Wednesday, 25 October 2017
वर्जित है स्त्रियों के लिए गायत्री मंत्र
क्यों वर्जित है स्त्रियों के लिए गायत्री मंत्र का जाप?
By: Gulneet Kaur
भारतीय संस्कार
भारत एक ऐसी जगह है जहां मनुष्य से ज्यादा रीति-रिवाज़ों को तवज्जो दी जाती है। भारतीय संस्कार और उनसे जुड़े रिवाज़ अन्य किसी भी वस्तु से ज्यादा मूल्यवान समझे जाते हैं। यही कारण है कि आज के आधुनिक युग में भी सदियों पुराने रीति-रिवाजों को बदलने की मनाही है।
धार्मिक रिवाज
फिर यह रिवाज धार्मिक संदर्भ के हों या फिर लोक प्रचलित, इनका पालन करना प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य माना जाता है। भारतीयों के लिए यह संस्कार उनके जीवन के मार्गदर्शक हैं, जिनका पालन करना हर रूप में आवश्यक है।
हिन्दू धर्म के निर्देश
संस्कारों की बात हो तो हिन्दू धर्म हमें निर्देशों की लंबी-चौड़ी लिस्ट देता है। इस धर्म में हर एक धार्मिक कार्य को करने के लिए दिशा-निर्देश निर्धारित किए गए हैं। इनका उल्लंघन करना वर्जित है।
मंत्रों का सही उच्चारण
किस प्रकार से पूजा करें, पूजा की सामग्री, मंत्रों का सही उच्चारण, इत्यादि ऐसे बिंदु हैं जिन्हें बिना मार्गदर्शन के करना व्यर्थ है। क्या आप जानते हैं कि हिन्दू धर्म में दिए गए प्रत्येक ‘मंत्र’ का यदि सही एवं सम्पूर्ण रूप से उच्चारण नहीं किया जाए तो यह निष्फल होते हैं?
गलत उच्चारण ना करें
फिर आप चाहे उस मंत्र को एक बार या फिर सौ बार या हज़ारों बार क्यों ना पढ़ लें। लेकिन यदि इतनी बार पढ़ने पर भी आप मंत्र का गलत उच्चारण कर रहे हैं, तो उसका फल आपको कभी भी हासिल नहीं होगा।
शास्त्रों के दिशा-निर्देश
इसीलिए शास्त्रों में प्रत्येक मंत्र को सही ढंग से पढ़ सकने के लिए दिशा-निर्देश प्रदान किए गए हैं। हिन्दू धर्म में शामिल किए गए सभी मंत्रों में एक मंत्र काफी पवित्र माना जाता है। इस मंत्र का स्थान उच्च है तथा ऐसी मान्यता है कि इसका उच्चारण केवल पुरुष ही करते हैं।
गायत्री मंत्र
यह मंत्र है ‘गायत्री मंत्र’, जिसे ब्रह्मऋषि विश्वामित्र द्वारा ऋग्वेद में उल्लेखित करवाया गया था। कहा जाता है कि इस मंत्र का विशेषकर उन लोगों द्वारा सबसे ज्यादा जाप किया जाता है जिन्होंने पवित्र जनेऊ धारण कर रखा हो। इस मंत्र के द्वारा वे देवी का आह्वान करते हैं। यह मंत्र सूर्य भगवान को समर्पित है।
गायत्री मंत्र का अर्थ
गायत्री मंत्र - ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्। अर्थात् सृष्टिकर्ता प्रकाशमान परमात्मा के प्रसिद्ध पवणीय तेज़ का (हम) ध्यान करते हैं, वे परमात्मा हमारी बुद्धि को (सत् की ओर) प्रेरित करें।
सूर्य भगवान को समर्पित मंत्र
गायत्री मंत्र सूर्य भगवान से संबंधित होने के कारण ही ऐसा माना जाता है कि यह मंत्र सूर्योदय और सूर्यास्त के समय पढ़ा जाना चाहिए। ऐसा करने से अधिक लाभ होता है।
जनेऊ धारण
इसके अलावा यह मंत्र जेनऊ धारण करते समय भी पढ़ा जाता है। गायत्री मंत्र की मूल परिभाषा के अलावा इस मंत्र से संबंधित कुछ ऐसे तथ्य भी हैं जो काफी कम लोग जानते हैं। इनमें से एक है स्त्रियों का पवित्र ‘गायत्री मंत्र’ ना पढ़ना।
स्त्रियों के लिए वर्जित
हिन्दू शास्त्रों के अनुसार स्त्रियां गायत्री मंत्र का जाप नहीं कर सकतीं। इसके पीछे धर्म के साथ-साथ ऐसे भी कई कारण है, जिन्हें चिकित्सकीय दुनिया से जोड़ा जाता है।
स्त्रियां भी धारण करती थीं
माना जाता है कि सदियों पहले स्त्रियों द्वारा भी पवित्र जनेऊ धारण किया जाता था। पुरुषों की तरह वह भी विभिन्न प्रकार के धार्मिक कर्म-कांडों का हिस्सा बनती और उनका नेतृत्व भी करती थीं। लेकिन कुछ समय के पश्चात सारी दशा ही बदलकर रह गई।
क्या है कारण?
इसका सबसे बड़ा कारण है स्त्रियों को होने वाला ‘मासिक धर्म’। हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि जो भी स्त्री मासिक धर्म में हो, उसे किसी भी प्रकार की पूजा एवं धर्म कार्यों से दूर रहना चाहिए। और ऐसा तब तक किया जाता है जब तक वह ठीक नहीं हो जाती।
कैसे बदले रिवाज?
इसके अलावा प्राचीन काल मे स्त्रियां गर्भधारण के समय भी पूजा-पाठ से दूर रहती थीं। यही कारण है कि धीरे-धीरे स्त्रियों को धर्म-कर्म से दूर ही कर दिया गया। परिणामस्वरूप आज भी स्त्रियां कई प्रकार के धर्म कार्यों में सहयोग देने से वंचित रह जाती हैं।
कोई अन्य कारण?
लेकिन क्या केवल यही कारण है कि स्त्रियां गायत्री मंत्र का जाप नहीं कर सकतीं? या कोई अन्य कारण भी है? शास्त्रों के अनुसार गायत्री मंत्र के शब्द मानवीय शरीर के तीन चक्रों पर प्रभाव डालते हैं। ये हैं मूलाधार, स्वाधिष्ठान और मणिपुर। इन चक्रों पर गायत्री मंत्र का प्रभाव होता है।
शारीरिक हार्मोन्स
चिकित्सकीय भाषा में मानवीय शरीर में दो प्रकार के अंग होते हैं जिसमें से एक पिट्यूट्री होता है जो दिमाग में होता है और दूसरा प्रोस्टेट होता है जो जननांग के समीप होता है। जैसे-जैसे शिशु का विकास होता है, उसी प्रकार से लड़के और लड़की के विभिन्न हार्मोन जन्म लेते हैं।
क्या होता है असर?
इन हार्मोन्स का व्यवहार पुरुष तथा स्त्रियों में अलग-अलग होता है इसीलिए दोनों का शारीरिक आकार भी अलग होता है। माना गया है कि यदि एक स्त्री रोजाना गायत्री मंत्र का जाप करेगी तो वह एक पुरुष की तरह व्यवहार करने लगती है। इतना ही नहीं, इसका असर उसके शारीरिक अंगों तथा त्वचा पर भी आता है।
मासिक धर्म पर असर
मुंह पर अनचाहे बाल आने लगते हैं जैसे कि पुरुषों के दाढ़ी के लिए आते हैं। तथा उनके मासिक धर्म में भी दिक्कतें आने लगती हैं। परिणामस्वरूप आमतौर पर 4-5 दिन तक चलने वाला मासिक धर्म 5 दिन से ज्यादा तक चलता है।
गर्भवती महिला के लिए कठिनाई
यदि वह स्त्री गर्भवती है या फिर बच्चे को जन्म दे चुकी है तो उसे दूध आने में भी कठिनाई होती है। दूध का स्राव पहले से काफी कम हो जाता है। कहते हैं कि यदि किसी स्त्री द्वारा काफी ज्यादा समय तक गायत्री मंत्र का जाप किया जाए तो वह ना केवल व्यवहार में बल्कि देखने में भी एक पुरुष की भांति बन सकती है।
शारीरिक बदलाव
उसका शरीर पुरुष की तरह मजबूत मांसपेशियों वाला बन सकता है। इतना ही नहीं, इस मंत्र का बुरा असर उसकी आवाज़ पर भी हो सकता है। उसकी आवाज़ भी एक पुरुष के भांति भारी हो सकती है। इसीलिए गलती से भी स्त्रियों को गायत्री मंत्र का जाप नहीं करना चाहिए।
एक समय के बाद...
सभी बताए गए बुरे प्रभाव एक पल में ही नहीं होते। बल्कि इन्हें अपना बदलाव दिखाने में काफी समय लगता है। उदाहरण के लिए स्त्री के मासिक धर्म में आने वाला बदलाव हो सकता है कि कुछ महीने के बाद कठिनाइयां लाए। इसी प्रकार से बाकी दिक्कतें भी एक समय सीमा पर निर्भर करती हैं।
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