्र में यहाँ लगा रहा हूँ जो ब्रिटिश संग्रहालय में अब तक रखी हुई है..ये दीप अरब से प्राप्त हुआ है जो इस्लाम-पूर्व है.इसी तरह का दीप काबा के अंदर भी अखण्ड दीप्तमान रहता है .
ये सारे प्रमाण ये बताने के लिए हैं कि क्यों मुस्लिम इतना डरे रहते हैं इस मंदिर को लेकर..इस मस्जिद के रहस्य को जानने के लिए कुछ हिंदुओं ने प्रयास किया तो वे क्रूर मुसलमानों के हाथों मार डाले गए और जो कुछ बच कर लौट आए वे भी पर्दे के कारण ज्यादा जानकारी प्राप्त नहीं कर पाए.अंदर के अगर शिलालेख पढ़ने में सफलता मिल जाती तो ज्यादा स्पष्ट हो जाता.इसकी दीवारें हमेशा ढकी रहने के कारण पता नहीं चल पाता है कि ये किस पत्थर का बना हुआ है पर प्रांगण में जो कुछ इस्लाम-पूर्व अवशेष रहे हैं वो बादामी या केसरिया रंग के हैं..संभव है काबा भी केसरिया रंग के पत्थर से बना हो..एक बात और ध्यान देने वाली है कि पत्थर से मंदिर बनते हैं मस्जिद नहीं..भारत में पत्थर के बने हुए प्राचीन-कालीन हजारों मंदिर मिल जाएँगे...
ये तो सिर्फ मस्जिद की बात है पर मुहम्मद साहब खुद एक जन्मजात हिंदु थे ये किसी भी तरह मेरे पल्ले नहीं पड़ रहा है कि अगर वो पैगम्बर अर्थात अल्लाह के भेजे हुए दूत थे तो किसी मुसलमान परिवार में जन्म लेते एक काफिर हिंदु परिवार में क्यों जन्मे वो..?जो अल्लाह मूर्त्ति-पूजक हिंदुओं को अपना दुश्मन समझकर खुले आम कत्ल करने की धमकी देता है वो अपने सबसे प्यारे पुत्र को किसी मुसलमान घर में जन्म देने के बजाय एक बड़े शिवभक्त के परिवार में कैसे भेज दिए..? इस काबा मंदिर के पुजारी के घर में ही मुहम्मद का जन्म हुआ था..इसी थोड़े से जन्मजात अधिकार और शक्ति का प्रयोग कर इन्होंने इतना बड़ा काम कर दिया.मुहम्मद के माता-पिता तो इसे जन्म देते ही चल बसे थे(इतना बड़ा पाप कर लेने के बाद वो जीवित भी कैसे रहते)..मुहम्मद के चाचा ने उसे पाल-पोषकर बड़ा किया परंतु उस चाचा को मार दिया इन्होंने अपना धर्म-परिवर्त्तन ना करने के कारण..अगर इनके माता-पिता जिंदा होते तो उनका भी यही हश्र हुआ होता..मुहम्मद के चाचा का नाम उमर-बिन-ए-ह्ज्जाम था.ये एक विद्वान कवि तो थे ही साथ ही साथ बहुत बड़े शिवभक्त भी थे.इनकी कविता सैर-उल-ओकुल ग्रंथ में है.इस ग्रंथ में इस्लाम पूर्व कवियों की महत्त्वपूर्ण तथा पुरस्कृत रचनाएँ संकलित हैं.ये कविता दिल्ली में दिल्ली मार्ग पर बने विशाल लक्ष्मी-नारायण मंदिर की पिछली उद्यानवाटिका में यज्यशाला की दीवारों पर उत्त्कीर्ण हैं.ये कविता मूलतः अरबी में है.इस कविता से कवि का भारत के प्रति श्रद्धा तथा शिव के प्रति भक्ति का पता चलता है.इस कविता में वे कहते हैं कोई व्यक्ति कितना भी पापी हो अगर वो अपना प्रायश्चित कर ले और शिवभक्ति में तल्लीन हो जाय तो उसका उद्धार हो जाएगा और भगवान शिव से वो अपने सारे जीवन के बदले सिर्फ एक दिन भारत में निवास करने का अवसर माँग रहे हैं जिससे उन्हें मुक्ति प्राप्त हो सके क्योंकि भारत ही एकमात्र जगह है जहाँ की यात्रा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है तथा संतों से मिलने का अवसर प्राप्त होता है..
देखिए प्राचीन काल में कितनी श्रद्धा थी विदेशियों के मन में भारत के प्रति और आज भारत के मुसलमान भारत से नफरत करते हैं.उन्हें तो ये बात सुनकर भी चिढ़ हो जाएगी कि आदम स्वर्ग से भारत में ही उतरा था और यहीं पर उसे परमात्मा का दिव्य संदेश मिला था तथा आदम का ज्येष्ठ पुत्र "शिथ" भी भारत में अयोध्या में दफनाया हुआ है.ये सब बातें मुसलमानों के द्वारा ही कही गई है,मैं नहीं कह रहा हूँ..
और ये "लबी बिन-ए-अख्तब-बिन-ए-तुर्फा" इस तरह का लम्बा-लम्बा नाम भी वैदिक संस्कृति ही है जो दक्षिणी भारत में अभी भी प्रचलित है जिसमें अपने पिता और पितामह का नाम जोड़ा जाता है..
कुछ और प्राचीन-कालीन वैदिक अवशेष देखिए... ये हंसवाहिनी सरस्वती माँ की मूर्त्ति है जो अभी लंदन संग्रहालय में है.यह सऊदी अर्बस्थान से ही प्राप्त हुआ था..
प्रमाण तो और भी हैं बस लेख को बड़ा होने से बचाने के लिए और सब का उल्लेख नहीं कर रहा हूँ..पर क्या इतने सारे प्रमाण पर्याप्त नहीं हैं यह सिद्ध करने के लिए कि अभी जो भी मुसलमान हैं वो सब हिंदु ही थे जो जबरन या स्वार्थवश मुसलमान बन गए..कुरान में इस बात का वर्णन होना कि "मूर्त्तिपूजक काफिर हैं उनका कत्ल करो" ये ही सिद्ध करता है कि हिंदु धर्म मुसलमान से पहले अस्तित्व में थे..हिंदु धर्म में आध्यात्मिक उन्नति के लिए पूजा का कोई महत्त्व नहीं है,ईश्वर के सामने झुकना तो बहुत छोटी सी बात है..प्रभु-भक्ति की शुरुआत भर है ये..पर मुसलमान धर्म में अल्लाह के सामने झुक जाना ही ईश्वर की अराधना का अंत है..यही सबसे बड़ी बात है.इसलिए ये लोग अल्लाह के अलावे किसी और के आगे झुकते ही नहीं,अगर झुक गए तो नरक जाना पड़ेगा..क्या इतनी निम्न स्तर की बातें ईश्वरीय वाणी हो सकती है..!.? इनके मुहम्मद साहब मूर्ख थे जिन्हें लिखना-पढ़ना भी नहीं आता था..अगर अल्लाह ने इन्हें धर्म की स्थापना के लिए भेजा था तो इसे इतनी कम शक्ति के साथ क्यों भेजा जिसे लिखना-पढ़ना भी नहीं आता था..या अगर भेज भी दिए थे तो समय आने पर रातों-रात ज्यानी बना देते जैसे हमारे काली दास जी रातों-रात विद्वान बन गए थे(यहाँ तो सिद्ध हो गया कि हमारी काली माँ इनके अल्लाह से ज्यादा शक्तिशाली हैं)..एक बात और कि अल्लाह और इनके बीच भी जिब्राइल नाम का फरिश्ता सम्पर्क-सूत्र के रुप में था.इतने शर्मीले हैं इनके अल्लाह या फिर इनकी तरह ही डरे हुए.!.? वो कोई ईश्वर थे या भूत-पिशाच.?? सबसे महत्त्वपूर्ण बात ये कि अगर अल्लाह को मानव के हित के लिए कोई पैगाम देना ही था तो सीधे एक ग्रंथ ही भिजवा देते जिब्राइल के हाथों जैसे हमें हमारे वेद प्राप्त हुए थे..!ये रुक-रुक कर सोच-सोच कर एक-एक आयत भेजने का क्या अर्थ है..!.? अल्लाह को पता है कि उनके इस मंदबुद्धि के कारण कितना घोटाला हो गया..! आने वाले कट्टर मुस्लिम शासक अपने स्वार्थ के लिए एक-से-एक कट्टर बात डालते चले गए कुरान में..एक समानता देखिए हमारे चार वेद की तरह ही इनके भी कुरान में चार धर्म-ग्रंथों का वर्णन है जो अल्लाह ने इनके रसूलों को दिए हैं..कभी ये कहते हैं कि धर्म अपरिवर्तनीय है वो बदल ही नहीं सकता तो फिर ये समय-समय पर धर्मग्रंथ भेजने का क्या मतलब है??अगर उन सब में एक जैसी ही बातें लिखी हैं तो वे धर्मग्रंथ हो ही नहीं सकते...जरा विचार करिए कि पहले मनुष्यों की आयु हजारों साल हुआ करती थी वो वर्त्तमान मनुष्य से हर चीज में बढ़कर थे,युग बदलता गया और लोगों के विचार,परिस्थिति,शक्ति-सामर्थ्य सब कुछ बदलता गया तो ऐसे में भक्ति का तरीका भी बदलना स्वभाविक ही है..राम के युग में लोग राम को जपना शुरु कर दिए,द्वापर युग में
कृष्ण जी के आने के बाद कृष्ण-भक्ति भी शुरु हो गई.अब कलयुग में चूँकि लोगों की आयु तथा शक्ति कम है तो ईश्वर भी जो पहले हजारों वर्ष की तपस्या से खुश होते थे अब कुछ वर्षों की तपस्या में ही दर्शन देने लगे..
धर्म में बदलाव संभव है अगर कोई ये कहे कि ये संभव नहीं है तो वो धर्म हो ही नहीं सकता..
यहाँ मैं यही कहूँगा कि अगर हिंदु धर्म सजीव है जो हर परिस्थिति में सामंजस्य स्थापित कर सकता है(पलंग पर पाँव फैलाकर लेट भी सकता है और जमीन पर पाल्थी मारकर बैठ भी सकता है) तो मुस्लिम धर्म उस अकड़े हुए मुर्दे की तरह जिसका शरीर हिल-डुल भी नहीं सकता...हिंदु धर्म संस्कृति में छोटी से छोटी पूजा में भी विश्व-शांति की कमना की जाती है तो दूसरी तरफ मुसलमान ये कामना करते हैं कि पूरी दुनिया में मार-काट मचाकर अशांति फैलानी है और पूरी दुनिया को मुसलमान बनाना है...
हिंदु अगर विष में भी अमृत निकालकर उसका उपयोग कर लेते हैं तो मुसलमान अमृत को भी विष बना देते हैं..
मैं लेख का अंत कर रहा हूँ और इन सब बातों को पढ़ने के बाद बताइए कि क्या कुरान ईश्वरीय वाणी हो सकती है और क्या इस्लाम धर्म आदि धर्म हो सकता है...?? ये अफसोस की बात है कि कट्टर मुसलमान भी इस बात को जानते तथा मानते हैं कि मुहम्मद के चाचा हिंदु थे फिर भी वो बाँकी बातों से इन्कार करते हैं..
इस लेख में मैंने अपना सारा ध्यान अरब पर ही केंद्रित रखा इसलिए सिर्फ अरब में वैदिक संस्कृति के प्रमाण दिए यथार्थतः वैदिक संस्कृति पूरे विश्व में ही फैली हुई थी..इसके प्रमाण के लिए कुछ चित्र जोड़ रहा हूँ...
-ये राम-सीता और लक्षमण के चित्र हैं जो इटली से मिले हैं.इसमें इन्हें वन जाते हुए दिखाया जा रहा है.सीता माँ के हाथ में शायद तुलसी का पौधा है क्योंकि हिंदु इस पौधे को अपने घर में लगाना बहुत ही शुभ मानते हैं.....
यह चित्र ग्रीस देश के कारिंथ नगर के संग्रहालय में प्रदर्शित है.कारिंथ नगर एथेंस से ६० कि.मी. दूर है.प्राचीनकाल से ही कारिंथ कृष्ण-भक्ति का केंद्र रहा है.यह भव्य भित्तिचित्र उसी नगर के एक मंदिर से प्राप्त हुआ है .इस नगर का नाम कारिंथ भी कृष्ण का अपभ्रंश शब्द ही लग रहा है..अफसोस की बात ये कि इस चित्र को एक देहाती दृश्य का नाम दिया है यूरोपिय इतिहासकारों ने..ऐसे अनेक प्रमाण अभी भी बिखरे पड़े हैं संसार में जो यूरोपीय इतिहासकारों की मूर्खता,द्वेशभावपूर्ण नीति और हमारे हुक्मरानों की लापरवाही के कारण नष्ट हो रहे हैं.जरुरत है हमें जगने की और पूरे विश्व में वैदिक संस्कृति को पुनर्स्थापित करने की..
awyaleek at 1:17 am

110 टिप्पणियां:

Tausif Hindustani24 नवंबर 2010 को 5:16 am
आजकल ख्याति प्राप्त करने सबसे अच्छा माध्यम है किसी भी धर्म अनर्गल अनापशनाप लिखना
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बेनामी6 फ़रवरी 2012 को 4:51 am
jo sachai he use batane me harz he?

बेनामी17 मई 2015 को 8:59 pm
Jo dacha bhatiy hota hai vo akta ki bat. Karta

बेनामी17 मई 2015 को 9:03 pm
Alta ki bat karo Jo saccha. Nagrik hota vo milane ki. Bat. Karta hai

बेनामी20 अक्तूबर 2015 को 11:59 am
Musalmano ko agar apni sacchai janani hai to bhavishya Puran padh Lena chahiye hakikat ka pata chal jayega Ki musalman pahle sanatan dharm k the or murti puja karte the....lekin bad me aage chal kar inke mohammad in logo acche Marg se bhatka kar paap k raste par la kar khada kar Diya...ye log apne dharm bahot accha bolte hai lekin ye samajhne Ki koshis nahi karte ishlam dharm ka na koi itihas hai na koi ashtitwa...........
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भारतीय नागरिक - Indian Citizen24 नवंबर 2010 को 5:34 am
बहुत ही रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारी. संग्रह करने योग्य..वर्ड वेरिफिकेशन हटा दें...t
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Thakur M.Islam Vinay24 नवंबर 2010 को 7:42 am
pahle islam ki jankari hasil karo kuran ko padho thik se fir likho bewkuf
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santosh shigvan27 मार्च 2014 को 7:12 am
PAHLE APANA D.N.A. TEST DE DO BAD ME KURAN PADHO

बेनामी18 मई 2015 को 12:35 am
Aapke Aas pas pados ke kisi ghar per kya huwa h aap iski sahi jaankari nahi de sakte aur aap hazaro saal pehle ki baton ko itni pramadikta ke saath kaise keh sakte h.
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Thakur M.Islam Vinay24 नवंबर 2010 को 7:47 am
islam to kaya gadhe tumhe apne dharm ke bare men bhi jankari nahi malum padta hai kahin ka int kahin ka roda bhanumati ka kunba joda
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बेनामी18 मई 2015 को 12:50 am
Aapko kya lagta h jo aapke islaam ke anuroop chalta h wo wyakti sahi h aur usko jannat prapt hogi aur baaki dharm ke log jahnnum jayenge To mere bade bhai ye to aapne arvind kejriwaal wali baat ker di bhaijaan kam se kam sonch to imandari ki rakhiye

chandreshekhar khandre19 अक्तूबर 2015 को 5:56 am
सनातन धर्म, जो वास्तव मे सारे धर्मो का जन्म दाता है. और जो पूरी तरह ब्रह्मांड की भौतिकी पर आधारित है.

chandreshekhar khandre19 अक्तूबर 2015 को 5:58 am
हिंदू धर्म जिसको संस्कृत मे सनातन धर्म भी बोलते हैं. जिसकी उत्पत्ति इस ब्राम्हांड के साथ ही हो जाती है. जीतने लोग इस पृथ्वी पर है उन्होने हिंदू धर्म से कॉनवर्ट होकर मुस्लिम, सिख, इसाई आदि ट्रॅडिसेन को अपनाया हैं. वास्तव मे हिंदू धर्म के अलावा जीतने भी धर्म है इस दुनिया मे वो धर्म नही ट्रॅडिसेन है.

Ashish Sharma28 दिसंबर 2015 को 5:06 am
ये तो प्रमाणित है की मुस्लिम पहले हिन्दू थे इनके धर्म में जिन चीजों के पालन करने पर शख्त से शख्त मनाही है ये उसके विपरीत ही करते हैं और अपने आप को बड़े वाले मुस्लमान बताते हैं चोरकट उदाहरण के तौर पर ईमान सबसे बड़ा धर्म है मुसलमानों का पर ये बहुत कम संख्या में ईमान पर चलते हैं दूसरी चीज़ पराई स्त्री और पर्दा प्रथा के लिए शख्त नियम है पर औरतों के प्रति इनकी नियत हमेशा खराब मिलेगी तीसरी चीज़ हराम की कमाई वर्जित है पर कितने मुसलमान इसका पालन करते हैं चौथी चीज़ शराब पीना सख्त मना है पर कितने मुसलमान ऐसे हैं जो शराब का सेवन नहीं करते पांचवी चीज चलचित्र देखना मन है पर आज सिनेमाहोल में इनकी संख्या सब से ज्यादा मिलेगी

Ashish Sharma28 दिसंबर 2015 को 5:09 am
ये तो प्रमाणित है की मुस्लिम पहले हिन्दू थे इनके धर्म में जिन चीजों के पालन करने पर शख्त से शख्त मनाही है ये उसके विपरीत ही करते हैं और अपने आप को बड़े वाले मुस्लमान बताते हैं चोरकट उदाहरण के तौर पर ईमान सबसे बड़ा धर्म है मुसलमानों का पर ये बहुत कम संख्या में ईमान पर चलते हैं दूसरी चीज़ पराई स्त्री और पर्दा प्रथा के लिए शख्त नियम है पर औरतों के प्रति इनकी नियत हमेशा खराब मिलेगी तीसरी चीज़ हराम की कमाई वर्जित है पर कितने मुसलमान इसका पालन करते हैं चौथी चीज़ शराब पीना सख्त मना है पर कितने मुसलमान ऐसे हैं जो शराब का सेवन नहीं करते पांचवी चीज चलचित्र देखना मन है पर आज सिनेमाहोल में इनकी संख्या सब से ज्यादा मिलेगी

बेनामी13 जनवरी 2016 को 2:57 pm
अरे भाई अंधविश्वास में इतने अंधे मत हो जाओ कम से कम दुनिया का इतिहास पढ़ लो और इस्लाम का इतिहास पढ़ लो फिर इस्लाम के बारे में जितने कमेंट करना हो करो

Amit sharma20 जनवरी 2016 को 11:29 am
Thakur lagate ho aur kahe ho mausalmaan, islam ka janam Arab mai hua, wahan kon se Thakur hai. aap to Hindu se converted muslim ho.. aur agar koi sach bool de to Lagte ho gali dene. Kaba to Shiv mandir hai. Mohhoumad se phele Arab mai bhi Shiv pooja hoti thi.. Kaba ka asile matlab hai Kavya. Guru Sukracharya ko Kavya kahate the.. Unhi ke naam per uss jagaha kaa naam Kavya pada.. Kaba is converted name of Kavya.. Issi liye aap Sukrr ko namaaja padhte ho. jise aap jumma kate ho isska batlam hai bada.. Bhai, guilti feel naa karo jo sahi mai maan lo..
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awyaleek24 नवंबर 2010 को 8:08 am
ऐसे काम नहीं चलेगा ठाकुर जी..सिर्फ गलती कह देने से बात नहीं बनेगी.क्या गलती है वो बताइए और उसका सही क्या है वो भी बता दीजिए..मैंने खुद कुरान भले नहीं पढ़ी है लेकिन जिन मुस्लिम विद्वानों ने कुरान पढ़ी है उनसे जो जानकारी मुझे मिली है उसके आधार पर मैंने ये लेख लिखा है..और इसमें तो कुरान के बारे में मैंने बहुत कम ही बातें लिखी है..इस लेख में तो मैंने उन प्रमाणों के बारे में लिखा है जो यह सिद्ध करते हैं कि इस्लाम धर्म आदि धर्म हो ही नहीं सकता ना ही मुहम्मद पैगम्बर हो सकते हैं और ना ही कुराण ईश्वरीय वाणी....
आपकी आलोचना का मैं स्वागत करुँगा..आप निर्भय होकर अपनी बात रखिए...
माडरेशन मैंने इसलिए लगाई है ताकि कोई गंदी गाली ना लिखे और ये शुरु से ही लगाकर रखी है मैंने ना कि विशेषकर इस लेख के लिए..इसलिए ये मत सोचिए कि मैं आपके टिप्पणी को मिटा दूँगा..मैं तर्क-वितर्क करने के लिए तैयार हूँ..
या तो प्रमाण देकर अपनी बात सिद्ध करिए या फिर स्वीकार कर लिजिए कि आपके मुहम्मद साहब हिंदु थे...आपके पास तो वर्त्तमान है,प्रमाण की कमी नहीं होनी चाहिए पर मुझे तो अतीत से प्रमाण लाने पड़ते हैं जो मिटा दिए गए हैं...
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Ghanshyam Thakur27 दिसंबर 2013 को 12:11 am
ye uttar nahi denge sir ji kyoki maine bhi bahot baar baad vivad kiya hai mushlimo ki ...............aur jab unko utaar nahi milta ya koi pramaan nahi milta hai to yahi bolenge ki aap qraan padho...........tab pata chalega , ab iska kya jabab ho sakta hai. jo saksy hai us par nahi sirf insaano dwara rachit baato par biswas karenge , inke muhammad sahab bhi quraan ke hisab se anpadh bataye gye hai. ye satya hai par .......uske baad bahot mushlim dharm guru ne muhammad ko padha likha bataya hai.

बेनामी24 अक्तूबर 2015 को 1:14 am
are bhai....is lekh me to bataya gaya hai ki wo sacchai kabul nahi karte to aap kyo unke piche pade ho. unko sacchai batane ke. Isaka ek hi jawab hai. Nark me Jaana Padega.
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awyaleek24 नवंबर 2010 को 8:32 am
उपर एक जगह "हरा-भरा प्रदेश को रेगिस्तान में बदल दिया" लिखने की जगह मैंने "हरा-भरा रेगिस्तान को मरुस्थल में बदल दिया" लिख दिया है..आशा करते हैं कि आपलोग इसे सुधार कर पढ़ लेंगे...
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Sundar Lal24 नवंबर 2010 को 9:25 am
पहले मे भी ऐसे ही सोचता था लेकिन अब तथ्य सामने आ गए है तो और भी सभी कड़िया जुडने लगी है ! सच मे आपका लेख आँख खोलने वाला है !
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KAMDARSHEE24 नवंबर 2010 को 9:34 am
आपने लिखा है कि भारत में घोड़े अरब से आया करते थे । दशरथ महाराजा ने
यज्ञ कराया तो एक घोड़े की बलि माँ कोसल्या ने दी थी ।
क्या वह घोड़ा भी अरबी ही था ?
रामायन में लिखा है कि एक दर्जन से अधिक बराहमनों के कहने पर कोसल्या ने
मरे अरबी घोड़े का लिंग काटकर ऐसी जगह दे लिया जो कि बनी ही लिंग के लिए
है !
तब जाकर राम प्रभु पैदा हुए ।
अरब के मुसलमान भी दुनिया से सच्चाई छिपा रहे हैं कि भारत से उनका संबंध
है और आप लोग भी यह छिपा रहे हैं कि अगर अरबी घोड़ा न होता तो राम प्रभु
का भी अस्तित्व न होता ।
उसी अरबी घोड़े का आभार दर्शाने हेतु लखनऊ में घोड़े का जलूस हर वर्ष
निकाला जाता है ।
कोई नहीं बताता ये बातें , अब आप बताना ।
खोल दो सबकी पोल ।
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Jaynti Charan Jha16 नवंबर 2012 को 1:44 am
shriman aapne ye kaoun si Ramayan ki baat ki hain. Janha tak Balmiki Ramayan ki baat hain to ushme to kanhi ye jikra hi nahi hai. Tulshi Ramayan main bhi nahi. plz iske bare main saboot de tabhi koi baat likhe.
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vivek24 नवंबर 2010 को 6:26 pm
ये बात आपकी सत्य है अवकील जी नहीं तो अरब में भारतीय मुस्लमान पर भरोसा करते ! जैसे अरब का नागरिक मक्का मदीना में प्रवेश कर ता है वैसे भारतियी पर इतनी रोक की उन्हें बहार से ही भेज देते है अंदर क्यों नहीं जाने देते मै भारतीय मुसलमानों को चुनौती देता हू की वो अंदर जा के देखे और फिर सच्चाई का सामना करे ||
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Nadeem Zaheer Khan23 अक्तूबर 2015 को 2:27 pm
हाँ भाई, सिर्फ अरब ही नहीं पूरी दुनिया के मुसलमान एक ही तरीके से हज्ज करते हैं, आपको जानकर खुशी होगी कि काबा की चाभी अरब के बाहर अगर किसी को मिली है तो वह एक भारतीय इस्लामी विद्वान अबुल हसन अली हसनी नदवी ( अली मियाँ नदवी ) साहब को 1951 में उनके सम्मान के लिए दी गई थी
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बी एन शर्मा24 नवंबर 2010 को 9:07 pm
अव्यलीकजी आपने यह शोधपूर्ण लेख लिखने में काफी मेहनत की होगी .अपने सारे तथ्य प्रमाण सहित दिए है,यह निर्विवाद सत्य है की महाभारत कल से पूर्व सारे अरब और यूरोप में वैदिक हिन्दू धर्म ही था .इरान के राजा सब आर्य थे .भरत की माँ इरानी थी .अरब लोगों ने गणित भारत से से सीखी है .मुहम्मद से पाहिले अरबी भाषा में रामायण का अनुवाद हो चुका था .आपने यह लेख लिखकर सराहनीय कार्य किया है .
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बेनामी24 नवंबर 2010 को 9:36 pm
bahut badia lekh.keep it up
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Ajay Bhadrike24 नवंबर 2010 को 10:59 pm
http://www.hinduism.co.za/kaabaa.htm
http://www.youtube.com/watch?v=GRx3Fe3wzyY
@ Tausif: Agar anaap shanaap hai to saabit karo.. and same for Thakur
Avyaleek aur bhi bahut sare prrofs hai jo yeh saabit karte hai ki Vedic Dharm hi sabse prachin dharm hai aur baki sab dharm vedic dharma se hi bane hai.. please read books written by P.N. Oak
he has given many proofs to prove that Vedic Dharm is the only ancient Dharm..
Regards
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Tarkeshwar Giri25 नवंबर 2010 को 12:53 am
Bahut hi acchi jankari di hai aur ye satya bhi hai. Musalman Bahiyon ko chahiye ki Hundu logo ko Kabe main jane ki ijjajat de, satya samne aa jayega.
Aap lage rahiye.
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Tarkeshwar Giri25 नवंबर 2010 को 1:00 am
अव्यलीकजी आपने यह शोधपूर्ण लेख लिखने में काफी मेहनत की होगी .अपने सारे तथ्य प्रमाण सहित दिए है,यह निर्विवाद सत्य है की महाभारत कल से पूर्व सारे अरब और यूरोप में वैदिक हिन्दू धर्म ही था .इरान के राजा सब आर्य थे .भरत की माँ इरानी थी .अरब लोगों ने गणित भारत से से सीखी है .मुहम्मद से पाहिले अरबी भाषा में रामायण का अनुवाद हो चुका था .आपने यह लेख लिखकर सराहनीय कार्य किया है
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कुदरतुल्लाह बेग25 नवंबर 2010 को 3:02 am
भाई साहब यह आर्य धर्म वही है जिसके लेखक और पुस्तक बारे में गांधी जी कहत हैं
Anonymous said...
गांधी जी अपने अख़बार ‘यंग इंडिया‘ में लिखते हैं-
‘‘मेरे दिल में दयानन्द सरस्वती के लिए भारी सम्मान है। मैं सोचा करता हूं कि उन्होंने हिन्दू धर्म की भारी सेवा की है। उनकी बहादुरी में सन्देह नहीं लेकिन उन्होंने अपने धर्म को तंग बना दिया है। मैंने आर्य समाजियों की सत्यार्थ प्रकाश को पढ़ा है, जब मैं यर्वदा जेल में आराम कर रहा था। मेरे दोस्तों ने इसकी तीन कापियां मेरे पास भेजी थीं। मैंने इतने बड़े रिफ़ार्मर की लिखी इससे अधिक निराशाजनक किताब कोई नहीं पढ़ी। स्वामी दयानन्द ने सत्य और केवल सत्य पर खड़े होने का दावा किया है लेकिन उन्होंने न जानते हुए जैन धर्म, इस्लाम धर्म और ईसाई धर्म और स्वयं हिन्दू धर्म को ग़लत रूप से प्रस्तुत किया है। जिस व्यक्ति को इन धर्मों का थोड़ा सा भी ज्ञान है वह आसानी से इन ग़लतियों को मालूम कर सकता है, जिनमें इस उच्च रिफ़ार्मर को डाला गया है। उन्होंने इस धरती पर अत्यन्त उत्तम और स्वतंत्र धर्मों में से एक को तंग बनाने की चेष्टा की है। यद्यपि मूर्तिपूजा के विरूद्ध थे लेकिन वे बड़ी बारीकी के साथ मूर्ति पूजा का बोलबाला करने में सफल हुए क्योंकि उन्होंने वेदों के शब्दों की मूर्ति बना दी है और वेदों में हरेक ज्ञान को विज्ञान से साबित करने की चेष्टा की है। मेरी राय में आर्य समाज सत्यार्थ प्रकाश की शिक्षाओं की विशेषता के कारण प्रगति नहीं कर रहा है बल्कि अपने संस्थापक के उच्च आचरण के कारण कर रहा है। आप जहां कहीं भी आर्य समाजियों को पाएंगे वहां ही जीवन की सरगर्मी मौजूद होगी। तंग और लड़ाई की आदत के कारण वे या तो धर्मों के लोगों से लड़ते रहते हैं और यदि ऐसा न कर सकें तो एक दूसरे से लड़ते झगड़ते रहते हैं।
(अख़बार प्रताप 4 जून 1924, अख़बार यंग इंडिया, अहमदाबाद 29 मई 1920)
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बेनामी8 फ़रवरी 2016 को 8:44 am
प्रमाण भी एक अखबार का दिया मोहोदय ने। वैसे गांधी के बारे में 100 करोड़ भारतीय क्या कहते है इसकी जानकारी नही है क्या आपको।
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Alok Mohan25 नवंबर 2010 को 3:06 am
bahut hi badiya
yahi ek maatra satya hai
kuch muslim ye baat jante hai
jo nhi jante unko aap ka lekh padna chahiye
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Alok Mohan25 नवंबर 2010 को 3:09 am
bahut hi badiya
yahi ek maatra satya hai
kuch muslim ye baat jante hai
jo nhi jante unko aap ka lekh padna chahiye
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Fariq Zakir Naik25 नवंबर 2010 को 4:01 am
भाई श्री श्री रवि किशन जी अपनी किताब में शांति स्थाप्ति करने के लिए ऐसी बातें लाए थे लेकिन जब उनसे इस शोध पर बात की गयी तो उन्होंने अपनी गल्ती को माना और किताब मार्कीट से वापस लेलिया
क्या आपको पता है यह बात?
Dead body of FIRON - Sign of Allah
विडियो
http://www.youtube.com/watch?v=0hWGjmbAzPs
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Pratap19 फ़रवरी 2012 को 2:12 am
agar koi saboot or sujhab ho to bataye.............lekin sachchai se na bhage......

बेनामी22 अक्तूबर 2015 को 8:25 pm
Fariq! I have no great affinity towards any religion however, I can challenge you and your dad that how much your dad presents false and clever arguments on Peace TV. I have seen over hundreds of episodes of your dad over your Peace TV. I learnt only one thing; how to be effective orator and clever and shrewd. I did not learn to be a truth presenter.
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awyaleek25 नवंबर 2010 को 4:57 am
अफसोस है और दुःख भी कि हिंदु से ज्यादा मुसलमानों के टिप्पणियाँ आये पर सब टिप्पणीकार बस गोल-मटोल बातें बनाकर चले गए..किसी ने भी मेरे तर्क के विरोध में अपना एक तर्क भी नहीं दिया..कोई हताशा होकर भगवान राम के बारे में गंदी बातें लिखकर चला गया तो कोई मूर्ख विषयभोगी गाँधी का एक महान त्यागी संत पर दिए अपने विचार बताकर हमें चलते बने..मैं चाह रहा था कि कोई मेरा विरोध करे ताकि सच्चाई और अच्छे से सामने आ सके,ताकि जो बातें मैंने लेख में ना लिखी है वो टिप्पणी से पूरा कर सकूँ..पर अफसोस है कि मैंने अपने आलोचनाओं का इन्तजार किया पर वो नहीं आए..
शायद इन्हें डर है कि ज्यादा तर्क-वितर्क करने से सच्चाई सामने आ जाएगी जो उनके लिए दुःखदायी होगी...भले ही वो सच्चाई दुःखदायी होती पर हितकर होती...
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बेनामी16 अगस्त 2013 को 4:58 am
me sahmat hu aapki baat se , jo log aapse asahmati jata rahe he , unke paas koi tark nahi he aapki baat ko galat saabit karne ke lie , ye aagrha baav se bhare agyani log he , ye sarthk tark vitark karnahi jante bas gaali dena aur idher udhar ki batten karna jante he, point to point debate in agyanio ke bas ki baat nahi, halanki yanha pe koi gali wali post nahi dikh rahi fir bhi me anuman laga sakta hu ki sach kahne pe aapko kitne virodh ka samna karana pada hoga. me khud chahe hindu kyo na hu lekin hindu dhmopdesh ki har baat mnne se pahle uski vivecha avasya karta hu tatpachat hi use apnata hu.

तन्ज़ीम पठान डेरापुर 959969389527 जुलाई 2015 को 1:31 am
दुनिया का सबसे पहला हिन्दू व्यक्ति का नाम बताओ
मुसलमान पैगम्बर मुहम्मद से पहले बहुत से पैगम्बर
जैसे ईशा। मूसा दावूद
सबसे पहले आदम
यानी आज से करीब २०० कड़ोड़ साल पहले आये थे इससे व्यतीत होता है मुसलमान दुनिया में सबसे पहले आया था। ………।
हिंदी धर्म की शुरआत कही से नहीं है
शिव को भगवान मानते है
जो पता नहीं कर पाये की उनकी पत्नी पार्वती ने किसके साथ सम्भोग कर गणेश को जन्म दिया
और जब शिव की गर्दन काट दी
गर्दन ढूंढी पर नहीं मिली ऐसे भगवान जिन्हे shiv की गर्दन नहीं मिल अपने भक्तो को कैसे देखते होंगे .
हिन्दू धर्म बहुत सरे फाल्ट है।
गौर किया जाए तो मुसलमान धर्म में कोई फाल्ट नहीं है

बेनामी18 सितंबर 2015 को 10:06 pm
अपने धर्म की तरह ही अवैज्ञानिक बातें करो तुम। पृथ्वी पर अब तक का सबसे पुराना जीवाश्म 60 करोड़ वर्ष पुराना है। मनुष्य बहुत बाद में आया।
जिस मूसा और दाऊद की तुम बात कर रहे हो वो यहूदी थे मुसलमान नहीं। जाओ जाके पता करो कि ईसाई और इस्लाम के पहले यहूदी धर्म आया है और उसी के धर्मग्रन्थ को नक़ल करके कुरान लिखा गया और ये सारे नवी उन्हीं से लिया गया है. ये आदम हौवा सब यहूदियों की कहानियों से ही लिया गया है बिलकुल हू-बहू।
जाओ जाके अपना ज्ञान बढ़ाओ। गलतफहमी दूर हो जाएगी।

बेनामी22 अक्तूबर 2015 को 1:39 am
आपकी बात सत्य हे दोस्त
हिंदुत्व हमेसा से था इसके बहुत से प्रमाण हे, पर इस्लाम की जड़ का कोई पता नहीं हे .

बेनामी22 अक्तूबर 2015 को 1:51 am
आपकी बात सत्य है, अपने पूरे सत्य और तर्कों क आधार पर ही अपनी बात रखा हे.
सबसे पहले तो हम हिन्दुओ को सत्य स्वीकार करने की जरूरत हे और आज भी हमारे देश में धर्मनिरपेक्षता के नाम पर सत्य को स्वीकार नहीं करते है
लेकिन सत्य को प्रमाण की आवशकता नहीं होती है और एक दिन सपूर्ण विश्व हिंदुत्व के आगे नतमस्तक होगा. आपका कार्य प्रशंसनीय हैं
धनयाद
रविन्द्र कुमार

बेनामी25 दिसंबर 2015 को 1:50 am
तंजिम पठान ये सोचो कि वो धर्म कितना पुराना होगा | जिसके बारे मे तुम्हे ये नही पता वो कब बना था| और भगवान शिव की नही गणेश जी की गर्दन कटि थी| और फिर एक हाथी कि गर्दन लगाई गई थी| और तुम कहते हो मुसलमान धर्म मे कोई fault नही है | मुसलमान धर्म ही एक fault है| कुछ पता है नही |सिर्फ हवा मे लाठी चलाते है| पार्वती ने गणेश जी की मिट्टी की मूर्ति बनाई और उसमे प्राण डाले थे|
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Ajay Bhadrike26 नवंबर 2010 को 8:45 pm
Awyaleek .. Yeh Loog Gol matol hi baate karenge kyunki Kuran mein sirf Gol matol hi hai..nahi Koi allah hai aur nahi kisi paigambar ko bhejne ka sawaal uthta hai.. yeh to sab Muhamad miyan ke dimag ki upaj thi.. jo bas Vedik Dharm ke virodh mein aayi thi.. aur unke yeh anuyayi Bakri ki tarah sir niche karke unka anusaran kar rahe hai
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hindumahasabha26 मार्च 2011 को 1:10 am
Bhai kam se kam aap apna email to likh saktye hai. Koi kuch bat kahna chaey to kaha kahega.
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RAVI SINGH26 मार्च 2011 को 3:42 am
bahut achha likha tum jaise sache bharatiya per humien garv hai
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Pandit3 जून 2011 को 3:12 am
कमाल है अव्यलिक भाई...बहुत जबरदस्त जानकारी दी आपने..मेरी हादिक बधाई स्वीकार करे...ये मुस्लिम लोग एक बार अन्दर जाकर खुद क्यों नहीं देखते है? और नहीं तो किसी हिन्दू को ही अन्दर जाने दे...सच्चाई फिर खुद ही सबके सामने आ जायेगी...वो छुपा रहे है मतलब दाल में जरूर कुछ काला है या पूरी दाल ही काली है...आपको बहुत बहुत बधाईया इस ज्ञानवर्धक लेख के लिए...भगवान आपको लम्बी आयु दे और स्वस्थ रखे...!!
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moin.khan18 जनवरी 2015 को 8:43 am
सब का मालिक एक है

moin.khan18 जनवरी 2015 को 8:52 am
सब का मालिक एक है
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डॉ. मनोज शर्मा10 अक्तूबर 2011 को 7:57 pm
जो धर्म को जानता है, वही धर्म पर चर्चा कर सकता है, छाती ठोककर कह सकता है कि मेरा सामना करो. अव्यालीक जी, धर्म के ज्ञाता है. इसीलिए कुछ कुतर्की लोग अपनी अभद्र टिप्पणियों से स्वस्थ विचार-विमर्श के माहौल को बिगाड़ने जैसी बातें लिखकर भाग गए और लौट कर नहीं आए.
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तन्ज़ीम पठान डेरापुर 959969389527 जुलाई 2015 को 1:31 am
दुनिया का सबसे पहला हिन्दू व्यक्ति का नाम बताओ
मुसलमान पैगम्बर मुहम्मद से पहले बहुत से पैगम्बर
जैसे ईशा। मूसा दावूद
सबसे पहले आदम
यानी आज से करीब २०० कड़ोड़ साल पहले आये थे इससे व्यतीत होता है मुसलमान दुनिया में सबसे पहले आया था। ………।
हिंदी धर्म की शुरआत कही से नहीं है
शिव को भगवान मानते है
जो पता नहीं कर पाये की उनकी पत्नी पार्वती ने किसके साथ सम्भोग कर गणेश को जन्म दिया
और जब शिव की गर्दन काट दी
गर्दन ढूंढी पर नहीं मिली ऐसे भगवान जिन्हे shiv की गर्दन नहीं मिल अपने भक्तो को कैसे देखते होंगे .
हिन्दू धर्म बहुत सरे फाल्ट है।
गौर किया जाए तो मुसलमान धर्म में कोई फाल्ट नहीं है

तन्ज़ीम पठान डेरापुर 959969389527 जुलाई 2015 को 1:31 am
दुनिया का सबसे पहला हिन्दू व्यक्ति का नाम बताओ
मुसलमान पैगम्बर मुहम्मद से पहले बहुत से पैगम्बर
जैसे ईशा। मूसा दावूद
सबसे पहले आदम
यानी आज से करीब २०० कड़ोड़ साल पहले आये थे इससे व्यतीत होता है मुसलमान दुनिया में सबसे पहले आया था। ………।
हिंदी धर्म की शुरआत कही से नहीं है
शिव को भगवान मानते है
जो पता नहीं कर पाये की उनकी पत्नी पार्वती ने किसके साथ सम्भोग कर गणेश को जन्म दिया
और जब शिव की गर्दन काट दी
गर्दन ढूंढी पर नहीं मिली ऐसे भगवान जिन्हे shiv की गर्दन नहीं मिल अपने भक्तो को कैसे देखते होंगे .
हिन्दू धर्म बहुत सरे फाल्ट है।
गौर किया जाए तो मुसलमान धर्म में कोई फाल्ट नहीं है
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जयतु संस्कृतं॥3 फ़रवरी 2012 को 10:14 pm
आदरणीय अव्यलीक जी।
नमस्कार! यह सत्य है कि मोहम्मद साहब हिन्दू थे। वास्तव में समस्त विश्व में आर्य संस्कृति ही थी। बौद्ध धर्म के प्रणेता तथागत बुद्ध भी आर्य थे। जैन धर्म के प्रणेता ऋषभनाथ / महावीर भी आर्य ही थे। सिख धर्म के प्रणेता गुरु नानक भी आर्य थे। यह तो सभी जानते है पर जो नही जानते है वह यह है - पारसी धर्म के प्रणेता ज़रथ्रुष्ट ( Zoroaster ) भी आर्य कुलोत्पन्न थे। यह मैं नही बल्कि इतिहासकारो ने स्वीकारा है। पारसी धर्म में आपको इस्लाम से अधिक हिन्दू दिखेगा। उदाहरण: --- ऋग्वेद का प्रथम श्लोक - अग्निमीळे ... ( अर्थात ज्योतिस्वरुप परमेश्वर को नमन है ) और पारसी तो सदा से ही आग पूजक है। हिन्दू यज्ञ करते है और पारसी य़स्न। उनकी अवेश्त भाषा संस्कृत की ही अपभ्रंश है। बस वहाँ एक छोटा सा भेद है हिन्दू असुर को बुरा कहते है और देव को अच्छा बल्कि पारसी अहुरा को अच्छा और दईवा को बुरा। दोनो मानते है कि यह अपने अपने लोको में रहते है।
समानता देखे
संस्कृत - सप्त (अर्थात सात)
अवेश्त शब्द - हाप्त ( इसी से फारसी शब्द हप्त और ऊर्दु शब्द हफ़्ता बना है )
संस्कृत शब्द - धरित्री (अर्थात धारण करने वाली)
अवेश्त शब्द - बरेत्री (बच्चे धारण करने वाली - माता)
संस्कृत शब्द - शतं (अर्थात 100)
अवेश्त शब्द - सटम ( इसी से लेटिन शब्द centum और आंग्ल शब्द century बना है )
संस्कृत शब्द - अस्ति (अर्थात होना)
अवेश्त शब्द - स्ते, अस्ति ( इसी से लेटिन शब्द est और आंग्ल शब्द exist बना है )
और भी कई समानताए आपको मिल जायेंगी।
यहुदियो की भी पोल खोल देते है। अब्रहम संस्कृत शब्द ब्रह्म से बना है। सरई अर्थात सरस्वती। नूह की कथा मनु की कथा से चुराई गई है। आपको पता है कि ईसाई नाम का कोई धर्म ही नही है? सत्य से छेड़छाड़ कर दी गई। हेरोड एक शांतिप्रिय राजा था - यह तो इतिहासकारो ने स्वीकारा है लेकिन ईसाईयो के अनुसार उसने कई निरपराध बालको को मारा। मात्र इसीलिए क्योकि कन्स ने यही किया था। ध्यान दे कि मात्र Bible कहती है कि हेरोड ने बच्चे मारे - न तो यह इतिहासकारो ने स्वीकारा है न कोई वैज्ञानिक इसका कोई प्रमाण ढूंढ पाया। ईसा मसीह पैदा हुए ही नही थे - उनकी कथाए डाल दी अपना उल्लू सीधा करने के लिए। ईसा मसीह की कथा मिस्र के देवता Horus, यूनान के देवता Dionysos, रोमानिया के देवता Mithra और भारतीय देवता कृष्ण से चुराई गई है। 25 दिसम्बर ईसा मसीह का जन्म दिन नही है बल्कि Horus का है। महाभारत के कुछ स्थानो पर यशोदा के प्रसिद्ध बेटे कृष्ण को यशस कृष्ण कहा है - उसी का अपभ्रंश बना Jesus Christ
ईसा मसीह का वास्तविक जन्मदिन (यदि वह पैदा हुए है तो ... ) यहाँ लिखा है http://www.hitxp.com/articles/history/christmas-history-christ-birth-date/
अत: वास्तविक सभ्यताए केवल 4 है - मिस्र, रोमानिया, यूनान, भारत। लेकिन इनकी भी समानताए यह सोचने के लिए विवश करती है कि इनका आधार भी एक ही है। क्या वह इन्ही में से कोई है अथवा कोई अन्य ही जिसका आज नामोनिशान नही? वह जो भी होगा - अवश्य ही प्राचीन होगा। मिस्र में एक भी ग्रंथ नही जो 4,500 ईसा पूर्व से पहले की बात करता हो, रोमानिया सभ्यता 3,200 ईसा पूर्व में आई थी और यूनान में 3,800 ईसा पूर्व से पहले जीवन नही। राम जिन्हे भारतीय जीवन का आदर्श मानते है कम से कम 7,000 वर्ष पूर्व जन्मे है। (उस से पहले ही होंगे पर बाद में नही) रामसेतु बनाने के लिए विशेष पत्थर उठाया गया है परंतु सबसे प्राचीनतम सेतु होने के कारण उसे Adam's Bridge कहते है। सबसे आधारभूत धर्म जो भी हो - यह सत्य है कि केवल सनातन धर्म ही बचा रह गया। बाकि प्राचीन सभ्यताओ का आज नाम लेने वाला कोई नही। वेदो में निर्णित समय की धाराए ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति वही बताती है जो वैज्ञानिक मानते है। वैज्ञानिको के मत आपको अंतर्जाल्यक्षेत्र पर अवश्य मिलेंगे। अत: यह स्पष्ट है कि परमेश्वर अपने साथ है। बस अपने धर्म पर अडिग रहना है।
कृपया अपने विचार अवश्य बताए। धन्यवाद...
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Mrityu15 अप्रैल 2012 को 7:43 am
sabhi musalmano ko maan lena chahiye ki woh hinduo ke hi bacche hai unke ma baap Hindu hi the.
जय श्री राम जय हिंदुत्व जय भारत
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SHUBHAM PAILWEE9 अक्तूबर 2012 को 12:21 pm
hinduo ki adat hai dusro ko nicha dikhane ki unka apna dharm bhi is se alag nahi hai unch nich ki badi gandagi hindu dharm me bhari hai wo gandagi to saf nahi karte aur lag gaye musalmano ko nicha dikhane me
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बेनामी16 अगस्त 2013 को 5:14 am
sankirn mano varti ke vyakti har dharm me paida hote he aksar aise log jab dharm ke theke dar ban jate he to apne niji swarth ke lie dhrmopdesh ko apne hisab se tod marod dete he , chunki ye dharm me uncha pad rakhne vale hote he islie log unki baat ko maan bhi lete he , jaati waad aur chua chut bhi aise hi logo ki den he likin hindu bharma ke vastvik swarup me varn bhed ki koi jagah nahi aur nahi murti puja ki koi jagah he , vaidik kaal me balak ke varn ki ghoshna uske garu karte the , vo bhi uske karmo ke adhar pe jisme ki chua chut wali baat hi nahi thi, matra karyo ka awantan tha.Samya logo ko itna gyan hota to ank mund ke dharm pandito (sabhi dhamo ke)ki in swarth sidd purn ka anusharan nahi karte aur vishwa me shanti hoti.
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kaljeet rao7 जुलाई 2013 को 7:43 am
snsar me log aneko pakar ke kam karte he apne ahankar ke karn sabhiyta bhul jate hai kai bar to agan vs v ahankae ke karn apne parivar se bhi dur chale jate hai yah satiy hai ki shiv se pahle na koi tha jo shiv ji ke bhakt the bhagavan ne parsan hokar saktiya di thi bad me yohi shiv darohi ban gay lekin un ki sktiya ak nischit smy ke liye hai jitani bhakti logo ne ki hai bhagavan utana fal to dete hi hai ravan bali shukrachariy ye sab shiv bhakt the............hinduo ne hi apne lab ke liye hindu dharm ka patan kiya hai aaj ke neta bhi jo hindu hai vo bhi to yhi kam kar rhe hai jo purv ke hinduo ne kiya hai
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surendar singh bhati tejmalta21 दिसंबर 2013 को 6:48 am
ABHAR APKA TAHE DIL SE SANATAN DHARAM HI SABSE PURANA DHARAM HE
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बेनामी23 अगस्त 2014 को 6:15 am
इसे फेसबुक पर डालिये
वहा बहुत मुल्ले सिर खा रहे है
धन्यवाद
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moin.khan18 जनवरी 2015 को 8:38 am
सब का मालिक एक है
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moin.khan18 जनवरी 2015 को 8:39 am
सब का मालिक एक है
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आकाश राजे23 मार्च 2015 को 11:33 pm
सबसे पहले में क्षमा मगता हु सबसे क्यों की में यह 1वर्ष बाद पढ़ रहा हु।
हिन्दु ही सभी धर्मो की नाभि है।
हिन्दू ही समाजवादी है।
हिन्दू ही प्रेम का सागर है।
हिन्दू ही कल्याणकारी है।
हिन्दू ही पराक्रम है।
हिन्दू ही साहसी है।
हिन्दू ही सर्वलोक है।
धरती का हर एक अनु हिन्दू ही है।
क्योकि हिन्दू ही सब का साथी है।
हम मरे भी तो यहाँ कुछ नहीं छोड़ते
हमारा शारीर भी राख बनकर उड़ जाता है।
अस्थिया भी पानी मै बहाये जाती है।
फिर भी हम हिन्दू इसी धरती माँ पर ही प्रेम करते है उसके लिए मरते किन्तु किसीके आस्था को नहीं दुखाते।
लाख करलो प्रयत्न हिंदू को मिटाने की पर मिटा नहीं सकते
मिट जायेगा संसार किन्तु हिन्दू मिटेगा नहीं।
कट्टर हिन्दू मराठा... आकाश राजे
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आकाश राजे24 मार्च 2015 को 12:06 am
हिन्दु ही सभी धर्मो की नाभि है।
हिन्दू ही समाजवादी है।
हिन्दू ही प्रेम का सागर है।
हिन्दू ही कल्याणकारी है।
हिन्दू ही पराक्रम है।
हिन्दू ही साहसी है।
हिन्दू ही सर्वलोक है।
धरती का हर एक अनु हिन्दू ही है।
क्योकि हिन्दू ही सब का साथी है।
हम मरे भी तो यहाँ कुछ नहीं छोड़ते
हमारा शारीर भी राख बनकर उड़ जाता है।
अस्थिया भी पानी मै बहाये जाती है।
फिर भी हम हिन्दू इसी धरती माँ पर ही प्रेम करते है उसके लिए मरते किन्तु किसीके आस्था को नहीं दुखाते।
लाख करलो प्रयत्न हिंदू को मिटाने की पर मिटा नहीं सकते
मिट जायेगा संसार किन्तु हिन्दू मिटेगा नहीं।
कट्टर हिन्दू मराठा... आकाश राजे
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यादव24 अप्रैल 2015 को 1:57 am
जी मै आप की बात से सहमत हुँ...
और अरब देश मे मुकुट धनुष बाण.गदा.बांशुरी.आदि आदि का क्या संबंध जो कि यह परंपरा हिंदू की है और इनसे हमारा संबंध है पर मुसि्लम का क्या संबंध है जो आज भी अरब पर यह परंपरा है चलती है आज भी १०.१२वर्ष के छोटे छोटे बच्चे मुकुट .धनुष बाण बांसुरी गदा का प्रयोग नटाक(लीला) स्कूल (मदरसा) "कॉलेज पर करते है.
यह कटु सत्य है...
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यादव24 अप्रैल 2015 को 2:01 am
आज भी वहा मिनारो पर शिवलिंग का प्रातीक बनाया जाता है
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यादव24 अप्रैल 2015 को 2:02 am
मै आपकी बात से सहमत हुँ
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बेनामी24 अप्रैल 2015 को 1:07 pm
May to ek bat kahunga ki sabse pahele aap tayekik karo sahi sahi bate logo ku batao our quran padkar batao naki suni sunai bate kar ke kuch bhi kuch bhi galat halat likhdere
Sabse pavitra dharm islam hay
Isiliye aap sachai bayan karo naki kisse bhi sun liya our boldiye
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आर्य30 अप्रैल 2015 को 8:33 pm
धन्यवाद्
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आर्य30 अप्रैल 2015 को 8:34 pm
जय सनातन
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vijay dwivedi1 जून 2015 को 3:43 am
जय श्री राम जय हिंदुत्व जय भारत
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alok sharma26 जून 2015 को 6:05 am
बहूत खूब ! किसी ने सही कहा है सांच को आँच नही , और ये अटल सत्य है ! " सत्य एकमं बिप्रहा बहुदा बिदन्ति "सत्य एक है मानने वाले भक्त अलग है जैसे भक्त पहलवान है तो भगवान हनुमान है.भक्त अगर आम है तो भगवान प्रभु श्री राम है , भक्त अगर जीव है तो भगवान शिव है ! और यही सत्य है भगवान की नजर मे राजा रंक सभी समान है भगवान इतने निर्दयी नही हो सकते जो कहे अपने धर्म विस्तार के लिय किसी का वध करो , किसी की निंदा करो, किसी पर हंसो ! और सबसे बड़ा धर्म वही है जो दूसरे धर्म की रक्षा करे सभी का सम्मान करे और इसको मानने वाले हिन्दू धर्म एक मिसाल है जहाँ पर सभी को बोलने का पूरा हक है !
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Abhay Singh20 अगस्त 2015 को 7:20 am
अगर इस्लाम शांति और अमन का संदेश देता है तो इतने आतंकवादी कहाँ से पैदा हो गये और ये शांति का संदेश इन्हें क्यों नही कोई बताता. अगर ये अमन की राह पर आ जायें तो पूरी दुनिया में अमन और शांति स्थापित हो जायेगी
तभी मुस्लिम भाई ये कह सकते है की इस्लाम अमन और शांति का संदेश देता है
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manoj soni15 सितंबर 2015 को 12:30 pm
Hindu hone par grav hai
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बेनामी18 सितंबर 2015 को 10:07 pm
अपने धर्म की तरह ही अवैज्ञानिक बातें करो तुम। पृथ्वी पर अब तक का सबसे पुराना जीवाश्म 60 करोड़ वर्ष पुराना है। मनुष्य बहुत बाद में आया।
जिस मूसा और दाऊद की तुम बात कर रहे हो वो यहूदी थे मुसलमान नहीं। जाओ जाके पता करो कि ईसाई और इस्लाम के पहले यहूदी धर्म आया है और उसी के धर्मग्रन्थ को नक़ल करके कुरान लिखा गया और ये सारे नवी उन्हीं से लिया गया है. ये आदम हौवा सब यहूदियों की कहानियों से ही लिया गया है बिलकुल हू-बहू।
जाओ जाके अपना ज्ञान बढ़ाओ। गलतफहमी दूर हो जाएगी।
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Rajneesh Sharma25 सितंबर 2015 को 12:13 pm
अव्यलीकजी प्रशंसनीय लेख है आप का पक्ष भी मजबूत है निश्चित ही सत्यता से ओतप्रोत है ।
हमारे मुश्लिम भाइयों से निवेदन है की औंछापन कर के कुछ ऐसा जाहिर न करें जिससे ये महसूस हो कि आप इस धरती पर अभद्र मूर्ख व् निरर्थक हैं ।
कुछ भी कहना हो तर्क के साथ प्रतिपादित करें अन्यथा आप की कोई आवश्यकता नहीं है ।
रजनीश शर्मा 'मार्तण्ड'
राष्ट्रीय सचिव
ए.डी.वि.एम्.एस
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गौरव मेहता2 अक्तूबर 2015 को 9:54 pm
बहुत ही अच्छा लेख है देखते है कितने भटके रस्ते पर आते है।
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बेनामी12 अक्तूबर 2015 को 4:43 am
रामायण में सभी राक्षसों का वध हुआ था लेकिन💥
सूर्पनखा का वध नहीं हुआ था
उसकी नाक और कान काट कर छोड़ दिया गया था ।
वह कपडे से अपने चेहरे को छुपा कर
रहती थी ।
रावन के मर जाने के बाद वह
अपने पति के साथ शुक्राचार्य के पास
गयी और जंगल में उनके आश्रम में रहने लगी ।
राक्षसों का वंश ख़त्म न
हो
इसलिए, शुक्राचार्य ने शिव
जी की आराधना की ।
शिव जी ने
अपना स्वरुप शिवलिंग शुक्राचार्य को दे कर
कहा की जिस दिन कोई "वैष्णव" इस पर
गंगा जल चढ़ा देगा उस दिन
राक्षसों का नाश हो जायेगा ।
उस आत्म
लिंग को शुक्राचार्य ने वैष्णव मतलब
हिन्दुओं से दूर रेगिस्तान में स्थापित
किया जो आज अरब में "मक्का मदीना" में है ।
सूर्पनखा जो उस समय चेहरा ढक कर
रहती थी वो परंपरा को उसके बच्चो ने
पूरा निभाया आज भी मुस्लिम औरतें
चेहरा ढकी रहती हैं ।
सूर्पनखा के वंसज
आज मुसलमान कहलाते हैं ।
क्युकी शुक्राचार्य ने इनको जीवन दान
दिया इस लिए ये शुक्रवार को विशेष
महत्त्व देते हैं ।
पूरी जानकारी तथ्यों पर आधारित सच है।⛳
जानिए इस्लाम केसे पैदा हुआ..
👉असल में इस्लाम कोई धर्म नहीं है .एक मजहब है..
दिनचर्या है..
👉मजहब का मतलब अपने कबीलों के
गिरोह को बढ़ाना..
👉यह बात सब जानते है कि मोहम्मदी मूलरूप से
अरब वासी है ।
👉अरब देशो में सिर्फ रेगिस्तान पाया जाता है.
वहां जंगल
नहीं है, पेड़ नहीं है. इसीलिए वहां मरने के बाद जलाने
के
लिए लकड़ी न होने के कारण ज़मीन में दफ़न कर
दिया जाता था.
👉रेगिस्तान में हरीयाली नहीं होती.. एसे में रेगिस्तान
में
हरा चटक रंग देखकर इंसान चला आता जो की सूचक
का काम करता था..
👉अरब देशो में लोग रेगिस्तान में तेज़ धुप में सफ़र करते थे,
इसीलिए वहां के लोग सिर को ढकने के लिए
टोपी 💂पहनते थे.
जिससे की लोग बीमार न पड़े.
👉अब रेगिस्तान में खेत तो नहीं थे, न फल, तो खाने के
लिए वहा अनाज नहीं होता था. इसीलिए वहा के
लोग
🐑🐃🐄🐐🐖जानवरों को काट कर खाते थे. और अपनी भूख मिटाने के
लिए इसे क़ुर्बानी का नाम दिया गया.
👉रेगिस्तान में पानी की बहुत कमी रहती थी,💧 इसीलिए
लिंग (मुत्रमार्ग) साफ़ करने में पानी बर्बाद न
हो जाये
इसीलिए लोग खतना (अगला हिस्सा काट देना ) कराते
थे.
👉सब लोग एक ही कबिले के खानाबदोश होते थे इसलिए
आपस में भाई बहन ही निकाह कर लेते थे|
👉रेगिस्तान में मिट्टी मिलती नहीं थी मुर्ती बनाने
को इसलिए मुर्ती पुजा नहीं करते थे|
खानाबदोश थे ,
👉 एक जगह से दुसरी जगह
जाना पड़ता था इसलिए कम बर्तन रखते थे और एक
थाली नें पांच लोग खाते थे|
👉कबीले की अधिक से अधिक संख्या बढ़े इसलिए हर एक
को चार बीवी रखने की इज़ाजत दि..
🔥अब समझे इस्लाम कोई धर्म नहीं मात्र एक कबीला है..
और इसके नियम असल में इनकी दिनचर्या है|
नोट : पोस्ट पढ़के इसके बारे में सोचो.
#इस्लाम_की_सच्चाई
अगर हर हिँदू माँ-बाप अपने बच्चों को बताए कि अजमेर दरगाह वाले ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती ने किस तरह इस्लाम कबूल ना करने पर पृथ्वीराज चौहान की पत्नी संयोगिता को मुस्लिम सैनिकों के बीच बलात्कार करने के लिए निर्वस्त्र करके फेँक दिया था और फिर किस तरह पृथ्वीराज चौहान की वीर पुत्रियों ने आत्मघाती बनकर मोइनुद्दीन चिश्ती को 72 हूरों के पास भेजा थातो शायद ही कोई हिँदू उस मुल्ले की कब्र पर माथा पटकने जाए
"अजमेर के ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती को ९० लाख हिंदुओं को इस्लाम में लाने का गौरव प्राप्त है. मोइनुद्दीन चिश्ती ने ही मोहम्मद गोरी को भारत लूटने के लिए उकसाया और आमंत्रित किया था... (सन्दर्भ - उर्दू अखबार "पाक एक्सप्रेस, न्यूयार्क १४ मई २०१२).
अधिकांश मुर्दा हिन्दू तो शेयर भी नहीं करेंगे,,धिक्कार है ऐसे हिन्दुओ पर
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chandreshekhar khandre19 अक्तूबर 2015 को 5:55 am
https://vijayrampatrika.wordpress.com/2014/09/09/hinduism_-the-worlds-oldest-religions/
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chandreshekhar khandre19 अक्तूबर 2015 को 5:58 am
हिंदू धर्म जिसको संस्कृत मे सनातन धर्म भी बोलते हैं. जिसकी उत्पत्ति इस ब्राम्हांड के साथ ही हो जाती है. जीतने लोग इस पृथ्वी पर है उन्होने हिंदू धर्म से कॉनवर्ट होकर मुस्लिम, सिख, इसाई आदि ट्रॅडिसेन को अपनाया हैं. वास्तव मे हिंदू धर्म के अलावा जीतने भी धर्म है इस दुनिया मे वो धर्म नही ट्रॅडिसेन है.
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बेनामी20 अक्तूबर 2015 को 4:23 am
me apki bat se sahmat hu ye log aaj bhi shivji ko mante hai kyonki makka madiname koi dargah nahi balki shivling hai or ye log usko bahut mante hai
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बेनामी25 अक्तूबर 2015 को 9:45 pm
भाइयों मै किसी भी धर्म का विरोध या समर्थन नहीं करूँगा और मै चाहूँगा की जो सबूत भाई साहब ने दिए है उसकी प्रामाणिकता सिद्ध करने हेतु खुल कर मीडिया में आना चाहिए और जहाँ तक मेरा विचार है हर व्यकति में इंसानियत नाम की कोई चीज होनी चाहिए इंसानियत ही सबसे बड़ा धर्म है दुनिया में जो खून खराबा जारी है उसे रोकना ही सबसे बड़ा धर्म है
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Zeeshan Haidar26 अक्तूबर 2015 को 12:55 am
में ये साबित कर सकता हु। इस पोस्ट में सिवाए मूर्खता और मनगढ़त बातो के और कुछ भी नहीं है।
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Zeeshan Haidar26 अक्तूबर 2015 को 12:59 am
वाह वाह। मॉडरेशन लगा रखा है। तो जो में साबित भी कर दूंगा। तब भी तुम मेरी कमेंट नहीं दिखाओगे। क्यों की तुम इस्लाम विरोधी हो। तुम्हे सत्य नहीं जान'ना बल्कि केवल अपना धर्म आगे बढ़ाना है।
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बेनामी27 अक्तूबर 2015 को 3:35 am
Hindu dharm se dunia suru h;hindu dharm se dunia khatm h.
Aap ka bahut bahut dhanyewaad jo hamari aankhe khool di.
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Awaleek4 नवंबर 2015 को 7:10 am
मॉडरेशन मैंने सिर्फ अश्लील शब्दों को रोकने के लिए लगाया है विचारों या तथ्यों को रोकने के लिए नहीं। आप जो भी प्रमाण देना चाहते हैं वो दे सकते हैं मैं उसे जरूर प्रकाशित करूँगा।
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Awyaleek4 नवंबर 2015 को 7:12 am
मॉडरेशन मैंने सिर्फ अश्लील शब्दों को रोकने के लिए लगाया है विचारों या तथ्यों को रोकने के लिए नहीं। आप जो भी प्रमाण देना चाहते हैं वो दे सकते हैं मैं उसे जरूर प्रकाशित करूँगा।
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बेनामी10 नवंबर 2015 को 10:47 am
न जाने क्यों ये इस्लाम धर्म को इतना फैला रहे है। । क्या जरुरत है। अगर आप मानवता का सन्देश देते तो आपको जबरन इस्लाम धर्म न फैलाना पड़ता।
।
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Ubaid Ansari13 नवंबर 2015 को 11:10 am
कुरान की आयातों को पढो किआ तुमको पता है काबा शरीफ में कुछ भी नही है वह बिलकुल खाली है एक बड़े हाल की तरह
उसकी दीवारों पर कुरान की आयात लिखी हुई है
जिस पत्थर को तुम लोग शिव लिंग कहते हो वह पत्थर संग ए अस्वद है
रही बात मुहम्मद साहब से पहले कौन सा धरम था तो सुनो यहूदी धरम था जो बुत परस्त था यानि मूर्ती पूजा करता था
मुहम्मद साहब के आने से पहले औरतो को बहुत तकलीफे दी जाती थी जैसे पैदा होते ही मार दिया जाता था
औरत के पति मर जाते थे तो उस औरत को भी उसी आग में डाल दिया जाता था जिसमे उसका पति जलाया गया था
लेकिन मुहम्मद साहब ने इन बहुत सी बुरइयो को ख़तम किआ
मुहम्मद साहब ने इश्वर का मंदिर दिल में बनाने का हुक्म दिया यानि मूर्ती पूजा को ख़तम किआ
काबा हमारा अल्लाह नही है अल्लाह के लिए इबादत करने की जगह है
और इबादत करने की जगह को साफ़ सुथरा रखना हमारा काम है इसलिए काबे पर लिहाफ चढ़ाया जाता है
किओ की मुहम्मद साहब ने जिस जगा ह पर इबादत की वह हमारे लिए इबादत के लिए बेहतर है
इस्लाम में ही काली के औतार भी आये
जिसे हम सब मुहम्मद कहते है
किआ अब इस युग में तलवार तीर धनुस बाण का युग है वह सब पीछे निकल चूका है
अब बाम एटम बम हवाई जंगी जहाजो से जंग परमाणू बाम अनु बाम
ए के ४७ ए के ५६ रैफाले और न जाने कौन कौन से हथियार है जंग करने के लिए
जागो हिन्दू जागो
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खर्कतड़ी18 नवंबर 2015 को 8:58 am
हमें अपने भविश्य पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए । पृकृति में जब असंतुलन बढ़ जाता है । तो सब विनाश हो जाता है। सत्य को नकारे नही स्वीकार करे।
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बेनामी22 नवंबर 2015 को 10:59 pm
पहले इसलाम पर शोध कर फिर ईसलाम पर लिख मुझे यकीन है तु मुसलमान हो जायेगा
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बेनामी8 दिसंबर 2015 को 11:06 pm
BHai in sab baaton mein kya rakha h.. sab insaan to ho na.. aisi cheezon pe lad rhe ho. jo hai bhi ki nahi iska bhi ni pata..
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बेनामी8 जनवरी 2016 को 8:32 pm
Sansar ka pehla vyakti maanu tha jo ek hindu aur bhagwan surya ka putra tha.
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karan14 जनवरी 2016 को 11:39 pm
श्री मान जी आपने जो जानकारी दी है उसका सीधा जवाब किसी के पास भी नहीं है क्योंकि यही सच्चाई है अब इसे स्वीकार करें या अस्वीकार करें पर वास्तव में सचाई यही है।
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gourav kumar27 जनवरी 2016 को 7:59 am
ईश्वर एक नाम अनेक.
2. ब्रह्म या परम तत्त्व सर्वव्यापी है.
3. ईश्वर से डरें नहीं, प्रेम करें और प्रेरणा लें.
4. हिन्दुत्व का लक्ष्य स्वर्ग-नरक से ऊपर.
5. हिन्दुओं में कोई एक पैगम्बर नहीं है.
6. धर्म की रक्षा के लिए ईश्वर बार-बार पैदा होते हैं.
7. परोपकार पुण्य है, दूसरों को कष्ट देना पाप है.
8. जीवमात्र की सेवा ही परमात्मा की सेवा है.
9. स्त्री आदरणीय है.
10. सती का अर्थ पति के प्रति सत्यनिष्ठा है.
11. हिन्दुत्व का वास हिन्दू के मन, संस्कार और परम्पराओं में.
12. पर्यावरण की रक्षा को उच्च प्राथमिकता.
13. हिन्दू दृष्टि समतावादी एवं समन्वयवादी.
14. आत्मा अजर-अमर है.
15. सबसे बड़ा मंत्र गायत्री मंत्र.
16. हिन्दुओं के पर्व और त्योहार खुशियों से जुड़े हैं.
17. हिन्दुत्व का लक्ष्य पुरुषार्थ है और मध्य मार्ग को सर्वोत्तम माना गया है.
18. हिन्दुत्व एकत्व का दर्शन है।
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gourav kumar27 जनवरी 2016 को 8:00 am
ईश्वर एक नाम अनेक.
2. ब्रह्म या परम तत्त्व सर्वव्यापी है.
3. ईश्वर से डरें नहीं, प्रेम करें और प्रेरणा लें.
4. हिन्दुत्व का लक्ष्य स्वर्ग-नरक से ऊपर.
5. हिन्दुओं में कोई एक पैगम्बर नहीं है.
6. धर्म की रक्षा के लिए ईश्वर बार-बार पैदा होते हैं.
7. परोपकार पुण्य है, दूसरों को कष्ट देना पाप है.
8. जीवमात्र की सेवा ही परमात्मा की सेवा है.
9. स्त्री आदरणीय है.
10. सती का अर्थ पति के प्रति सत्यनिष्ठा है.
11. हिन्दुत्व का वास हिन्दू के मन, संस्कार और परम्पराओं में.
12. पर्यावरण की रक्षा को उच्च प्राथमिकता.
13. हिन्दू दृष्टि समतावादी एवं समन्वयवादी.
14. आत्मा अजर-अमर है.
15. सबसे बड़ा मंत्र गायत्री मंत्र.
16. हिन्दुओं के पर्व और त्योहार खुशियों से जुड़े हैं.
17. हिन्दुत्व का लक्ष्य पुरुषार्थ है और मध्य मार्ग को सर्वोत्तम माना गया है.
18. हिन्दुत्व एकत्व का दर्शन है।
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FreeMind6 फ़रवरी 2016 को 7:01 am
Ek bahut hi behtarin lekh likha hai aapne. Hindu koi dharm nahi hai. Ye to Sanatan dharm hai. Aap sabhi phir se yaad dilwaya hai aapne dharm ke bare me. Bahut behtarin.
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radhe shyam gupta7 फ़रवरी 2016 को 5:57 am
मोईनुद्दीन चिश्ती ने इस्लाम कबूल ना करने पर पृथ्वीराज चौहान की पत्नी संयोगिता को मुस्लिम सैनिकों के बीच बलात्कार करने के लिए निर्वस्त्र करके फेँक दिया था और फिर पृथ्वीराज चौहान की वीर पुत्रियों ने आत्मघाती बनकर मोइनुद्दीन चिश्ती को 72 हूरों के पास भेजा था
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jpglobalservices@gmail.com8 फ़रवरी 2016 को 9:42 am
जागो हिन्दू जागो
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jpglobalservices@gmail.com8 फ़रवरी 2016 को 9:42 am
जागो हिन्दू जागो
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बेनामी11 फ़रवरी 2016 को 5:24 am
I can prove How other human crated religions all are phelosophy..........I ask How you got? ki pahla insaan muslim tha. uska naam adaam tha. He was sanatan. Islam is philosophy. Some people see it as religion..... and they all are misguided. Becoz god never create double standard.......... It is something like that. Shri Krishna was from yadav family....... but he never told yadav is a religion......Same Shri Ram was Suryabans, but never told Suryabans is religion...... there was only one religion from the beginning of earth,SANATAN. Only Holy books from god.....Vedas. Only Human on earth from the beginning of earth..... Shri Manuh(some people know him as adaam). Manuh smiriti is the proof that he was Sanatan. Only language of god Sanskrit..........yes, you are absolutely right 'god is one'..........ऊँ......the word. that shows Creator, Operator, Destroyer.
.
The problem is that........why on the name of god........terrorism......generates? Becoz they are following Philosophy Rather than dharma. Becoz they are following Human centered religion not God centered. They are presenting a caste as religion.
.
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बेनामी11 फ़रवरी 2016 को 5:27 am
.
or ha mai ye nahi kah raha tum kisi ko follow na karo......besak follow everyone who teach you good lesson. .. but don't give it a name of religion.......... Its create double standard..... everyone knows that. God is one. One Dharma. One word.......now some incidents or copy whatever, in Islam and Christianity by Sanatan dharma. . They prey namaaj same to same as Hindus do Prabhat bandana. by joining both hands. .. History of Quran writing Jibrael passed the massage to Mohammad in dream......and He write it by the help of his follows... Same in sanatan Ramayana Was written by Balmiki by the help oh Shree ganesha......... Shri Brahma dreams Maharishi Balmiki, Jeewan charitra Of Shri Ram. And he don't write itself, but by the help of Shri Ganesha. . Mohammad was not literate also Balmiki was not literate until he received massage of god. . Muslims do parikrama in kaba in anti clock wise. We sanatan always make facility to do it seven time clockwise. . In Quran mentioned development of embryo (embryology). In Vedas there are many shlokas represents it. also In sanatan dharma...... many types of shastras related to maths, astronomy, science, medicine. . Now coming to Christianity and Isha Masheeh . Once maseeh make alive some died people Same Shri ram make alive, a woman from stone. . They say Maseeh was not born by sexual activities. His mother mariyam was virgin pure. Same the four son Of Dasharatha Was born by yajna......or Brdana. . they say when Maseeh was few days old, He spoked. Same when Shri Krishna was playing, He saw his mother, whole universe on his mouth..... . They say Maseeh was not died. He was accepted by god with His physical body. Same In Mahabharata Elder brother of Pandawas, Yudhisthir was not died, He entered in heaven with his body. Same Shri Ram not died.....He took samaadhi in saryu river. . In Christianity and Islam they call Adam was his first prophet, and first human of earth. also in Sanatan We said Maharaj Manuh was first human on earth. And Every scholar accept, that, the adam-adaam-Manuh is same person. . and his Original name was Manuh. And He was Sanatan........... Now you will say how you can say he is Sanatan? . search scriptures The मनुः स्मृति by manuh written in Sanskrit.(Dev vani).....that concern to Sanatan. Also your great scholar Jakir Naik use Sanatan's Vedas, Puranas, Manuh smiriti as reference books.......Now the question is. If first human on earth was a Sanatan. First scriptures of religion are Vedas. First language on earth Sanskrit...... everything provided as Sanatan by god, Is God also made these earlier religions? Answer is No. Why God will generate double standard...... As God know Human will do sin on the name of god. They will fight each other on the name of god and religion........... Even a general human kind think ten time, before making his house...........And you can see also what's going on by these Human centered religion...... they can't pray together, they can't tolerate others. History is proof for these religions...... ..Hitlor...Gouri. Gajnabi. Aurangzeb.. .....they all killed innocent people on the name of religion.............. If you see the history of Sanatan background........You will not found even a single example..... anyone fought and kill a person because he worship in other way........ there were wars too in Sanatan...... But for Pride, For national issues, For Social issues. For Human Rights .......... .......सनातन परमो धर्मः जो अनादि और अनंत है I परमात्मा खुद इसका संरक्छ्क् है!
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बेनामी11 फ़रवरी 2016 को 5:31 am
One thing also I found about you guys...... you fear from god...... because your scriptures teach you to fear. The fear of jannat and jahannum....... but I love My god....My scriptures teach me, for karma. Anyone can gain Mukti by Karmyog...... which is much better than heaven-swarga-jannat......Mukti mean free from cycle of life and death.........and you can't get it until you don't free from lust of heaven or anything......... But you people only learn . . I should do things for heaven, I don't have to do this...otherwise will go to hell.......
actually these are not from internet dear.......I challange if you can prove me The first person was a Christian or Muslim? I debated with my close friend on this topic....and he have much knoledge about religion.....follower of Mohammad an zakir naik too, Everytime He said only one word Yes I am Sanatan but muslim too. you are free to inbox me also........If you think anyone has perfect knowledge about religion..... you can ask him. Go and search history........even you are a sanatan...... because your grands are concern from this. ......and Mr. Nausad shiekh........ This type of philosophy is easy for geniouses......... Even I can say now......If you are Indian your Grand father's father were also a Hindu. Until they didn't converted forcefully or fearfully....... Go and search your family history first. Absolutely you will find me correct......... but your mindset will not allow you to accept it.............when you will find your results..... You will say yourself.... Like my friend...... Yes I am Sanatan and muslim too..
I am not judging or comparing....... What now a days Christian and muslims use to convert people...... those are innocent and Not educated......they explain the fear of jahannum and...........I want to say those people. You Have destroyed dharma yourself and doing same with others. Its not good. Or ek chij darne se achha he pyar karna. A person could more attached to other one rather his family mamber, friends. He can know more about other one. by loving them not by fear of them.....same case if you love parmatma. you will know more about your god. you will be more close to the great soul.
.
Or yadi Aap jabab pa lete he ki Christian ya islam hi dharti ki suruaat se he to besak Aap fb per inbox kar sakte he......J.K. Pushpendra Jaiswal search karke.......yadi Yaha Aapko lagta he ki aapka msg prakashit nahi kia ka raha he.......
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बेनामी11 फ़रवरी 2016 को 5:44 am
Jo Mohammad ko kalki avatar maan kar bhramit ho gye he or dusro ko bahka rahe he unhe jyada Aaja milegi......kyuki Pahli baat Avatar ka janam Kalyug ke ant me hoga....Jo abhi se Hajaro saal baad he.....Or kalki avatar Apne mool dharm ko palan karega....sanatan dharm......Jab kalki avatar aayege....tab dharti paap mukt ho jayegi or Fir se Satyug ka aarambh hoga......Jo ki Mohammad ke baad aisa kuchh bhi nahi hua....balki nirantar paap badhta hi ka raha he....Jo ki unke apne log jyada kar rahe he........last or sabse aham baat......Jo jakir naik aksar bhole bhale logo ko bolkar bahkata he......ka kya Aapko lagta he ki is missiles, guns, rocket ke time me Koi talwar teer dhanush se ladai karne aayege......To uska jabab yahi he......Jisko khichi gi mamooli si rekha se Ravan jaisa mahabali seeta mata ko nahi chho saka.....jiski ek langh samudra ko naak jaye.....Jiski charan raj se patthar me jaan Aa jaye....Jo khel khel me kalia naag ko nath de.....Jo apne mukh me bramhand dikha de.....Jiske teer se samudra sukh jaye.....Jo samast jag ko chalane bala he.....uske liye ye missile... Guns... Bombs tinka masalne jaisi he........सनातन परमोधर्मः
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Unknown19 फ़रवरी 2016 को 7:21 am
इस्लाम धर्म का जन्म इंसानियत की भलाई के लिए हुआ और मुहम्मद पैगम्बर यह आखरी पैगम्बर थे और यह सत्य है की मुहम्मद पैगम्बर साहब ने मूर्ति पूजा का विरोध किया कारन मनुष्य हर किसीकी पूजा करता हमारे पैगम्बर साहब ने उनकी खुद्की पूजा करने से मनाह किया यह उनका अपना आदेश है की अल्लाह एक है और ओ निराकार है ओ न हाथी है ना घोड़े की शक्ल का ना परिंदे की शक्ल का है ओ नीरा कार है हमारे पैगम्बर ने जो कहा ओ आज सब दिखाई देरहा है रही हिन्दू मुस्लमान की बात तो आप अपने हिसाब से सोचो हमें कुछ फर्क नहीं इस्लाम में सब एक समान है पर हिंदुओंमें ऐसा नहीं आमिर के लिए अलग लाइन गरिबोकि अलग निचली जाती को मंदिरो में प्रवेश नहीं इन सब बातो को छोड़ कर मानव जाती को एक सूत्र में बांधने का नाम इस्लाम है बस पर आज कल मुसलमान मुहम्मद पैगम्बर साहब ने बताई बातो से भटक गया है इसलिए आप को ऐसा लगता है क्यू की आज आप आतंकी इस्लाम को देख रहे हो बस मई इतना ही कहुगा की हर मजहब ने मानव जाती की सुरक्षा की भलाई के लिए अल्लाह भगवान गॉड के नामो का उपयोग किया है अच्छाई की तो जन्नत स्वर्ग मिलेगा बुरा करोगे तो जहन्नुम नर्क इन शब्दों का उपयोग किया है
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Faiyaz Kalave19 फ़रवरी 2016 को 7:25 am
इस्लाम धर्म का जन्म इंसानियत की भलाई के लिए हुआ और मुहम्मद पैगम्बर यह आखरी पैगम्बर थे और यह सत्य है की मुहम्मद पैगम्बर साहब ने मूर्ति पूजा का विरोध किया कारन मनुष्य हर किसीकी पूजा करता हमारे पैगम्बर साहब ने उनकी खुद्की पूजा करने से मनाह किया यह उनका अपना आदेश है की अल्लाह एक है और ओ निराकार है ओ न हाथी है ना घोड़े की शक्ल का ना परिंदे की शक्ल का है ओ नीरा कार है हमारे पैगम्बर ने जो कहा ओ आज सब दिखाई देरहा है रही हिन्दू मुस्लमान की बात तो आप अपने हिसाब से सोचो हमें कुछ फर्क नहीं इस्लाम में सब एक समान है पर हिंदुओंमें ऐसा नहीं आमिर के लिए अलग लाइन गरिबोकि अलग निचली जाती को मंदिरो में प्रवेश नहीं इन सब बातो को छोड़ कर मानव जाती को एक सूत्र में बांधने का नाम इस्लाम है बस पर आज कल मुसलमान मुहम्मद पैगम्बर साहब ने बताई बातो से भटक गया है इसलिए आप को ऐसा लगता है क्यू की आज आप आतंकी इस्लाम को देख रहे हो बस मई इतना ही कहुगा की हर मजहब ने मानव जाती की सुरक्षा की भलाई के लिए अल्लाह भगवान गॉड के नामो का उपयोग किया है अच्छाई की तो जन्नत स्वर्ग मिलेगा बुरा करोगे तो जहन्नुम नर्क इन शब्दों का उपयोग किया है
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बेनामी8 मार्च 2016 को 12:27 am
आपके ओजस्वी पूर्ण लेख ने मेरी तो आँखें खोल दीं, अब देखना है की कितने लोग जाग पाते हैं?
जागो हिन्दू जागो !!!
बोलो सनातन धर्म की ! जय हो !!!
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salman haider8 मार्च 2016 को 11:45 am
Wah bhai wah
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Pandurang Kumbhar8 मार्च 2016 को 7:20 pm
सारी दुनिया के लिये सिरदर्द बननेवाला धर्म कोई धर्मभी हो सकता है । दहशदगर्दीका दुसरा नाम इस्लाम है ।
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awyaleek
मैं अपने प्यारे भारत को स्वर्ग से भी सुंदर बनाना चाहता हूँ जहाँ देवता भी आने को तरसें..इसे फ़िर से सोने की चिडि़या और विश्वगुरु बनाना चाहता हूँ ना सिर्फ़ धर्म के मामले में बल्कि हरेक क्षेत्र में..अपने देश को मैं फ़िर से इतना शक्तिशाली बना देना चाहता हूँ कि अगर ये जम्हाई भी ले ले तो पूरे विश्व में तूफ़ान आ जाय...
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