Thursday, 17 August 2017

१०८ माला का रहस्य

POWERFUL TANTRIK 🔹उड़ने दो मिट्टी को कहाँ तक उड़ेगी... हवा का साथ छूटेगा तो जमीन पर आ गिरेगी * ऐसे ही महादेव सबके साथ रह कर उसको उड़ा रहे ह मगर वो सोच रहा ह मेरे पंख आगये ह जब निरासा आती ह तो हवा का झोका भी नही आता और ना ही कुछ उड़ता ह इसलिए जिंदगी मे सभी को मायने दो बुधवार, 31 अगस्त 2016 क्यों होते ह माला मे 108 मनके वैदिक द्वारा राम राम भाइयो मे सुदीप कुमार आज आप को बताओ गा क्यों होते हैं माला में 108 दाने …अंक शास्त्र के अनुसार मूलांक अर्थात 1 से लेकर 9 तक के अंक नवग्रहों के प्रतीक हैं। इसी प्रकार दर्शन शास्त्र ने भी अंकों के संदर्भ में व्याख्या की है। कहते हैं कि शिकागो के विश्व धर्म सम्मेलन में स्वामी विवेकानंद से शून्य पर बोलने को कहा गया था। शून्य (0) प्रतीक है निर्गुण निराकार ब्रrा का और 1 अंक उस ईश्वर का जो दिखाई तो त्रिदेवों के रूप में देता है लेकिन वास्तव…… में वह एक ही है। नाम-रूप का भेद कार्य-भेद से है, 8 अंक में पूरी प्रकृति समाहित हैं। यथा-भूमिरापोनलोवायु: रवं मनोबुद्धि रेव च। अहंकार इतीयं से भिन्नाप्रकृतिरष्टधा।। अर्थात पृथ्वी, जल, तेज, वायु, आकाश, मन, बुद्धि और अहंकार यह मेरी 8 प्रकार की प्रकृति है। 108 की संख्या के पीछे यह रहस्य है कि इसके द्वारा जीव सांसारिक वस्तुओं की प्राçप्त, ईश्वर के दर्शन और ब्र्रrा तत्व की अनुभूति-जो भी चाहे, कर …सकता है। हमारी सांसों की संख्या के आधार पर 108 दानों की माला स्वीकृत की गई है। 24 घंटों में एक व्यक्ति 21600 बार सांस लेताहै। यदि 12 घंटे दिनचर्या में निकल जाते हैं तो शेष 12 घंटे देव-आराधाना में लिए बचते हैं। अर्थात 10800 सांसों का उपयोग अपने इष्टदेव के स्मरण के लिए करना चाहिए। लेकिन इतना समय देना हर किसी के लिए संभव नहीं होता। इसलिए इस संख्या में से अंतिम दो शून्य हटाकर शेष 108 सांस में ही प्रभु स्मरण की मान्यता प्रदान की गई है। एक अन्य मान्यता के अनुसार,एक वर्ष में सूर्य 216000 (दो लाख सोलह हजार) कलाएं बदलता है। सूर्य हर छहमहीने में उत्तरायण और दक्षिणायण रहता है। इस प्रकार छह महीने में सूर्य की कुल कलाएं 108000 (एक लाख आठ हजार) होती हैं। अंतिम तीन शून्य हटाने पर 108 संख्या मिलती है, इसलिए माला जप में 108 दाने सूर्य की एक-एक कलाओं के प्रतीक हैं। तीसरी मान्यता के अनुसार,ज्योतिष शास्त्र इन्हें 12 राशियों और 9 ग्रहों से जोडता है। 12 राशियोंऔर 9 ग्रहों का गुणनफल 108 आता है अर्थात 108 अंक संपूर्ण जगत की गति का प्रतिनिधित्व करता है। चौथी मान्यता भारतीय ऋषियों द्वारा 27 नक्षत्रों की खोज पर आधारित है। प्रत्येक नक्षत्र में चार चरण होते हैं, अत: इनके गुणनफल की संख्या 108 आती है जो परम पवित्र मानी जाती है। संतों तथा महान पुरूषों के नाम के पूर्व 108 अंक का प्रयोग यह भी संकेत देता है कि वे प्रकृति, ईश्वर एवं ब्रहा के संबंध में परोक्ष और अपरोक्ष ज्ञान वाले हैं। लेकिन अब इसका प्रयोग रूढ हो जाने से सम्मान के अर्थमें किया जा रहा है। राम राम सुदीप कुमार ब्ह्मम कुमारी आश्रम  sudeep kumar पर 8:22 pm साझा करें  2 टिप्‍पणियां:  INSPIRING INDIANS1 सितंबर 2016 को 7:20 pm Very informative उत्तर दें  INSPIRING INDIANS1 सितंबर 2016 को 7:20 pm Very informative उत्तर दें  ‹ › मुख्यपृष्ठ वेब वर्शन देखें मेरे बारे में  sudeep kumar मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें Blogger द्वारा संचालित. 

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