Thursday 31 August 2017

ऋषि कश्यप की वंशावली

Press question mark to see available shortcut keys 9   Jaya Panwar Public Jul 30, 2015  Originally shared by Jaya Panwar ऋषि कश्यप का कुल (देव-दानव तथा सृष्टि की उत्पत्ति ) जब हम सृष्टि विकास की बात करते हैं तो इसका मतलब है जीव, जंतु या मानव की उत्पत्ति से होता है। ऋषि कश्यप एक ऐसे ऋषि थे जिन्होंने बहुत-सी स्त्रीयों से विवाह कर अपने कुल का विस्तार किया था। आदिम काल में जातियों की विविधता आज की अपेक्षा कई गुना अधिक थी। ऋषि कश्यप ब्रह्माजी के मानस-पुत्र मरीची के विद्वान पुत्र थे। मान्यता अनुसार इन्हें अनिष्टनेमी के नाम से भी जाना जाता है। इनकी माता 'कला' कर्दम ऋषि की पुत्री और कपिल देव की बहन थी।कश्यप को ऋषि-मुनियों में श्रेष्ठ माना गया हैं। पुराणों अनुसार हम सभी उन्हीं की संतानें हैं। सुर-असुरों के मूल पुरुष ऋषि कश्यप का आश्रम मेरू पर्वत के शिखर पर था, जहाँ वे परब्रह्म परमात्मा के ध्यान में लीन रहते थे। समस्त देव, दानव एवं मानव ऋषि कश्यप की आज्ञा का पालन करते थे। कश्यप ने बहुत से स्मृति-ग्रंथों की रचना की थी। कश्यप कथा : पुराण अनुसार सृष्टि की रचना और विकास के काल में धरती पर सर्वप्रथम भगवान ब्रह्माजी प्रकट हुए। ब्रह्माजी से दक्ष प्रजापति का जन्म हुआ। ब्रह्माजी के निवेदन पर दक्ष प्रजापति ने अपनी पत्नी असिक्नी के गर्भ से 66 कन्याएँ पैदा की। इन कन्याओं में से 13 कन्याएँ ऋषि कश्यप की पत्नियाँ बनीं। मुख्यत इन्हीं कन्याओं से सृष्टि का विकास हुआ और कश्यप सृष्टिकर्ता कहलाए। ऋषि कश्यप सप्तऋषियों में प्रमुख माने जाते हैं। विष्णु पुराणों अनुसार सातवें मन्वन्तर में सप्तऋषि इस प्रकार रहे हैं- वसिष्ठ, कश्यप, अत्रि, जमदग्नि, गौतम, विश्वामित्र और भारद्वाज। श्रीमद्भागवत के अनुसार दक्ष प्रजापति ने अपनी साठ कन्याओं में से 10 कन्याओं का विवाह धर्म के साथ, 13 कन्याओं का विवाह ऋषि कश्यप के साथ, 27 कन्याओं का विवाह चंद्रमा के साथ, 2 कन्याओं का विवाह भूत के साथ, 2 कन्याओं का विवाह अंगीरा के साथ, 2 कन्याओं का विवाह कृशाश्व के साथ किया था। शेष 4 कन्याओं का विवाह भी कश्यप के साथ ही कर दिया गया। *कश्यप की पत्नीयाँ : इस प्रकार ऋषि कश्यप की अदिति, दिति, दनु, काष्ठा, अरिष्टा, सुरसा, इला, मुनि, क्रोधवशा, ताम्रा, सुरभि, सुरसा, तिमि, विनता, कद्रू, पतांगी और यामिनी आदि पत्नियाँ बनीं। 1.अदिति : पुराणों अनुसार कश्यप ने अपनी पत्नी अदिति के गर्भ से बारह आदित्यों को जन्म दिया, जिनमें भगवान नारायण का वामन अवतार भी शामिल था। माना जाता है कि चाक्षुष मन्वन्तर काल में तुषित नामक बारह श्रेष्ठगणों ने बारह आदित्यों के रूप में जन्म लिया, जो कि इस प्रकार थे- विवस्वान्, अर्यमा, पूषा, त्वष्टा, सविता, भग, धाता, विधाता, वरुण, मित्र, इंद्र और त्रिविक्रम (भगवान वामन)। ऋषि कश्यप के पुत्र विस्वान से मनु का जन्म हुआ। महाराज मनु को इक्ष्वाकु, नृग, धृष्ट, शर्याति, नरिष्यन्त, प्रान्शु, नाभाग, दिष्ट, करूष और पृषध्र नामक दस श्रेष्ठ पुत्रों की प्राप्ति हुई। 2.दिति : कश्यप ऋषि ने दिति के गर्भ से हिरण्यकश्यप और हिरण्याक्ष नामक दो पुत्र एवं सिंहिका नामक एक पुत्री को जन्म दिया। श्रीमद्भागवत् के अनुसार इन तीन संतानों के अलावा दिति के गर्भ से कश्यप के 49 अन्य पुत्रों का जन्म भी हुआ, जो कि मरुन्दण कहलाए। कश्यप के ये पुत्र निसंतान रहे। जबकि हिरण्यकश्यप के चार पुत्र थे- अनुहल्लाद, हल्लाद, भक्त प्रह्लाद और संहल्लाद। 3.दनु : ऋषि कश्यप को उनकी पत्नी दनु के गर्भ से द्विमुर्धा, शम्बर, अरिष्ट, हयग्रीव, विभावसु, अरुण, अनुतापन, धूम्रकेश, विरूपाक्ष, दुर्जय, अयोमुख, शंकुशिरा, कपिल, शंकर, एकचक्र, महाबाहु, तारक, महाबल, स्वर्भानु, वृषपर्वा, महाबली पुलोम और विप्रचिति आदि 61 महान पुत्रों की प्राप्ति हुई। 4.अन्य पत्नीयाँ : रानी काष्ठा से घोड़े आदि एक खुर वाले पशु उत्पन्न हुए। पत्नी अरिष्टा से गंधर्व पैदा हुए। सुरसा नामक रानी से यातुधान (राक्षस) उत्पन्न हुए। इला से वृक्ष, लता आदि पृथ्वी पर उत्पन्न होने वाली वनस्पतियों का जन्म हुआ। मुनि के गर्भ से अप्सराएँ जन्मीं। कश्यप की क्रोधवशा नामक रानी ने साँप, बिच्छु आदि विषैले जन्तु पैदा किए। ताम्रा ने बाज, गिद्ध आदि शिकारी पक्षियों को अपनी संतान के रूप में जन्म दिया। सुरभि ने भैंस, गाय तथा दो खुर वाले पशुओं की उत्पत्ति की। रानी सरसा ने बाघ आदि हिंसक जीवों को पैदा किया। तिमि ने जलचर जन्तुओं को अपनी संतान के रूप में उत्पन्न किया। रानी विनता के गर्भ से गरुड़ (विष्णु का वाहन) और वरुण (सूर्य का सारथि) पैदा हुए। कद्रू की कोख से बहुत से नागों की उत्पत्ति हुई, जिनमें प्रमुख आठ नाग थे-अनंत (शेष), वासुकी, तक्षक, कर्कोटक, पद्म, महापद्म, शंख और कुलिक। रानी पतंगी से पक्षियों का जन्म हुआ। यामिनी के गर्भ से शलभों (पतंगों) का जन्म हुआ। ब्रह्माजी की आज्ञा से प्रजापति कश्यप ने वैश्वानर की दो पुत्रियों पुलोमा और कालका के साथ भी विवाह किया। उनसे पौलोम और कालकेय नाम के साठ हजार रणवीर दानवों का जन्म हुआ जो कि कालान्तर में निवातकवच के नाम से विख्यात हुए। माना जाता है कि कश्यप ऋषि के नाम पर ही कश्मीर का प्राचीन नाम था। समूचे कश्मीर पर ऋषि कश्यप और उनके पुत्रों का ही शासन था। कश्यप ऋषि का इतिहास प्राचीन माना जाता है। कैलाश पर्वत के आसपास भगवान शिव के गणों की सत्ता थी। उक्त इलाके में ही दक्ष राजाओं का साम्राज्य भी था। कश्यप ऋषि के जीवन पर शोध किए जाने की आवश्यकता है। इति। ---------*********--------- ब्रह्मदेव के 17 मानस पुत्र माने गए हैं, जिनकी ब्रह्मदेव से ही उत्पत्ति इस तरह बताई गई है– 1. मन से मरिचि 2. नेत्र से अत्रि 3. मुख से अंगिरस 4. कान से पुलस्त्य 5. नाभि से पुलह 6. हाथ से कृतु 7. त्वचा से भृगु 8. प्राण से वशिष्ठ 9. अंगूठे से दक्ष 10. छाया से कंदर्प 11. गोद से नारद 12. इच्छा से सनक, सनन्दन, सनातन, सनतकुमार 16. शरीर से मनु 17. ध्यान से चित्रगुप्त **भगवान विष्णु के 10 अवतार** हिंदू धर्म मान्यताओं में भगवान विष्णु जगतपालक माने जाते हैं। धर्म की रक्षा के लिए हिंदू धर्मग्रंथ श्रीमद्भागवतपुराण के मुताबिक सतयुग से लेकर कलियुग तक भगवान विष्णु के 24 अवतार माने गए हैं। इनमें से दस प्रमुख अवतार " दशावतार " के रूप में प्रसिद्ध हैं। ये दस अवतार हैं- 1. मत्स्य अवतार – मछली के रूप में। 2. कूर्म अवतार – कछुए के रूप में। 3. वराह अवतार – सूअर के रूप में। 4. नरसिंह अवतार – आधे शेर और आधे इंसान के रूप में। 5. वामन अवतार – बौने ब्राह्मण के रूप में। 6. परशुराम अवतार – ब्राह्मण योद्धा के रूप में। 7. श्रीराम अवतार – मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में। 8. श्रीकृष्ण अवतार – 16 कलाओं के पूर्ण अवतार के रूप में। 9. बुद्ध अवतार – क्षमा, शील और शांति के रूप में। 10. कल्कि अवतार ( यह अवतार कलियुग के अंत में होना माना गया है)- सृष्टि के संहारक के रूप में। कौन हैं अष्टचिरंजीवी यानी 8 अमर चरित्र ..? सांसारिक जीवन का अटल सत्य है कि जिसने जन्म लिया उसकी मृत्यु तय है। किंतु इस सच के उलट इसी संसार में ऐसे भी देहधारी हैं, जो युगों के बदलाव के बाद भी हजारों सालों से जीवित हैं। इन महान और अमर आत्माओं को ‘ चिरंजीवी ' यानी अमर बताया गया है। इनकी संख्या 8 होने से ये अष्ट चिरंजीवी भी कहलाते हैं। हनुमानजी: भगवान रुद्र के 11वें अवतार, भगवान श्रीराम के परम सेवक और भक्त व बल, बुद्धि और पुरूषार्थ देने वाले देवता श्रीहनुमान के चारों युगों में होने की महिमा तो सभी जानते हैं और ‘चारों युग परताप तुम्हारा है। परसिद्ध जगत उजियारा।। यह चालीसा बोल हर रोज स्तुति भी करते हैं। ऋषि मार्कण्डेय: भगवान शिव के परम भक्त। शिव उपासना और महामृत्युंजय सिद्धि से ऋषि मार्कण्डेय अल्पायु को टाल चिरंजीवी बन गए और युग-युगान्तर में भी अमर माने गए हैं। भगवान वेद-व्यास: सनातन धर्म के प्राचीन और पवित्र चारों वेदों – ऋग्वेद, अथर्ववेद, सामवेद और यजुर्वेद का सम्पादन और 18 पुराणों के रचनाकार भगवान वेदव्यास ही हैं। भगवान परशुराम: जगतपालक भगवान विष्णु के दशावतारों में एक हैं। इनके द्वारा पृथ्वी से 21 बार निरकुंश व अधर्मी क्षत्रियों का अंत किया गया। राजा बलि: भक्त प्रहलाद के वंशज। भगवान वामन को अपना सब कुछ दान कर महादानी के रूप में प्रसिद्ध हुए। इनकी दानशीलता से प्रसन्न होकर स्वयं भगवान विष्णु ने इनका द्वारपाल बनना स्वीकार किया। विभीषण: लंकापति रावण के छोटे भाई, जिसने रावण की अधर्मी नीतियों के विरोध में युद्ध में धर्म और सत्य के पक्षधर भगवान श्रीराम का साथ दिया। कृपाचार्य: युद्ध नीति में कुशल होने के साथ ही परम तपस्वी ऋषि, जो कौरवों और पाण्डवों के गुरु थे। अश्वत्थामा: कौरवों और पाण्डवों के गुरु द्रोणाचार्य के सुपुत्र थे, जो परम तेजस्वी और दिव्य शक्तियों के उपयोग में माहिर महायोद्धा थे, जिनके मस्तक पर मणी जड़ी हुई थी। शास्त्रों में अश्वत्थामा को अमर बताया गया है। देव और दानवों के माता-पिता का नाम..? हिंदू धर्मग्रंथों के मुताबिक देवता धर्म के तो दानव अधर्म के प्रतीक हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पौराणिक मान्यताओं में देव-दानवों को एक ही पिता, किंतु अलग-अलग माताओं की संतान बताया गया है। इसके मुताबिक देव-दानवों के पिता ऋषि कश्यप हैं। वहीं, देवताओं की माता का नाम अदिति और दानवों की माता का नाम दिति है। देवताओं के गुरु का क्या नाम है..? देवताओं के गुरु बृहस्पति माने गए हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार वे महर्षि अंगिरा के पुत्र थे। भगवान शिव के कठिन तप से उन्होंने देवगुरु का पद पाया। उन्होंने अपने ज्ञान बल व मंत्र शक्तियों से देवताओं की रक्षा की। शिव कृपा से ये गुरु ग्रह के रूप में भी पूजनीय हैं। दानवों के गुरु का क्या नाम है..? दानवों के गुरु शुक्राचार्य माने जाते हैं। ब्रह्मदेव के पुत्र महर्षि भृगु इनके पिता थे। शुक्राचार्य ने ही शिव की कठोर तपस्या कर मृत संजीवनी विद्या प्राप्त की, जिससे वह मृत शरीर में फिर से प्राण फूंक देते थे। ब्रह्मदेव की कृपा से यह शुक्र ग्रह के रूप में पूजनीय हैं। शुक्रवार शुक्र देव की उपासना का ही विशेष दिन है। हिंदू धर्म के पांच प्रमुख देवता..? हिंदू धर्म मान्यताओं में पांच प्रमुख देवता पूजनीय है। ये एक ईश्वर के ही अलग-अलग रूप और शक्तियां हैं। जानिए इन पांच देवताओं के नाम और रोज उनकी पूजा से कौन-सी शक्ति व इच्छाएं पूरी होती हैं – सूर्य – स्वास्थ्य, प्रतिष्ठा व सफलता विष्णु – शांति व वैभव शिव – ज्ञान व विद्या शक्ति – शक्ति व सुरक्षा गणेश – बुद्धि व विवेक त्रिलोक या तीन लोक और 14 भवन कौन-कौन से हैं? 1.पाताल लोक ( अधोलोक ) 2.भूलोक ( मध्यलोक ) 3.स्वर्गलोक (उच्चलोक) यह तीन लोक है। इन लोको को भी 14 लोको में बांटा गया है। इन 14 लोकों को "14 भवन " के नाम से भी कहा जाता है- 1. सत्लोक 2. तपोलोक 3. जनलोक 4. महलोक 5. ध्रुवलोक 6. सिद्धलोक 7. पृथ्वीलोक 8. अतललोक 9. वितललोक 10. सुतललोक 11. तलातललोक 12. महातललोक 13. रसातललोक 14. पाताललोक भगवान शिव का एक नाम आशुतोष भी है। इस शब्द का मतलब जानें तो आशु का अर्थ है – शिघ्र और तोष यानी प्रसन्नता। इस तरह आशुतोष का अर्थ होता है- शिघ्र प्रसन्न होने वाला। पौराणिक प्रसंग उजागर करते हैं कि भगवान शिव भी भक्ति व पूजा के सरल उपायों से जल्द ही प्रसन्न होकर मन चाही इच्छा पूरी कर देते हैं। यही कारण है कि भगवान शिव आशुतोष के नाम से भी पुकारे जाते हैं। हिन्दू धर्म के चार धाम ये हैं- 1. बद्रीनाथ (उत्तराखंड) 2. द्वारका (गुजरात) 3. जगन्नाथपुरी (ओडिसा) 4. रामेश्वरम (तमिलनाडु) तीर्थ परम्परा में उत्तराखंड या उत्तर दिशा के चार धामों (यमुनोत्री, गंगोत्री, बद्रीनाथ व केदारनाथ) का भी महत्व है। यह यात्रा पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर होती है, इसलिए यह यात्रा यमुनोत्री से शुरू होकर गंगोत्री, केदारनाथ के बाद बद्रीनाथ में जाकर पूरी होती है। इन पवित्र धामों में भी गंगा नदी के दर्शन व स्नान का खास महत्व है। पुराणों के मुताबिक मां गंगा जगत के कल्याण व पापनाश के लिए ही नदी के रूप में स्वर्ग से धरती पर उतरी। इन चार धामों में गंगा के भी कई रूप और नाम हैं। जेसे गंगोत्री में भागीरथी, केदारनाथ में मंदाकिनी और बद्रीनाथ में अलकनन्दा ...| हरि औम नमः शिवाय.... ********* Translate  10 plus ones 10 19 comments 19 no shares Shared publicly•View activity View 13 previous comments  Jaya Panwar प्राचीन भारतीय गौत्र प्रणाली......? https://plus.google.com/109074275589293678275/posts/fBARz7vFnhc Translate Aug 26, 2015  Jaya Panwar वर्ण व्यवस्था बनाम जातिवाद...? https://plus.google.com/111193167021236787040/posts/TuxTHL9UmrF Translate Sep 20, 2015  Jaya Panwar हिन्दू हक़ और आरक्षण मुसलमान खा रहें है..? https://plus.google.com/106580461528065971218/posts/Mjx5jznPWR9 Translate Oct 4, 2015  vinod kumar Verma Aisa pratit hota hai ki sabhi manav rishi kashyap ki aulad hai 30w  Rohit kumar Sanju kashyap 22w  shiv Dan Charan Har har mahadev 17w  Add a comment...

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