पुराण
वेद में निहित ज्ञान के अत्यन्त गूढ़ होने के कारण आम आदमियों के द्वारा उन्हें समझना बहुत कठिन था, इसलिये रोचक कथाओं के माध्यम से वेद के ज्ञान की जानकारी देने की प्रथा चली। इन्हीं कथाओं के संकलन को पुराण कहा जाता हैं। पौराणिक कथाओं में ज्ञान, सत्य घटनाओं तथा कल्पना का संमिश्रण होता है। पुराण ज्ञानयुक्त कहानियों का एक विशाल संग्रह होता है। पुराणों को वर्तमान युग में रचित विज्ञान कथाओं के जैसा ही समझा जा सकता है। पुराण संख्या में अठारह हैं।
18 पुराणों के नाम विष्णुपुराण में इस प्रकार है -
ब्रह्मपुराण
पद्मपुराण
विष्णुपुराण
शिवपुराण - वायु पुराण
श्रीमद्भावत महापुराण - देवीभागवत पुराण
नारदपुराण
मार्कण्डेय पुराण
अग्निपुराण
भविष्यपुराण
ब्रह्म वैवर्त पुराण
लिंगपुराण
वाराह पुराण
स्कन्द पुराण
वामन पुराण
कूर्मपुराण
मत्स्यपुराण
गरुड़पुराण
ब्रह्माण्ड पुराण
इनके अलावा देवी भागवत में 18 उप-पुराणों का उल्लेख भी है -
गणेश पुराण
नरसिंह पुराण
कल्कि पुराण
एकाम्र पुराण
कपिल पुराण
दत्त पुराण
श्रीविष्णुधर्मौत्तर पुराण
मुद्गगल पुराण
सनत्कुमार पुराण
शिवधर्म पुराण
आचार्य पुराण
मानव पुराण
उश्ना पुराण
वरुण पुराण
कालिका पुराण
महेश्वर पुराण
साम्ब पुराण
सौर पुराण
अन्य,
पराशर पुराण
मरीच पुराण
भार्गव पुराण
हरिवंश पुराण
सौरपुराण
प्रज्ञा पुराण
पशुपति पुराण नाम के 11 उपपुराण या `अतिपुराण´ और भी मिलते हैं।
पुराणों में सृष्टिक्रम, राजवंशावली, मन्वन्तर-क्रम, ऋषिवंशावली, पंच-देवताओं की उपासना, तीर्थों, व्रतों, दानों का माहात्म्य विस्तार से वर्णन है। इस प्रकार पुराणों में हिन्दु धर्म का विस्तार से ललित रूप में वर्णन किया गया है।
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