Tuesday 29 August 2017

कैसे सोलह कलाओं से संपन्न अवतार हैं श्री कृष्ण

 जानिए, कैसे सोलह कलाओं से संपन्न अवतार हैं श्री कृष्ण Home› Religion› sixteen kala of shri krishna RELIGION ज्योतिर्मय Updated 08:03 बुधवार, 28 अगस्त 2013  sixteen kala of shri krishna अवतारी शक्तियों की सामर्थ्य को समझने के लिए कलाओं को आधार मानते हैं। कला को अवतारी शक्ति की एक इकाई मानें तो श्रीकृष्ण सोलह कला के अवतार माने गए हैं। भागवत पुराण के अनुसार सोलह कलाओं में अवतार की पूरी सामर्थ्य खिल उठती है। अवतारों में श्रीकृष्ण में ही यह सभी कलाएं प्रकट हुई थी। इन कलाओं के नाम हैं-श्री-धन संपदाप्रथम कला के रूप में धन संपदा को स्थान दिया गया है। जिस व्यक्ति के पास अपार धन हो और वह आत्मिक रूप से भी धनवान हो। जिसके घर से कोई भी खाली हाथ नहीं जाए वह प्रथम कला से संपन्न माना जाता है। यह कला भगवान श्री कृष्ण में मौजूद है।भू- अचल संपत्तिजिस व्यक्ति के पास पृथ्वी का राज भोगने की क्षमता है। पृथ्वी के एक बड़े भू-भाग पर जिसका अधिकार है और उस क्षेत्र में रहने वाले जिसकी आज्ञाओं का सहर्ष पालन करते हैं वह अचल संपत्ति का मालिक होता है। भगवान श्री कृष्ण ने अपनी योग्यता से द्वारिका पुरी को बसाया। इसलिए यह कला भी इनमें मौजूद है।कीर्ति- यश प्रसिद्धिजिसके मान-सम्मान और यश की कीर्ति से चारों दिशाओं में गूंजती हो। लोग जिसके प्रति स्वतः ही श्रद्घा और विश्वास रखते हों वह तीसरी कला से संपन्न होता है। भगवान श्री कृष्ण में यह कला भी मौजूद है। लोग सहर्ष श्री कृष्ण की जयकार करते हैं।इला-वाणी की सम्मोहकताचौथी कला का नाम इला है जिसका अर्थ है मोहक वाणी। भगवान श्री कृष्ण में यह कला भी मौजद है। पुराणों में श्री उल्लेख मिलता है कि श्री कृष्ण की वाणी सुनकर क्रोधी व्यक्ति भी अपना सुध-बुध खोकर शांत हो जाता था। मन में भक्ति की भावना भर उठती थी। यशोदा मैया के पास शिकायत करने वाली गोपियां भी कृष्ण की वाणी सुनकर शिकायत भूलकर तारीफ करने लगती थी।लीला- आनंद उत्सवपांचवीं कला का नाम है लीला। इसका अर्थ है आनंद। भगवान श्री कृष्ण धरती पर लीलाधर के नाम से भी जाने जाते हैं क्योंकि इनकी बाल लीलाओं से लेकर जीवन की घटना रोचक और मोहक है। इनकी लीला कथाओं सुनकर कामी व्यक्ति भी भावुक और विरक्त होने लगता है। कांति- सौदर्य और आभाजिनके रूप को देखकर मन स्वतः ही आकर्षित होकर प्रसन्न हो जाता है। जिसके मुखमंडल को देखकर बार-बार छवि निहारने का मन करता है वह छठी कला से संपन्न माना जाता है। भगवान राम में यह कला मौजूद थी। कृष्ण भी इस कला से संपन्न थे। कृष्ण की इस कला के कारण पूरा व्रज मंडल कृष्ण को मोहिनी छवि को देखकर हर्षित होता था। गोपियां कृष्ण को देखकर काम पीड़ित हो जाती थीं और पति रूप में पाने की कामना करने लगती थीं। विद्या- मेधा बुद्धिसातवीं कला का नाम विद्या है। भगवान श्री कृष्ण में यह कला भी मौजूद थी। कृष्ण वेद, वेदांग के साथ ही युद्घ और संगीत कला में पारंगत थे। राजनीति एवं कूटनीति भी कृष्ण सिद्घहस्त थे।विमला-पारदर्शिताजिसके मन में किसी प्रकार का छल-कपट नहीं हो वह आठवीं कला युक्त माना जाता है। भगवान श्री कृष्ण सभी के प्रति समान व्यवहार रखते हैं। इनके लिए न तो कोई बड़ा है और न छोटा। महारास के समय भगवान ने अपनी इसी कला का प्रदर्शन किया था। इन्होंने राधा और गोपियों के बीच कोई फर्क नहीं समझा। सभी के साथ सम भाव से नृत्य करते हुए सबको आनंद प्रदान किया।उत्कर्षिणि-प्रेरणा और नियोजनमहाभारत के युद्घ के समय श्री कृष्ण ने नौवी कला का परिचय देते हुए युद्घ से विमुख अर्जुन को युद्घ के लिए प्रेरित किया और अधर्म पर धर्म की विजय पताका लहराई। नौवीं कला के रूप में प्रेरणा को स्थान दिया गया है। जिसमें इतनी शक्ति मौजूद हो कि लोग उसकी बातों से प्रेरणा लेकर लक्ष्य भेदन कर सकें।ज्ञान-नीर क्षीर विवेकभगवान श्री कृष्ण ने जीवन में कई बार विवेक का परिचय देते हुए समाज को नई दिशा प्रदान की जो दसवीं कला का उदाहरण है। गोवर्धन पर्वत की पूजा हो अथवा महाभारत युद्घ टालने के लिए दुर्योधन से पांच गांव मांगना यह कृष्ण के उच्च स्तर के विवेक का परिचय है।क्रिया-कर्मण्यताग्यारहवीं कला के रूप में क्रिया को स्थान प्राप्त है। भगवान श्री कृष्ण इस कला से भी संपन्न थे। जिनकी इच्छा मात्र से दुनिया का हर काम हो सकता है वह कृष्ण सामान्य मनुष्य की तरह कर्म करते हैं और लोगों को कर्म की प्रेरणा देते हैं। महाभारत युद्घ में श्री कृष्ण ने भले ही हाथों में हथियार लेकर युद्घ नहीं किया लेकिन अर्जुन के सारथी बनकर युद्घ का संचालन किया।योग-चित्तलयजिनका मन केन्द्रित है, जिन्होंने अपने मन को आत्मा में लीन कर लिया है वह बारहवीं कला से संपन्न श्री कृष्ण हैं। इसलिए श्री कृष्ण योगेश्वर भी कहलाते हैं। कृष्ण उच्च कोटि के योगी थे। अपने योग बल से श्री कृष्ण ने ब्रह्मास्त्र के प्रहार से माता के गर्भ में पल रहे परीक्षित की रक्षा की। मृत गुरू पुत्र को पुर्नजीवन प्रदान किया।प्रहवि- अत्यंतिक विनयतेरहवीं कला का नाम प्रहवि है। इसका अर्थ विनय होता है। भगवान श्री कृष्ण संपूर्ण जगत के स्वामी हैं। संपूर्ण सृष्टि का संचलन इनके हाथों में है फिर भी इनमें कर्ता का अहंकार नहीं है। गरीब सुदामा को मित्र बनाकर छाती से लगा लेते हैं। महाभारत युद्घ में विजय का श्रेय पाण्डवों को दे देते हैं। सब विद्याओं के पारंगत होते हुए भी ज्ञान प्राप्ति का श्रेय गुरू को देते हैं। यह कृष्ण की विनयशीलता है। सत्य-यथार्यभगवान श्री कृष्ण की चौदहवीं कला का नाम सत्य है। श्री कृष्ण कटु सत्य बोलने से भी परहेज नहीं रखते और धर्म की रक्षा के लिए सत्य को परिभाषित करना भी जानते हैं यह कला सिर्फ श्री कृष्ण में है। शिशुपाल की माता ने कृष्ण से पूछा की शिशुपाल का वध क्या तुम्हारे हाथों होगी। श्री कृष्ण निःसंकोच कह देते हैं यह विधि का विधान है और मुझे ऐसा करना पड़ेगा।यहां कृष्णा रिश्ते की डोर में बंधकर शिशुपाल की माता यानी अपनी बुआ से झूठ नहीं बोलते। इसी प्रकार अश्वत्थामा वध के समय श्री कृष्ण युधिष्ठिर से ऐसा झूठ बुलवाते हैं जो सत्य की सीमा में है और जिसके बोलने से युधिष्ठिर असत्य बोलने के पाप से भी बच जाते हैं।इसना -आधिपत्यपंद्रहवीं कला का नाम इसना है। इस कला का तात्पर्य है व्यक्ति में उस गुण का मौजूद होना जिससे वह लोगों पर अपना प्रभाव स्थापित कर पाता है। जरूरत पड़ने पर लोगों को अपने प्रभाव को एहसास दिलाता है। कृष्ण ने अपने जीवन में कई बार इस कला का भी प्रयोग किया जिसका एक उदाहरण है मथुरा निवासियों को द्वारिका नगरी में बसने के लिए तैयार करना।अनुग्रह-उपकारबिना प्रत्युकार की भावना से लोगों का उपकार करना यह सोलवीं कला है। भगवान श्री कृष्ण को कभी भक्तों से कुछ पाने की उम्मीद नहीं रखते हैं लेकिन जो भी इनके पास इनका बनाकर आ जाता है उसकी हर मनोकामना पूरी करते हैं।अब तक हुए अवतारों में मत्स्य, कश्यप और वराह में एक एक कला, नृसिंह और वामन में दो दो और परशुराम मे तीन कलाएं व्यक्त हुई थी। राम बारह कला के अवतार थे और श्रीकृष्ण सोलह कला के। बुद्ध सहस्रार सिद्ध अवतार थे। माना जाता है कि भावी अवतार कल्कि भगवान चौबीस कला से संपन्न रहेंगे।  Share this article TAGS: krishna , radha , janmashtmi , Also Read WELLNESS कृष्ण को क्यों प्यारी है बांसुरी और माखन मिसरी मंगलवार, 27 अगस्त 2013 WELLNESS प्राण और शरीर के मिलन से प्रकट हुए श्री कृष्णः श्री श्री रविशंकर मंगलवार, 27 अगस्त 2013 RELIGION जहां आज भी रात में मिलते हैं राधा कृष्ण मंगलवार, 27 अगस्त 2013 RELIGION क्यों लगता है भगवान को 56 भोग सोमवार, 26 अगस्त 2013 Most Popular CITY & STATESShimla शिमला रेप केस: लॉकअप हत्याकांड में आईजी, डीएसपी समेत आठ पुलिस कर्मी गिरफ्तार मंगलवार, 29 अगस्त 2017 BOLLYWOODNational पैर में फंसी ड्रेस तो मलाइका को पड़ गया उठाना, भाभी की ये तस्वीरें सलमान के उड़ाएंगी होश मंगलवार, 29 अगस्त 2017 CITY & STATESChandigarh राम रहीम की हनीप्रीत को लेकर चौंकाने वाले खुलासे हुए, एक जगह से है खास कनेक्शन मंगलवार, 29 अगस्त 2017 CITY & STATESChandigarh प्रियंका तनेजा ऐसे बनी राम रहीम की हनीप्रीत, जानिए क्या है इनकी असली कहानी? मंगलवार, 29 अगस्त 2017 CITY & STATESChandigarh सतलोक आश्रम के 'संत' रामपाल दो मामलों में बरी, अभी रहना होगा जेल में मंगलवार, 29 अगस्त 2017 BOLLYWOODNational आलीशान जिंदगी जीती है 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