Tuesday 29 August 2017

१४ विद्या और ६४ कलाए

हमारी धरोहर : हमारे शास्त्र यहाँ आपको हमारे प्राचीन शास्त्रों के विषयवैविध्य के बारे में सामग्री प्राप्त होगी . साथ ही मे उन विषयों का वैज्ञानिक महत्व भी प्रदर्शित होगा . Thursday, 8 December 2016 १४ विद्या और ६४ कलाए १४ विद्या और ६४ कलाए :- श्रीगणपतीको १४ विद्या और ६४ कलांओंके अधिष्ठात्रा देव के रूपमें जाना जाता है वो १४ विद्या व ६४ कलाए कौनकौनसी है ... इस बारेमें कईयोकें मनमें उत्सुकता होती है.उन १४ विद्या और ६४ कलांओंका यह परिचय!!! १४ विद्या :- चार वेद + छह वेदांग + न्याय, विश्लेषण, पुराण व धर्मशास्त्र=१४ चार वेद = १) ऋग्वेद २) यजुर्वेद ३) सामवेद ४) अथर्ववेद छह वेदांग = १) व्याकरण- भाषाओकें शब्दोके व्यवहार का शास्त्र. २) ज्योतिष- ग्रहगती तथा सामुद्रिक जाननेकी विद्या. ३) निरुक्त- वेदोके काठीन शब्दोका अर्थ बताने वाला शास्त्र. ४) कल्प- धार्मिक विधी- व्रतोका वर्णन बताने वाला शास्त्र ५) छंद- शब्दोकि गेय (गाने योग्य ) रचना एवं काव्यवृत्त का ज्ञान ६) शिक्षा- शिक्षण, अध्यापन व अध्ययन + न्याय, विश्लेषण, पुराण व धर्मशास्त्र =१४ ६४ कलाए : १) पानक रस तथा रागासव योजना- मदिरा व पेय तयार करना. २) धातुवद- कच्ची धातू पक्की व मिश्रधातू अलग करना ३) दुर्वाच योग- कठीन शब्दोका अर्थ उर्दघृत करना. ४) आकर ज्ञान- खदानो के बारेमें अंतर्गत एवं परिपूर्ण ज्ञान . ५) वृक्षायुर्वेद योग- उपवन, कुंज, वाटिका, उद्यान बनाना. ६) पट्टिका वेत्रवाणकल्प- नवार, सुंभ, वेत इन चीजोसें खटीया बनाना. ७) वैनायिकी विद्याज्ञान- शिष्टाचार व विनय इनका ज्ञान . ८) व्यायामिकी विद्याज्ञान- व्यायाम आदि का शास्त्रीय ज्ञान . ९) वैजापिकी विद्याज्ञान- दुसरोपर विजय पाना. १०) शुकसारिका प्रलापन- पंछियोकी भाषा समझना. ११) अभिधान कोष छंदोज्ञान- शब्द व छंद का ज्ञान. १२) वास्तुविद्या- महाल, भवन, राजमहल,सदन बांधना. १३) बालक्रीडाकर्म- नन्हे बालकोका मनोरंजन करना. १४) चित्रशब्दापूपभक्षविपाक क्रिया- पाकक्रिया, एवं रसोई. १५) पुस्तकवाचन- काव्यगद्यादी पुस्तक और ग्रंथ पढना. १६) आकर्षण क्रीडा- दुसरोको आकर्षित करना १७) कौचुमार योग- कुरुप व्यक्तियोको रूपवान बनाना १८) हस्तलाघव - हस्तकौशल्य तथा हस्तकला. १९) प्रहेलिका- गूढता पूर्वक और काव्यमय तरिकेसे प्रश्न पूछना २०) प्रतिमाला- अंताक्षर कि योग्यता रखना २१) काव्यसमस्यापूर्ती- आधिअधुरी कविता पूर्ण करना २२) भाषाज्ञान- देश तथा विदेश कि भाषाओकां ज्ञान २३) चित्रयोग- चित्रकला और रंगकला. २४) कायाकल्प- वृध्द व्यक्तिको जवान बनाना २५) माल्यग्रंथ विकल्प- वस्त्रोका योग्य चुनाव करना. २६) गंधयुक्ती- सुगंधी गंध और लेपन का ज्ञान. २७) यंत्रमातृका- अनेकविध यन्त्रोका निर्माण करना. २८) इत्तर विकल्प- फुलोंसे अर्क एवं इत्तर का निर्माण. २९) संपाठय़- दुसरोकी बाते सुनकर सहिसही नकल करना ३०) धारण मातृका- स्मरणशक्ती वृद्धिंगत करना ३१) छलीक योग- चालाखी करके दुसरोको भ्रमित करना ३२) वस्त्रगोपन- फटेहुए वस्त्र सीना ३३) मणिभूमिका- भूमिपर मणीओकी रचना करना ३४) द्यूतक्रीडा- जुआ खेलना ३५) पुष्पशकटिका निमित्त ज्ञान- प्राकृतिक लक्षणोद्वारा भविष्य कथन करना. ३६) माल्यग्रथन- पुष्पमाला, हार,गजरे तैयार करना. ३७) मणिरागज्ञान- रंगोसे रत्नोकि परख करना तथा पहचानना ३८) मेषकुक्कुटलावक- युद्धविधी- बकरे, मुर्गे वगैरोको लडाना. ३९) विशेषकच्छेद ज्ञान- माथेपर लगने वाले तिलकोके साचे तयार करना ४०) क्रिया विकल्प- वस्तुकि क्रीयाका प्रभाव पलट देना. ४१) मानसी काव्यक्रिया- शीघ्र कवित्व ४२) आभूषण भोजन- सोना चांदी रत्न एवं मोतियोसे काया सजाना ४३) केशशेखर पीड ज्ञान- मुकुट बनाना और बालोकि पुष्परचना. ४४) नृत्यज्ञान- नृत्यकला का शास्त्रिय और परिपूर्ण ज्ञान. ४५) गीतज्ञान- गायन कला का शास्त्रिय और परिपूर्ण ज्ञान ४६) तंडुल कुसुमावली विकार- चावल और फ़ुलोसे चित्र निकालना ४७) केशमार्जन कौशल्य- तेलसे मस्तक का मालिश करना ४८) उत्सादन क्रिया- तेलसे बदनका का मालिश करना ४९) कर्णपत्र भंग- फुल पत्तियोसे कर्णफुल बनाना ५०) नेपथ्य योग- ऋतू काल अनुसार वस्त्र और अलंकारोका चुनाव. ५१) उदकघात- जलविहार करना तथा रंगीन पानी कि पिचकारीया बनाना. ५२) उदकवाद्य- जलतरंग बजाना ५३) शयनरचना- मंचक, शय्या व मंदिर सजाना ५४) चित्रकला- नक्षी वेलवुट्टी व चित्रे निकालना. ५५) पुष्पास्तरण- फ़ुलोकि कलात्मक शैय्या तयार करना. ५६) नाटय़अख्यायिका दर्शन- नाट्कोमे अभिनय करना. ५७) दशनवसनांगरात- दात, वस्त्र , काया रंगाना और सजाना. ५८) तुर्ककर्म- चरखेसे धागा कताई ५९) इंद्रजाल- संमोहन और जादूटोनेका ज्ञान. ६०) तक्षणकर्म- लकडेको तराशना ६१) अक्षर मुष्टिका कथन- करपल्लवी द्वारा संभाषण करना ६२) सूत्र तथा सूचीकर्म- वस्त्रको रफू करना. ६३) म्लेंछीतकला विकल्प- विदेशी भाषाओंका ज्ञान ६४) रत्नरौप्य परीक्षा- अनमोल धातु एवं रत्नोको परखना Shreedhar Vyas at 04:41 Share  No comments: Post a Comment ‹ › Home View web version About Me  Shreedhar Vyas  Shreedhar Sanatanbhai Vyas M.A.(Sanskrit),M.Phil.,Gujarat University. Prahalladnagar, Setellite, Ahemdabad. 380015 Wife : Bhargavi S. Vyas View my complete profile Powered by Blogger. 

1 comment:


  1. baglamukhi sadhna प्राचीन शक्तिशाली मां बगलामुखी साधना ph.85280 57364

    https://gurumantrasadhna.com/baglamukhi-sadhna/

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